Indian Festivals

चंद्र पष्ठी व्रत on 20 Sep 2019 (Friday)

श्री कृष्ण जी की महिमा को कौन नहीं जानता हैं। और श्री कृष्ण जी के भाई बलराम जी के साथ उनका प्रेम देखते ही बनता था। चंद्र षष्ठी का त्यौहार बलराम जी को ही समर्पित है।

राजस्थान राज्य में हल षष्ठी को 'चंद्र षष्ठीके नाम से भी जाना जाता है जो यह व्रत त्यौहार भगवान बलराम जी को पूरी तरह से समर्पित हैजो श्री कृष्ण जी के बड़े भाई थे। इस दिन को भगवान बलराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

क्या करते है चंद्र षष्ठी के दिन –

चंद्र षष्ठी के दिन व्रत व भगवान बलराम जी की पूजा अर्चना की जाती है, उन्हें पूरी श्रद्धा के साथ पूजा जाता है । चंद्र पष्ठी का त्योहार पूरे भारत में कृषक समुदायों द्वारा अत्यधिक समर्पण के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार के अनुष्ठान मुख्य रूप से महिला लोक द्वारा किए जाते हैं। जबकि अन्य स्थानों में अविवाहित महिलाओं द्वारा चंद्र षष्ठी व्रत रखा जाता है और हिंदू चंद्र देव की पूजा और आर्चना की जाती है। यह व्रत व्रत अच्छे पति और सुखी और समृद्ध जीवन पाने के लिए किया जाता है।

चंद्र पष्ठी के दौरान अनुष्ठान: 

  • चंद्र पष्ठी के दिन महिलाएं सूर्योदय के समय उठती हैं और जल्दी स्नान करती हैं।
  • इसके बाद वे लाली छठ पूजा की तैयारी शुरू करते हैं।
  • पूजा स्थल को पहले साफ किया जाता है और फिर गोबर से लीप कर पवित्र किया जाता है। अभी शहरों में यह प्रचलन नहीं है लेकिन गाव में अभी भी लोग ऐसा करते है।
  • फिर एक छोटा कुआँ तैयार किया जाता है और पुआल घासपलाश और एक तरह के ईख के तने को एक साथ मिलाकर एक हल बनाने के लिए बनाया जाता हैजो भगवान बलराम का हथियार है।
  • इसके बाद महिलाओं द्वारा समृद्धि और अच्छी फसल के लिए पूजा की जाती है यानि यह त्यौहार हमें प्रकृति से भी जोड़ता है।
  • चंद्र पष्ठी पूजा के दौरानभक्त कुएं की पूजा भी करते हैं और पीने के लिये मिलने वाले शुद्ध जल के लिये कृत्ज्ञता व्यक्त करते हैं।
  • 'सातअनाज के सात रूपों ज्वारधानगेहूंमूंगचनामक्का और मसूर अर्पित किये जाते है।
  • उसके बाद हल्दी के पेस्ट से रंगीन कपड़े के एक टुकड़े को भी हल के पास रखा जाता है।
  • और उसकी पूजा भी की जाती है। पूजा के बादभक्त चंद्र पष्ठी व्रत कथा पढ़ी जाती हैं।
  • चंद्र पष्ठी के दिन घर की महिलाएं कठोर व्रत रखती हैं। वे दिन भर कुछ भी खाने से पूरी तरह से परहेज करती हैं।
  • चंद्र पष्ठी व्रत के पालनकर्ता दिन में फल या दूध का सेवन भी नहीं करते हैं।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि चंद्र पष्ठी पर गाय के दूध का उपयोग नहीं किया जाता है और यदि आवश्यक होतो इस दिन केवल भैंस के दूध का सेवन किया जा सकता है।

चंद्र पष्ठी का महत्व:

चंद्र पष्ठी का त्योहार भगवान बलराम को समर्पित है और इसे लोकप्रिय रूप से बलराम जयंती भी कहा जाता है। उन्हें 'हलायुध', 'बलदेवऔर 'बलभद्रके नाम से जाना जाता है। हिंदू किंवदंतियों के अनुसारबालाराम भगवान कृष्ण के बड़े भाई थे और भगवान विष्णु (श्री महा विष्णु के दशावतार) के दस अवतारों में से एक थे।

भगवान बलराम जी के औजार -

मूसल और फावड़ा भगवान बलराम के मुख्य औजार माने जाते थे। हिंदू भक्तविशेष रूप से कृषक समुदाय से जुड़े लोगपवित्र फसल के लिए इस दिन इन पवित्र उपकरणों की पूजा करते हैं। महिलाएं पुरुषों और बच्चे के लिये ईश्वर से आशीर्वाद मांगने के लिये इस व्रत को रखती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से महिलाय़ें अपने बच्चों की भलाई के ईश्वर से प्रार्थना करती है।

पुरानी कथाओं के अनुसार -

हिंदू किंवदंतियों के अनुसारभगवान कृष्ण की सलाह पर उत्तरा (महाभारत से) ने श्रद्धापूर्वक इस व्रत को किया और उसके नष्ट हुए गर्भ को पुनः प्राप्त किया। इसके बाद से चंद्र पष्ठी व्रत को वंश वृधि में सहायक माना जाता है।