देवी यमुना की पूजा को सफल बनाने के लिये इन यमुनाष्टक या यमुना मां की आरती का विशेष महत्तव है तो इनका पाठ जरुर करें-
मुरारिकायकालिमा ललामवारिधारिणी
तृणीकृतत्रिविष्टपा त्रिलोकशोकहारिणी।
मनोSनुकूलकूल कुंजपुंजधूतदुर्मदा
धुनोतु मे मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा।।1।।
मलापहारिवारिपूरभूरिमण्डितामृता
भृशं प्रपातकप्रवंचनातिपण्डितानिशम्।
सुनन्दनन्दनांगसंगरागरंजिता हिता। धुनोतु0।।2।।
लसत्तरंगसंगधूत भूतजातपातका
नवीनमाधुरीधुरीण भक्तिजातचातका।
तटान्तवासदासहंस संसृता हि कामदा। धुनोतु0।।3।।
विहाररासखेदभेद धीरतीरमारुता
गता गिरामगोचरे यदीयनीरचारुता।
प्रवाहसाहचर्यपूत मेदिनीनदीनदा। धुनोतु0।।4।।
तरंगसंगसैकतांचितान्तरा सदासिता
शरन्निशाकरांशु मंजुमंजरीस-भाजिता।
भवार्चनाय चारुणाम्बुनाधुना विशारदा। धुनोतु0।।5।।
जलान्तकेललिकारिचारुराधिकांगरागिणी
स्वभर्तुरन्य दुर्लभांग संगतांशभागिनी।
स्वदत्तसुप्तसप्त सिन्धुभेदनातिकोविदा। धुनोतु0।।6।।
जलच्युता-Sच्युतांग रागलम्पटालिशालिनी
विलोलराधिका कचान्तचम्पकालिमालिनी।
सदावगाहनावतीर्णभर्तृभृत्यनारदा। धुनोतु0।।7।।
सदैव नन्दनन्दकेलि शालिकुंजमंजुला
तटोत्थफुल्लमल्लिकाकदम्बरेणुसूज्ज्वला।
जलावगाहिनां नृणां भवाब्धिसिन्धुपारदा। धुनोतु।।8।।
इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं श्रीयमुनाष्टकं सम्पूर्णम् ।
दूसरा श्री यमुनाष्टकम्
कृपापारावारां तपनतनयां तापशमनीं
मुरारिप्रेयस्कां भवभयदवां भक्तवरदाम्।
वियज्जालान्मुक्तां श्रियमपि सुखाप्ते: प्रतिदिनं
सदा धीरो नूनं भजति यमुनां नित्यफलदाम्।।1।।
मधुवनचारिणि भास्करवाहिनि जाह्नविसंगिनि सिन्धुसुते
मधुरिपुभूषिणि माधवतोषिणि गोकुलभीतिविनाशकृते।
जगदघमोचिनि मानसदायिनि केशवकेलिनिदानगते
जय यमुने जय भीति निवारिणि संकटनाशिनि पावय माम्।।2।।
अयि मधुरे मधुमोदविलासिनि शैलविहारिणि वेगभरे
परिजनपालिनि दुष्टनिषूदिनि वांछितकामविलासधरे।
व्रजपुरवासिजनार्जितपातकहारिणि विश्वजनोद्धरिके।जय0।।3।।
अतिविपदम्बुधिमग्नजनं भवतापशताकुलमानसकं
गतिमतिहीनमशेषभयाकुलमागतपादसरोजयुगम् ।
ऋणभयभीतिमनिष्कृतिपातककोटिशतायुतपुंजतरं।जय0।।4।।
नवजलदद्युतिकोटिलसत्तनुहेममयाभररंजितके
तडिदवहेलिपदाच्णलचण्चलशोभितपीतसुचैलधरे ।
मणिमयभूषणचित्रपटासनरंजितगंजितभानुकरे।जय0।।5।।
शुभपुलिने मधुमत्तयदूद्भवरासमहोत्सवकेलिभरे
उच्चकुलाचलराजितमौक्तिकहारमयाभररोदसिके ।
नवमणिकोटिकभास्करकंचुकिशोभिततारकहारयुते।जय0।।6।।
करिवरमौक्तिकनासिक भूषणवातचमत्कृतचंचलके
मुखकमलामलसौरभचंचलमत्तमधुव्रतलोचनिके ।
मणिगणकुण्डललोलपरिस्फुरदाकुलगण्डयुगामलके।जय0।।7।।
कलवरवनूपुरहेममयाचितपादसरोरुहहसारुणिके
धिमिधिमिधिमिधिमितालविनोदितमानसमंजुलपादगते।
तव पदपंकजमाश्रितमानवचित्तसदाखिलतापहरे।जय0।।8।।
भवोत्तापाम्भोधौ निपतितजनो दुर्गतियुतो
यदि स्तौति प्रात: प्रतिदिनमनन्याश्रयतया ।
हयाह्वेषै: कामं करकुसुमपुंजैरविरतं
सदा भोक्ता भोगान्मरणसमये याति हरिताम्।।9।।
श्री यमुना माता जी की आरती
ॐ जय यमुना माता, हरि जय यमुना माता
जो नहावे फल पावे सुख दुःख की दाता
ॐ जय यमुना माता
पावन श्रीयमुना जल अगम बहै धारा,
जो जन शरण में आया कर दिया निस्तारा
ॐ जय यमुना माता
जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे,
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे
ॐ जय यमुना माता
कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही,
तुम्हारा बड़ा महातम चारो वेद कही
ॐ जय यमुना माता
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो,
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो
ॐ जय यमुना माता
नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी
मन बेचैन भया हैं तुम बिन वैतरणी
ॐ जय यमुना माताा
Shri Yamuna JI Ki Aarti
Om Jai Yamuna Mata, Hari
Jo Nahave Phal Paave Sukh Dukh Ki Daata
Om Jai Yamuna Mata
Paavan Shri Yamuna Jal Agam Bahe Dhaara
Jo Jan Sharan Me Aaye Kar Diya Nistara
Om Jai Yamuna Mata
Jo Jan Pratah Hi Uthkar Nitya Snaan Kare
Yam Ke Traas Na Pave Jo Nitya Dhyan Kare
Om Jai Yamuna Mata
Kalikaal Me Mahimaa Tumhaari Atal Rahi
Tumhara Bada Mahaatam Chaaro Ved Kahi
Om Jai Yamuna Mata
Aan Tumhaare Maata Prabhu Avtaar Liyo
Nitya Nirmal Jal Peekar Kans Ko Maar Diyo
Om Jai Yamuna Mata
Namo Maat Bhaye Harni Shubh Mangal Karni
Man Bechain Bhaya Hai Tum Bin Vaitarni
Om Jai Yamuna Mata