क्यों मनाया जाता है अट्टु पोंगल का पर्व
अट्टु पोंगल का पर्व केरल के त्रिवेंद्रम में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। केरल में यह त्यौहार बहुत से धार्मिक मंदिरो में बहुत सारे भक्तो की उपस्थ्ति में मनाया जाता है। विशेष रूप से अट्टु पोंगल का पर्व अटुकल भगवती मंदिर में पोंगाला उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
कब मनाया जाता है अट्टु पोंगल का पर्व -
फरवरी और मार्च के महीने के दौरान यह केरल में हर साल आयोजित किया जाता है और इसे बहुत ही मस्ती और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
अट्टु पोंगल का महत्व -
• अट्टु पोंगल के महोत्सव का आयोजन अटुकल भगवती मंदिर में किया जाता है।
• इस पर्व को एक बहुत ही पवित्र अनुष्ठान माना जाता है।
• अट्टु पोंगल का पर्व एक दस दिवसीय त्योहार होता है।
• यह पर्व मलाराम-कुंभम के मलयालम महीने के अनुसार आरम्भ होता है और कुरुतीथर्पणम के बलिदान के साथ इसका समापन हो जाता है।
• अट्टु पोंगल का पर्व विशेष रूप से महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
• इस दिन सभी महिलायें चावल दलिया को गुड़ और नारियल के साथ पका कर देवी को प्रसाद के रूप में अर्पित करती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अट्टु पोंगल-
• अटुकल भगवती का मंदिर आज से बहुत सालों पहले वहां पर रहने वाले एक स्थानीय परिवार ने बनाया था।
• मान्यताओं के अनुसार देवी ने इस परिवार को सपने में दर्शन दिए थे और यह मंदिर बनाने को कहा था।
• देवी की इच्छा का मान रखते हुए इस परिवार ने इस मंदिर का निर्माण किया था।
• ऐसा भी माना जाता है कि इस मंदिर के देवता कन्नकी के अवतार थे।
• किंवदंतियों के मुताबिक यहाँ पर रहने वाली महिलाओं ने, कन्नकी का प्रचार करने के लिए अट्टु पोंगाल के पर्व की शुरुआत की थी।
• अट्टु पोंगाल उत्सव के दौरान, सभी महिलाएं अच्छे अच्छे वस्त्र पहनती हैं और अटुकल भगवती मंदिर में पूजा करने जाती हैं।
• यह त्योहार 9 दिनों तक मनाया जाता है। इन नौ दिनों में धार्मिक गीत और अन्य उत्सव भी मनाये जाते हैं।
• इस उत्सव के दौरान मुख्य पुजारी देवी की तलवार लेता है और पवित्र जल छिड़ककर और फूलों की वर्षा करके महिलाओं को आशीर्वाद देता
• इसके पश्चात् सभी लोगों में देवी का प्रसाद वितरित किया जाता है।