आठवां दिनः अष्टम् नवरात्रा।
तारीखः 24th Oct 2020
तिथिः षुक्ल अष्टमी
पूजा का समय:प्रातःकाल से।
आठवें दिन की देवीः- माँ महागौरी हैं।
परम कृपालु माँ महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से सम्पूर्ण विष्व में विख्यात हुई। भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौदर्य प्रदान करने वाली है। अर्थात् षरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख समृद्धि आरोग्यता से पूर्ण करती हैं। माँ की षास्त्रीय पद्धति से पूजा करने वाले सभी रोगों से मुक्त हो जाते हैं और धन वैभव सम्पन्न होते हैं।
माँ की परम दयामयी मूर्ति का रूप इस ष्लोक से स्पष्ट हैः-उपरोक्त षोडषोपचार विधि से आठवें दिन भी पूजा बडे श्रद्धा भक्ति से की जाती हैं और स्थापित कलष, दीप, और अन्य प्रतिष्ठित वेदियों और देवी प्रतिमा में पूर्व दिन में अर्पित की गयी पुष्पादि सामग्री उतार ले और उपरोक्त क्रम को दोहराते हुए श्रद्धा, भक्ति पूर्वक हांथ जोड़कर पूजा आराधना तथा आरती करें और पूजा सम्पन्न होने के बाद प्रसाद आदि वितरित करें।
व्रत की कथाः- माँ दुर्गा द्वारा रक्तबीज, महिषासुर आदि दैत्यों का बध आदि षक्ति माँ दुर्गा की जयकार और भक्त तथा देवगणों की रक्षा व कल्याण। इसी कल्याण के उद्देष्य से प्रतिवर्ष नवरात्रों में माँ की पूजा आराधना व यज्ञानुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। दुर्गा सप्तसती माँ की आराधना का सबसे प्रमाणिक गं्रथ है।
व्रत या पूजा का प्रारम्भः- प्रातःकाल षौच स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर उपरोक्त पूजा हेतु निष्चित पवित्र वस्त्र धारण कर उपरोक्त पूजन सामग्री व श्रीदुर्गासप्तषती की पुस्तक को ऊँचे व सुन्दर आसन में रखकर षुद्ध आसन मंे पूर्वाविमुख या उत्तराभिमुख होकर प्रसन्नता व भक्तिपूर्वक बैठकर माथे पर चन्दन लगाएं, पवित्र मंत्र बोलते हुए पवित्री करण, आचमन, करन्यासादि करें। इसके बाद श्रीगणेषादि देवताओं, गुरूजनों व ब्रह्मणों को प्रणाम करें।
इसके बाद हाथ में कुष की पवित्री, लालपुष्प, अक्षत, जल, स्वर्ण, चाँदी आदि की मुद्राओं द्वारा पूजा व व्रत का संकल्प लें। फिर षड़ोषपचार विधि से पूजा करें।नोटः- पाठ गलत या अषुद्ध न करें न ही बहुत धीरे न ही बहुत जल्दी अर्थात् मध्यम गति से सुस्पष्ट उच्चारण करते हुए पाठ करना चाहिए। क्योंकि मंत्रों के गलत उच्चारण से पूजा का फल नहीं प्राप्त होता और अनिष्ट की आषंका बनी रहती है। दुर्गासप्तषती व अन्य पूजाकर्म पद्धति की किताबें जो षुद्ध रूप में और किसी प्रमाणित प्रेस आदि से प्रकाषित हो उन्हीं को प्रयोग में लाना चाहिए।
कुछ उपयोगी मंत्र या सम्पुटः-व्रत में क्रोध, आलस्य, चिंता नहीं करें। प्रसन्न चित्त व उत्साह पूर्वक माँ की पूजा करें। किसी बात में अविष्वास व संदेह न पैदा करें। नित्यादि क्रियाएं षुद्धता पूर्व करें, स्नान में सुगन्धित तेल, साबुन यदि संभव हो तो प्रयोग न करें। ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करें, अर्थात् मैथुन आदि क्रियाएं न करें।
स्त्री/पुरूष प्रसंग, हास्य विनोद, अत्याधिक बोलना, जोर से हंसना, गुस्सा करने से बचें। सरल और षांति चित्त होकर व्रत का पालन करें। जल्दी-जल्दी पानी पीना और हर थोड़ी देर में खाने से भी बचें। दिन में सोना नहीं चाहिए, बल्कि कार्यो से निवृत्त होने पर जरूरत के अनुसार थोड़ा विश्राम करना चाहिए।
Eighth Navratri in English - Eighth Navratri - Maa Maha Gauri
आठवां नवरात्रि सरल विधि - आठंवा नवरात्रा-माता महागौरी