ललिता प्रिय राधा रानी और श्री कृष्ण जी के काफी करीबी और प्यारी गोपियों में से एक मानी जाती थी। और इतने प्रेम और लाड़ के कारण ही इन्हें सबसे प्यारी गोपी का दर्जा दिया गया।
ललिता सप्तमी का दिन देवी ललिता देवी को पूरी तरह से समर्पित है। देवी ललिता राधा रानी की सबसे खास और करीबी दोस्त में से एक थीं और इसीलिये ललिता सप्तमी का एक विशेष महत्तव है। यह हर साल भाद्रपद महीनें में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।
राधा-कृष्ण के साथ ही पूजा जाता है ललिताललिता सप्तमी का यहा विशेष त्यौहार राधाष्टमी से ठीक एक दिन पहले आता है जन्माष्टमी के 14 दिनों के बाद आता है। ललिता सप्तमी का बहुत ही अधिक महत्व और विशेष योगदान माना जाता है । इतना ही नही बल्कि इसे गोपिका ललिता की जयंती के रूप में भी काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बहुत ही विशेष दिन पर भक्त श्री कृष्ण और राधा देवी के साथ-साथ ललिता देवी जी की भी खास पूजा अर्चना करते है।
ललिता देवी – सबसे अधिक विश्वास पात्र
ललिता देवी को सबसे अधिक विश्वास पात्र माना जाता था राधा और कृष्ण जी का। इन सभी आठ गोपियाँ को राधा जी और कृष्ण जी से अटूट प्रेम था। उन्हें कृष्ण और राधा की भक्ति के अतिरिक्त और कोई कार्य में रुचि नहीं थी।
राधा कृष्ण और उनकी प्यारी गोपियां
ललिता देवी सहित राधा-कृष्ण जी की सबसे प्रिय कुल मिलाकर आठ गोपियां थी और ललिता जी उन सभी आठ गोपियों में सबसे प्यारी और चंचल थी। और वह उस समूह की आठवीं गोपी थी और इसी कारण उनके गोपियों के समूह को भी एक विशेष नाम यानि की अष्टसखियों के नाम से ही जाना जाता था। अष्टसखियों मे अन्य गोपियों के नाम कुछ इस प्रकार हैं-
ललिता में भगवान कृष्ण और राधा देवी के प्रति अटूट श्रद्धा और प्रेम था। उनके लिये यही जीवन सत्य था और यही प्रेम धन था। यह त्यौहार हर साल बहुत ही धूमधाम से किया जाता है।