घर को धन-धान्य से परिपूर्ण रखने के लिए मनाए अन्नपूर्णा जयंती
अन्नपूर्णा जयंती का महत्व-
अन्नपूर्णा जयंती मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन माता पार्वती अन्नपूर्णा के रूप में प्रकट हुई थी। माता अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना जाता है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन मुख्य रूप से अन्न की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन विधि विधान के साथ पूजा करने से घर हमेशा धनधान्य से परिपूर्ण रहता है और मां अन्नपूर्णा देवी की कृपा दृष्टि बनी रहती है। हमारे शास्त्रों में गृहिणियों को अन्नपूर्णा का स्वरूप माना जाता है। इसलिए अन्नपूर्णा जयंती के दिन सभी महिलाओं को अपने घर में गैस पर चावल और मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए और साथ ही एक दीपक भी प्रज्वलित करना चाहिए। ऐसा करने से घर के भंडार हमेशा अन्न से भरे रहते हैं।
अन्नपूर्णा माता का स्वरूप –
- शास्त्रों में बताया गया है कि अन्नपूर्णा देवी का रंग जवापुष्प की तरह है। अन्नपूर्णा माता के तीन नेत्र हैं और मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है।
- मां अन्नपूर्णा सुंदर आभूषणों से सुशोभित प्रसन्न मुद्रा में स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान रहती हैं।
- मां अन्नपूर्णा अपने बाएं हाथ में अन्न से भरा हुआ माणिक्य रत्न से जड़ा पात्र और दाहिने हाथ में रत्नों से बना हुआ कड़छुल धारण करती है।
- मां जगदंबा अपने अन्नपूर्णा स्वरूप से पूरे संसार का भरण पोषण करती हैं।
- अन्नपूर्णा का शाब्दिक अर्थ होता है धान्य| अर्थात अन्न की देवी, मान्यताओं के अनुसार सभी प्राणियों को मां अन्नपूर्णा देवी की कृपा से भोजन प्राप्त होता है।
अन्नपूर्णा पूजन विधि-
- अन्नपूर्णा जयंती के दिन सुबह प्रातः काल उठकर स्नान करने के पश्चात रसोईघर को अच्छे से साफ सुथरा करें।
- अब पूरे घर में गंगाजल छिड़क कर घर को पवित्र करें।
- अब अपने घर के रसोई घर की पूर्व दिशा में लाल वस्त्र बिछाए। अब इसके ऊपर नव धान्य की ढेरी बनाकर उस पर मां अन्नपूर्णा देवी का चित्र स्थापित करें।
- अब नव धान्य की ढेरी पर जल से भरा हुआ ताम्र कलश स्थापित करें।
- ताम्र कलश में अशोक के पत्ते और नारियल रखें। अब जिस गैस चूल्हे या स्टोव पर आप खाना बनती हैं उसकी पूजा करें और अब गाय के घी का दीपक जलाकर सुगंधित धूप करें।
- माँ अन्नपूर्णा को रोली से तिलक करें मेहंदी और लाल फूल अर्पित करें।
- अब गैस चूल्हे को भी रोली लगाकर अक्षत और फूल चढ़ाकर पूजा करें।
- मां अन्नपूर्णा देवी को धनिया की पंजीरी का भोग चढ़ाएं।
- अब नीचे दिए गए मंत्र का 108 बार जाप करें।
ओम ह्रींग अन्नपूर्णाय नमः
- मन्त्र का जाप करने के पश्चात मां अन्नपूर्णा का ध्यान करके उनसे प्रार्थना करें।
- इस दिन सभी लोगों को भोलेनाथ और मां पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप की पूजा अर्चना करनी चाहिए और उनसे श्रद्धा पूर्वक यह प्रार्थना करनी चाहिए कि उनके घर में कभी भी धन-धान्य की कमी ना हो।
- इसके पश्चात मां अन्नपूर्णा के मंत्र स्रोत आरती और कथा का पाठ करके पूजा संपन्न करनी चाहिए।
- मां अन्नपूर्णा की कृपा मिलने से घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है।मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से समृद्धि संपन्नता और संतोष की प्राप्ति होती है।
मां अन्नपूर्णा की बात पूजा में इन बातों का ध्यान रखना है जरूरी-
- मां अन्नपूर्णा की पूजा हमेशा सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 बजे) या संध्या काल में ही करनी चाहिए।
- मां अन्नपूर्णा की पूजा करते समय लाल या पीले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।
- मां अन्नपूर्णा को कभी भी दूर्वा ना चढ़ाएं।
- मां अन्नपूर्णा देवी के मंत्र का जाप करने के लिए कभी भी तुलसी की माला का प्रयोग ना करें।
कथा-
पौराणिक हिन्दू ग्रंथों के अनुसार प्राचीन समय में किसी कारणवश धरती बंजर हो गई, जिस वजह से धान्य-अन्न उत्पन्न नहीं हो सका, भूमि पर खाने-पीने का सामान खत्म होने लगा जिससे पृथ्वीवासियों की चिंता बढ़ गई। परेशान होकर वे लोग ब्रह्माजी और श्रीहरि विष्णु की शरण में गए और उनके पास पहुंचकर उनसे इस समस्या का हल निकालने की प्रार्थना की।
इस पर ब्रह्मा और श्रीहरि विष्णु जी ने पृथ्वीवासियों की चिंता को जाकर भगवान शिव को बताया। पूरी बात सुनने के बाद भगवान शिव ने पृथ्वीलोक पर जाकर गहराई से निरीक्षण किया।
इसके बाद पृथ्वीवासियों की चिंता दूर करने के लिए भगवान शिव ने एक भिखारी का रूप धारण किया और माता पार्वती ने माता अन्नपूर्णा का रूप धारण किया। माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगकर भगवान शिव ने धरती पर रहने वाले सभी लोगों में ये अन्न बांट दिया। इससे धरतीवासियों की अन्न की समस्या का अंत हो गया तभी से मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाने लगी।
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