बुध अष्टमी, महत्व और पूजनविधि
क्या है बुधअष्टमी-
हिंदू धर्म में बताया गया है कि जो भी मनुष्य पूरी श्रद्धा पूर्वक बुध अष्टमी का व्रत करता है उसे मृत्यु के पश्चात नरक नहीं जाना पड़ता है. लोक कथाओं के अनुसार बुध अष्टमी का उपवास करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
बुध अष्टमी कामहत्व-
हमारे शास्त्रों में अष्टमी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है. जिस बुधवार के दिन अष्टमी तिथि पड़ती है उसे बुध अष्टमी कहा जाता है. बुध अष्टमी के दिन सभी लोग विधिवत बुद्धदेव और सूर्य देव की पूजा अर्चना करते हैं. मान्यताओं के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में बुध कमजोर होता है उनके लिए बुध अष्टमी का व्रत बहुत ही फलदाई होता है.
बुध अष्टमी पूजनविधि-
बुध अष्टमी व्रतके लाभ-
• जो भी मनुष्य पूरे विधि विधान से बुध अष्टमी का व्रत करता है उसके सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं.
• बुध अष्टमी का व्रत करने से धन-धान्य पुत्र और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
• बुध अष्टमी का व्रत करने से मनुष्य धरती पर सभी सुखों को भोग कर मृत्यु के पश्चात स्वर्ग को प्राप्त होता है.
बुधाष्टमी के दिनकरें इनमंत्रो काजाप-
बुद्ध अष्टमी के बुध देव की पूजा करते वक़्त नीचे दिए गए मत्रों का उच्चारण करना चाहिए:
ऊं बुधाय नमः, ऊं सोमामात्मजायनमः
ऊं दुर्बुद्धिनाशनाय, ऊं सुबुद्धिप्रदायनमः
ऊं ताराजाताय,ऊं सोम्यग्रहाय नमः
ऊं सर्वसौख्याप्रदाय नम:।
बुद्ध दोष दूरकरने केलिए बुद्धअष्टमी केदिन करेंये उपाय-
अगर आपकी कुंडली में बुध दोष है और आप अपनी कुंडली से बुद्ध दोष को दूर करना चाहते हैं तो ,बुद्ध अष्टमी के दिन ये छोटे-छोटे उपाय करके इस दोष से छुटकारा पा सकते हैं.
• भगवान् गणेश को मोदक बहुत प्रिय है, अगर आप बुद्ध दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं तो बुद्ध अष्टमी के दिन भगवान् गणेश को मोदक का प्रसाद चढ़ाये.
• अपनी कुंडली से बुध दोष के प्रभाव को दूर करने के लिए बुद्ध अष्टमी के दिन अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली में पन्न रत्न धारण करें. पन्ना रत्न धारण करने से पहले किसी ज्योतिषी से सलाह जरूर लें.
• बुधवार के दिन गाय को हरी घास खिलाने से भी भगवान् गणेश प्रसन्न होते हैं और बुध दोष का असर कम होता है.
• कुंडली से बुद्ध दोष को दूर करने के लिए बुद्ध अष्टमी के दिन भगवान् गणेश को सिंदुर अर्पित करें.
• बुद्ध अष्टमी के दिन स्नान करने के पश्चात् किसी मंदिर में जाकर गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं. अगर आप भगवान गणेश को दूर्वा की 11 या 21 गांठ चढ़ाते है तो इससे आपको बहुत जल्द फल प्राप्त होगा.
बुधाष्टमी व्रत कथा-
मिथिला नाम की एक नगरी में निमि नाम का एक राजा रहते थे । वह एक लड़ाई में मारे गये। उनकी पत्नी जिनका नाम उर्मिला था अपने पति के बिना राज्य से निराश्रित हो इधर उधर भटकने लगी , तब अपने दो बच्चो को लेकर वह अवन्ति देश चली गई और वहाँ एक ब्राह्मण के घर में में गेहू पीसने का काम करती थी और गेहु पिसते समय वह थोड़े से गेहु चुराकर रख लेती और उसे से अपने भूखे बच्चो का पालन करती थी । कुछ समय बाद उर्मिला का निधन हो गया पर उसके बच्चे बड़े हो चुके थे। उसका पुत्र बड़ा होकर, मिथिला आया और पिता के राज्य को वापिस प्राप्त कर शासन करने लगा। उसकी बहन श्यामला भी विवाह योग्य हो गई थी। वह अत्यंत रूपवती थी व उसका विवाह अवन्ति देश के राजा धर्मराज से हो गया।
बुधअष्टमी की दूसरी कथा
भविष्यपुराण की एक कथा के अनुसार इल नाम के राजा रहा करते थे। एक बार वह हिरण का पीछा करते हुए, उस वन में जा पहुंचे जहां भगवान शिव और पार्वती जी भ्रमण कर रहे थे। उस समय शिव जी का आदेश था कि वन में पुरुष प्रवेश करते ही स्त्री में बदल जाए।
इसलिए जैसे ही राजा इल ने वन में प्रवेश किया वह स्त्री बन गए। इल के उत्तम स्वरूप को देख बुध देव उन पर मोहित हो गए तथा उनसे विवाह कर लिया। जिस दिन इल और बुध का विवाह हुआ उस दिन अष्टमी तिथि थी, तभी से बुधाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा।
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