चौमासी चौदस
चौमासी चौदस का पर्व जैन समुदाय के लोगों का एक अत्यधिक लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्योहार है. यह त्योहार आषाढ़ी पूर्णिमा (जून - जुलाई के दौरान पूर्णिमा के दिन) से आरम्भ होता है और कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर - नवंबर के दौरान पूर्णिमा का दिन) पर समाप्त होता है. जैन समुदाय के लोग चौमासी चौदस के पर्व को वर्षा वास भी कहते है.
चौमासी चौदस का महत्व-
चौमासी चौदस का पर्व बरसात के मौसम के दौरान आता है .. इस दौरान पूरी पृथ्वी हरे रंग की नज़र आती है और चारों ओर समृद्ध वनस्पति और जीव मौजूद होते हैं. जैन धर्म एक ऐसा धर्म है जो सख्त अहिंसा (अहिंसा परमो धर्मः) पर जोर देता है और इसलिए जैन धर्म अपने अनुयायियों को इस अवधि के दौरान यात्रा न करने के लिए प्रेरित करता है ताकि मानव आंदोलनों के कारण पौधों और जानवरों को नुकसान न पहुंचे. चौमासी चौदस के चार महीनो में जैन धर्म के ऋषि और संत पवित्र व्यक्ति एक स्थान पर बैठते हैं और धार्मिक गतिविधियों, प्रार्थनाओं और आध्यात्मिक चर्चाओं पर वार्तालाप करते हैं. इस प्रकार चौमासी चौदस का पर्व चार महीने तक मनाया जाता हैं. इन चार महीनो में उत्सव पूजा, दान और शुभ कार्यों और किसी के आध्यात्मिक विकास के लिए भी काम किया जाता हैं.
चौमासी चौदस के दौरान महत्वपूर्ण गतिविधियाँ
भगवान महावीर की शिक्षाओं से समृद्ध, जैन धर्म अपने अनुयायियों को शुद्ध हृदय और उदात्त आत्मा विकसित करने के लिए मार्गदर्शन करता है. चौमासी चौदस के पर्व का उद्देश्य सभी लोगों को अपने आंतरिक व्यक्तित्व की सफाई के लिए काम करने में मदद करना है. इस पर्व की अवधि के दौरान जैन समुदाय के लोग अपने घरों और कार्यालयों को साफ करते हैं और नए नए कपडे पहनते हैं. इन चार महीनो में दान पुण्य का भी विशेष महत्त्व माना गया है. चौमासी चौदस के चार महीनों के दौरान जैनियों की अन्य गतिविधियों में निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल हैं.
उपवास की प्रक्रियाओं का पालन करना और किसी पवित्र नदी में स्नान करना...
इन चार महीनो में जैन समुदाय के संत ध्यान और आध्यात्मिक विकास में लीन रहते हैं.
जो भी व्यक्ति चौमासी चौदस का उपवास करता है वो इन चार महीनो में सिर्फ दिन में केवल एक समय भोजन करता है।
जैन समुदाय के लोग इस पवित्र महीने में कहीं भी यात्रा करने से बचते हैं और जन कल्याण के लिए प्रार्थना करते रहते हैं.
जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं वो चौमासी चौदस के पर्व के दौरान जैन संतों को अपने घरों में आमंत्रित करके धार्मिक प्रवचन सुनते हैं.
क्षमा मांगने का समय
चौमासी चौदस की अवधि के दौरान एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व आता है जिसे पर्यूषण भी कहा जाता है. यह पर्व जैन धर्म में प्रमुख त्योहारों में से एक है, पर्युषण पर्व के दिन जैन धर्म के लोग एक दूसरे से अपने द्वारा की गयी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं. पर्युषण दिवस के समापन दिवस को क्षेमवाणी दिवस कहा जाता है, इस दिन जैन समुदाय के लोग एक-दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड भेजते हैं और एक दूसरे से सभी गलतियों के लिए मन, शब्द और विचार से क्षमा मांगते हैं. जैन धर्म के उच्च आदर्शों को चौमासी चौदस के त्योहार के माध्यम से अनुयायियों और लोगों के बीच प्रचारित किया जाता है.
चौमासी चौदस का सांस्कृतिक महत्व
चौमासी चौदस का पर्व भी जैन समुदाय के लोगों के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन के इर्द-गिर्द घूमता है. चौमासी चौदस की अवधि के दौरान सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक समारोहों के अलावा दूसरों के साथ रिश्तों को ताज़ा करने, साझा करने, देखभाल और क्षमा के प्रचार को बढ़ावा दिया जाता है. इसलिए चौमासी चौदस के पर्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता है.