बसंत पंचमी और मां सरस्वती
बसंत पंचमी बहुत आनंद और उल्लास का त्यौहार होता है। साधकों के लिए यह त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण है। जो लोग अध्यात्म में रुचि रखते हैं वो इस दिन की प्रतीक्षा मां सरस्वती को सिद्ध करने के लिए पूजा करते हैं। मां सरस्वती ज्ञान की देवी हैं और ज्ञान सभी मनुष्यों के लिए जरूरी होता है। चाहे वह किसी भी उम्र का हो जान एक ऐसी शक्ति है जिसके माध्यम से मनुष्य सभी कठिनाइयों को पार करता हुआ सफलता को छूता है। माता सरस्वती शारदा देवी मन बुद्धि और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं।
माँ सरस्वती का स्वरूप-
- विद्या की देवी सरस्वती हंस वाहिनी श्वेत वस्त्र चार भुजा धारी और वीणावादिनी है। इसलिए इन्हें संगीत और अन्य ललित कलाओं की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है।
- शुद्धता पवित्रता मनोयोग पूर्वक निर्मल मन से मां सरस्वती की उपासना करने से माता सरस्वती पूर्ण फल प्रदान करती हैं।
- माँ सरस्वती की साधना करने से मनुष्य विद्या बुद्धि और नाना प्रकार की कलाओं में सिद्ध और सफल होता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- माता सरस्वती की उत्पत्ति को लेकर बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक इस प्रकार है।
कथा-
भगवान विष्णु की आज्ञा का पालन करते हुए जब प्रजापति ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना करते हैं और देखते हैं तो उन्हें चारों तरफ निर्जन वन दिखाई देता है। चारों तरफ उदासी से सारा वातावरण मौन सा प्रतीत होता है। यह देखकर ब्रह्माजीउदासी को दूर करने के लिए अपने कमंडल से जल छिड़कते हैं और उन जल कणों के पड़ते ही वृक्षों से एक ऐसी शक्ति उत्पन्न होती है जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी और दो हाथों में पुस्तक और माला धारण किए थी। ब्रह्माजी उस देवी से वीणा बजा कर पूरे संसार की उदासी दूर करने के लिए कहते हैं। तब उस देवी ने वीणा बजा कर सभी जीवो को वाणी प्रदान की। इसलिए उस देवी को सरस्वती कहा गया। यह देवी विद्या बुद्धि प्रदान करने वाली है। इसीलिए सभी घरों में माता सरस्वती की पूजा की जाती है।
कुछ अन्य कथाएं इस प्रकार हैं सृष्टि करता ईश्वर की इच्छा से आद्या शक्ति ने अपने आप को पांच भागों में विभाजित कर लिया। राधा, पदमा, सावित्री, दुर्गा और सरस्वती…। ये सभी देवियाँ भगवान श्री कृष्ण के अलग-अलग अंगों से प्रकट हुई थी। श्री कृष्ण के कंठ से उत्पन्न होने वाली देवी का नाम सरस्वती हुआ। श्रीमद् देवी भागवत और श्री दुर्गा सप्तशती में भी अध्याशक्ति अपने आप को तीन भागों में विभाजित करने की कथा मिलती है। अध्य शक्ति के तीनो रूप महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के नाम से विख्यात है। भगवती सरस्वती सत्व गुण संपन्न है। इनके बहुत सारे नाम है। जिनमें वाक् वाणी, गिरा, भाषा, शारदा, वागीश्वरी, ब्राम्ही ,सोमलता, वाग्देवी और बाघ देवता आदि ज्यादा प्रसिद्ध है। बसंत पंचमी के दिन हमें इस प्रकार से मां सरस्वती की साधना करनी चाहिए।
कैसे करें मां सरस्वती की साधना-
- बसंत पंचमी के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान और दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर पीले वस्त्र पहने। अब घर के किसी स्वच्छ स्थान या अपने पूजा स्थान में अपने परिवार के साथ बैठे।
- सबसे पहले माता सरस्वती के चित्र की स्थापना करें। अब एक थाली में अष्टगंध से सरस्वती यंत्र बनाएं। आप सरस्वती यंत्र बनाने के लिए चांदी की शलाका का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपके पास चांदी की शलाका नहीं है तो आप तांबे की शलाका का भी प्रयोग कर सकते हैं।
- अब थाली में बनाए गए सरस्वती यंत्र पर धारण करने वाला सरस्वती यंत्र रखें। आप जितने लोगों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं उतने ही सरस्वती यंत्र थाली में स्थापित करें।
- सभी यंत्रों पर अष्टगंध का तिलक लगाएं और पीले फूल चढ़ाएं। अब सामने अगरबत्ती धूप और दीपक जलाएं। दूध का प्रसाद अर्पित करें और 108 सरस्वती मंत्र का जाप करें।
- जितने लोगों के लिए प्रयोग कर रहे हैं सभी को इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। ॐ एम् सरस्व्तीये नमः
- अब सरस्वती माता के चित्र सरस्वती यंत्र की संक्षिप्त पूजा करके पीले फूल चढ़ाएं। बच्चों को अष्टगंध से तिलक कर पीले फूलों की माला पहना दे।
- अब सिद्ध सरस्वती यंत्र को सभी लोग अपने गले में धारण करें। इसके बाद चांदी या तांबे की शलाका से अष्टगंध द्वारा प्रत्येक साधक बालक बालिका आदि की जीभ पर सरस्वती बीज मंत्र एम लिखें।
- हर बार लिखने से पहले शलाका को साफ पानी से धो लें। यह साधना पूरी करने से मनुष्य वाक्पटु हो जाता है। अर्थात वह बहुत ही अच्छा वक्ता बन जाता है। वह जो भी बात करता है श्रोता उसे सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाता है।
- इस साधना को करने से मनुष्य को हजारों श्लोक और मंत्र आसानी से याद हो जाते हैं। घर के बच्चों को यह प्रयोग कराने से उनका मन पढ़ाई में लगने लगता है। परीक्षा में श्रेष्ठ अंक प्राप्त कर वह हमेशा सबसे आगे रहते हैं।
- इस साधना के बाद साधक की वाणी में ओजस्विता आ जाती है और लोग उसकी बात मानने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इसीलिए इस साधना को राजनेता, अध्यापक, लीडर, उच्च अधिकारियों को जरूर करना चाहिए ।
- मां सरस्वती की यह साधना जो भी बालिका करती है तो भविष्य में उसे श्रेष्ठ ज्ञानवान और सदाचारी पति मिलता है।
- माँ सरस्वती की साधना बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इसीलिए इसे सभी को करना चाहिए और अपने ज्ञान और विवेक के भंडार को बढ़ाना चाहिए।