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तारा जयंती के दिन पूजा

तारा जयंती के दिन इन तरीको से करें मां तारा की पूजा 

• शास्त्रों में बताया गया है की तारा जयंती के दिन मां तारा की पूजा हमेश रात्रि के समय  ही करनी चाहिए. इसलिए अगर आप तारा जयंती के दिन मां तारा की साधना कर रहे हैं तो इसे हमेशा अर्धरात्रि    में ही करें.

•  तारा जयंती के दिन माँ तारा की साधना हमेशा एकांत कक्ष में ही करनी चाहिए. माँ तारा की पूजा करते वक़्त पूजा कक्ष में आपके अलावा और कोई भी

    उपस्थित नहीं होना चाहिए.

• तारा जयंती के दिन माँ तारा की साधना करने से पहले स्नान करें. स्नान करने के पश्चात् एक सफेद रंग की धोती  धारणकरें.

• इस बात का हमेशा ध्यान रखे की मां तारा की पूजा में कभी भी सिले हुए वस्त्र ना पहने.

• अब पश्चिम दिशा की तरफ अपना मुख करके बैठे.

• अब अपने सामने एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करें. अब इस चौकी के ऊपर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध लें.

• अब लकड़ी की चौकी पर गुलाबी रंग का वस्त्र बिछाएं. अब एक ताम्बे की प्लेट में गुलाब के फूल रखें.

• अब माँ तारा का ध्यान करते हुए लकड़ी की चौकी पर तारा यंत्र स्थापित करें. अब तारा यंत्र के चारो तरफ चावल की चार ढेरियां बनाये.

• अब चावल की सभी ढेरियों पर एक- एक लौंग रख दे. अब तारा यंत्र के सामने घी का दिया जलाएं.

• अब मां तारा के मंत्रों का उच्चारण करें. मंत्र का उच्चारण करने के बाद पूरी श्रद्धा के साथ  मां ताराकीकथासुने.

• कथा सुनने के पश्चात् मां तारा की आरती उतारे.

• पूजा समाप्त करने के बाद माँ तारा की पूजा में इस्तेमाल की गयी सभी सामग्री को किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें.

• अगर आपके घर के आस पास कोई नदी नहीं है तो आप इन चीजों को पीपल के पेड़ के नीचे जमीन में गहरा गड्डा खोदकर दबा सकते है.

मां तारा के मंत्र-

ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट

.ह्रीं त्री हुं फट        

ह्रीं त्री हुं

ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौ: हुं उग्रतारे फट

ॐ हुं ह्रीं क्लीं सौ: हुं फट