कलरीपायट्टु एक विशेष प्रकार मार्शल आर्ट है जो बहुत ही पुरानी है और एक ऐतिहासिक मूल्य रखती है। इस विशेष कला जन्म दक्षिण भारत के केरल में हुआ था । यह विश्व की पुरानी युद्ध कलाओं में से एक है । यह युद्ध कला बहुत ही नायाब है और इसी बेमिसाल तकनीक योद्धा को युद्ध में विजय दिलाने में सहायक होती है। कलरीपायट्टु शब्द का यदि संधि विच्छेद किया जाये तो इसा पहला शब्द है कलरी जिसका मतलब ‘स्कूल’ या फिर ‘व्यायामशाला’, और दूसरे शब्द यानि पायट्टु का मतलब है ‘युद्ध या व्यायाम करना’. ऐसा कहा जाता है कलरीपायट्टु को सीखने कई साल भी लग सकते है। इसे सीखने से ना केवल व्यायाम और शारीरिक चुस्ती फुर्ती आती है बल्कि यह प्रकार की उत्तम जीवनशैली है जो आपको ना केवल एक प्रबल योद्धा बनाती है, बल्कि आपको चिकित्सा के बारे में भी ज्ञान अर्जित करने को मिलता है । कलरीपायट्टु का अभ्यास करने के लिये आपको ‘कलरी’ यानि आखाड़ा में जाना प़डेगा। आखाड़े एक स्थान ईश्वर को भी समर्पित किया जाता है ताकि अभ्यास से पूर्व ईश्वर का आशीर्वाद लिया जा सके। आज आवश्यकता है कि आने वाली पीढी को भी इसके बारे में ज्ञान हो ताकि हमारी संस्क़ृति सदैव अमर रहे।