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जानिए महत्व सबसे महत्वपूर्ण कालाष्टमी का

कालाष्टमी या काला अष्टमी को हिंदू धर्म में एक बहुत ही बडें त्यौहारों में से एक माना जाता हैं क्योंकि यह भगवान भैरव जी से जुड़ा हुआ है। इसे हर साल बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। -

कालाष्टमी का महत्व:

काल का अर्थ है समय और भगवान काल भैरव भगवान शिव के अवतार की ओर संकेत करते हैं। यह विशेष त्यौहार हिंदू चंद्र माह में 'कृष्ण पक्ष अष्टमी तीथि' को मनाया जाता है और एक वर्ष में कुल 12 कालाष्टमी होती है। इसी कारण इसे कालाष्टमी कहते है। अष्टमी एक संस्कृत शब्द है जिसका आशय है पूर्णिमा के 8 वें दिन ।

हिंदू धर्म से जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव जी भगवान ब्रह्मा पर काफी अधिक नाराज हो गए क्योंकि उन्होनें बिना विचार विंमर्श किये हुये उन पर एक टिप्पणी कर दी थी जो उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं आई। और इसीलिये उन्होंने महाकालेश्वर जी का रूप लिया और भगवान ब्रह्मा जी का 5 वां सिर काट दिया। और उसी समय से उन्हें काल भैरव की संज्ञा दी गई है।

पूर्णिमा के 8 वें दिन को भगवान भैरव जी की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। इस विशेष दिन पर हिंदू भक्त पूरी श्रद्धा के साथ सभी प्रकार के नियमों का पालन करते हुए भगवान भैरव जी की पूजा करते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण कालाष्टमी:

मार्गशीर्ष महीने में पड़ने वाली कालाष्टमी तिथि को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। और इसे कालभैरव जयंती के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि यह शुभ दिन रविवार या मंगलवार को पड़ता है तो यह काफी पवित्र माना जाता है ।

कैसे मनायें कालाष्टमी:

  •  कालाष्टमी भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत ही विशेष है । भक्त सूर्योदय से  पहले ही उठ जाते हैं और स्नानादि करने के बाद सभी आवश्यक नियमों का पालन करते हुए काल भैरव की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि पूरी श्रद्धा के सात पूजा करने से भगवान भैरव उनके पापों को क्षमा करते हैं
  • इस विशेष दिन पर भगवान भैरव जी के मंदिर जाना और भी अधिक फलदायी माना जाता है। भगवान भैरव नाथ जी को पूरे श्रद्धा भाव से पूजा जाता है। कालाष्टमी वास्तव में भगवान शिव के ही उग्र रूप को कहा जाता और यह अवतार लेने के का कारण भगवान ब्रह्मा के क्रोध को समाप्त करना था।
  • भक्त इस विशेष दिन पर स्वंय को भौतिकवादी चीजों और अन्य आकर्षक चीजों से दूर रख केवल भगवान का ध्यान रखते है। इस दिन उपवास भी रखा जाता है और इसके साथ ही भगवान महाकालेश्वर जी की कथाओं को सुना जाता है ।
  • भगवान शिव जी को पूरे श्रद्धा भाव के पूजा जाता है ताकि अपने जीवन को पूरी तरह से समृद्धि और खुशियों से भरा जा सके। कुछ भक्क इस शुभ दिन पर काल भैरव जी का कथा पाठ करना भी बहुत ही शुभ मानते है। इस दिन भगवान शिव जी से जुडे मंत्रों का उच्चारण करना भी काफी शुभ माना जाता है।

इस प्रकार से कालाष्टमी को काफी शुभ माना जाता है और भक्तों के मन में इस त्यौहार को लेकर काफी श्रद्धा भाव है।