माँ भुवनेश्वरी को शक्ति प्रदान करने वाली मां माना जाता है। वह प्राणियों को पोषण व शक्ति दोनों ही प्रदान करती है। हर साल यह जयंती बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। मां भुवनेश्वरी देवी को महादेव शिव की लीला-विलास का सहभागी माना जाता है।
मां भुवनेश्वरी देवी की सुदंरता व तेज
मां भुवनेश्वरी देवी को यूं तो इनके नाम से सख्त व क्रूर माना जाता है लेकिन वह स्वरुप पूर्णतया कांति व सौम्य है। मां भुवनेश्वरी देवी को दस सबसे महत्वपूर्ण विद्याओं में से भी एक माना जाता है। उनके मस्तक पर चद्रमा स्वरुप शोभा देखते ही बनती है।
मां भुवनेश्वरी देवी तीनों लोकों धारण करने वाली मानी जाती है। इसके अतिरिक्त भक्तों के बीच वह अपनी अंकुश पाश और अभय मुद्रा धारण करने के लिये भी काफी मान्य है। मां भुवनेश्वरी देवी अपने तेज और तीन नेत्रों से युक्त होने के कारण शक्तिशाली भी मानी जाती है। उनके वैभव और शक्ति की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है।
मां भुवनेश्वरी देवी की पूजा के मंत्र-
मंत्रों का एक खास महत्व होता है और पूजा को सफल बनाने के लिये इन मंत्रों का जाप करना बहुत ही आवश्यक है। इन विशेष मंत्रों का जाप करने से मां भुवनेश्वरी देवी का आशीर्वाद प्राप्त है जो कि आपका जीवन सफल बनाने हेतु बहुत ही सहायक होते है। इनके मूल मंत्र है
"ऊं ऎं ह्रीं श्रीं नम:”
"हृं ऊं क्रीं” त्रयक्षरी मंत्र
"ऐं हृं श्रीं ऐं हृं”
इस सभी मंत्रो का जाप करने से मां के भक्तो को असीम सुखों एवं सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
कैसे करें मां भुवनेश्वरी देवी जी की पूजा –
माँ भुवनेश्वरी की साधना के लिए ये निम्नलिखित समय बहुत ही शुभ माने जातै है जैसे –
मां भुवनेश्वरी देवी को प्रसन्न करने के लिये आपकी पूजा थाल में यह आवश्यक सामग्री होनी चाहिये जैसे
मां भुवनेश्वरी देवी जी की चौकी लाल वस्त्र से सुस्जित होनी चाहिये। और देवी मां की मूर्ति या चित्र स्थापित करके पंचोपचार और षोडशोपचार द्वारा पूजा करनी चाहिये।
मां भुवनेश्वरी देवी - ऐश्रवर्य की देवी –
माता भुवनेश्वरी पूरी सृष्टि की आराम और ऐश्वयर् की स्वामिनी मानी जाती है । ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा करने से भक्तों असीम आराम और ऐश्रवर्या की प्राप्ती होती है। ऐसा कहा जाता है कि यह देव चेतनात्मक अनुभूति का आनंद करा सकती है यदि इनकी पूजा पूरे सद्भाव और नियमों से की जाये तो।
गायत्री उपासना में भी भुवनेश्वरी जी का भाव है और इसी कारण इनकी उपासना करने का एक विशेष महत्व है। मां भुवनेश्वरी देवी जी को एक मुख, चार हाथ हैं जोकि इनके यश और तेज की व्याख्या अपने आप में करती है ।
यदि मां भुवनेश्वरी देवी का वर्णन किया जायें तो शब्दों की ही कमी पड़ जायेगी। इनका वर्ण श्याम तथा गौर माना जाता है और इनके नख में पूरा ब्रह्माण्ड समाता है । माता भुवनेश्वरी मुख का तेज सूर्य के समान लाल है जो सकारात्मकता का संचार करता है।
Disclaimer: The information presented on www.premastrologer.com regarding Festivals, Kathas, Kawach, Aarti, Chalisa, Mantras and more has been gathered through internet sources for general purposes only. We do not assert any ownership rights over them and we do not vouch any responsibility for the accuracy of internet-sourced timelines and data, including names, spellings, and contents or obligations, if any.