Indian Festivals

चेटीचंड | Chetichand on 30 Mar 2025 (Sunday)

 

जानिए क्या है चेटीचंड पर्व का महत्व

पुरे भारत देश में अलग अलग धर्म, समुदाय और जातियों के लोग रहते है हमारे देश को अनेकता में एकता का प्रतीक माना जाता हैं. यह हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है कि हमारे देश में सभी धर्मों के त्योहारों को बहुत ही धूमधाम और प्रमुखता के साथ मनाया जाता है, फिर चाहे वो दिवाली का त्यौहार हो, ईद हो, क्रिसमस या फिर भगवान झूलेलाल की जयंती हो….सिंधी समुदाय में भगवान् झूलेलाल के जनमोत्स्व का त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस त्यौहार हो चेटीचंड के रूप में पूरे देश में बहुत ही उत्साह और हर्षोल्लास से मनाया जाता है.

चेटीचंड से जुडी विशेष बाते-

चेटीचंड के त्योहार से जुड़ी हुई बहुत सी किवंदतियां हैं मशहूर हैं. परंतु प्रमुख रूप से इस त्यौहार को लेकर यह किवदंती मशहूर है की चूंकि सिंधी समुदाय को एक व्यापारिक वर्ग माना जाता है तो सिंधी समुदाय के लोग हमेशा व्यापर करने के लिए जलमार्ग से आते जाते थे. रास्ते में इन्हे बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. जैसे जब ये लोग समुद्र में यात्रा करते थे तब कभी इन्हे समुद्री तूफान घेर लेता था तो कभी जीव-जंतु, चट्टानें व समुद्री दस्यु गिरोह इनपर हमला कर इनका सारा माल लूट लेते थे. इसलिए जब ये लोग जल मार्ग से यात्रा करने निकलते थे तब इनकी पत्नियां वरुण देवता की आराधना करती थीं और उनसे तरह-तरह की मन्नते मांगती थीं. 

भगवान झूलेलाल को जल का देवता माना जाता हैं. इसलिए झूलेलाल सिंधी संदाय के आराध्य देव माने जाते हैं. जब पुरुष वर्ग जलमार्ग से कुशलता पूर्वक घर वापस आ जाता था तब चेटीचंड को एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता था. झूलेलाल को धन्यवाद देकर उनसे मन्नतें मांगी जाती थी और भंडारा किया जाता था.

चेटीचंड से जुडी विशेष बातें-

• जब बंटवारे के बाद सिंधी समुदाय के लोग भारत में रहने के लिए आये तो ये सभी लोग तितर-बितर हो गए.  

• उस वक़्त साल 1952 में प्रोफेसर राम पंजवानी ने सिंधी समुदाय के लोगों को इकठ्ठा करने के लिए बहुत सारी कोशिशे की. 

• प्रोफेसर राम पंजवानी उन सभी जगहों पर जाकर सिंधी लोगों को इकठ्ठा करने लगे जहाँ जहाँ वो लोग रहते थे.

• प्रोफेसर की कोशिशे रंग लायी और एक बार फिर भारत में भगवान झूलेलाल का त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ से मनाया जाने लगा. 

• आज के समय में पूरा सिंधी समुदाय प्रोफेसर राम पंजवानी का आभारी है. 

मान्यताओं के अनुसार चेटीचंड का त्यौहार-

• आज के समय में भी जो लोग समुद्र के किनारे रहते हैं वो जल के देवता भगवान झूलेलाल जी की पूजा करते हैं. 

•भगवान् झूलेलाल को अमरलाल व उडेरोलाला भी कहा जाता है. 

• भगवान झूलेलाल जी ने धर्म की रक्षा करने के लिए बहुत सारे साहसिक काम किये हैं जिसकी वजह से आज के समय में इनकी मान्यता इतनी ऊंचाई पर पहुँच पाई है.

• चेटीचंड का पर्व सिंधी समाज का विक्रम संवत का पवित्र शुभारंभ दिवस माना जाता है. 

• विक्रम संवत 1007 सन् 951 ई. में आज के ही दिन  सिंध प्रांत के नसरपुर नगर में रहने वाले रतनराय के घर माता देवकी के गर्भ से प्रभु खुद एक तेजस्वी बालक उदयचंद्र के रूप में अवतरित हुए थे.

• भगवन के इस अवतार ने पापियों का नाश करके धर्म की रक्षा की.

• आज के समय में चेटीचंड के त्यौहार का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं रह गया है बल्कि अब ये त्यौहार सिंधु सभ्यता के प्रतीक बन चूका है.

• सिंधी समुदाय के लोग चेटीचंड पर्व को एक- दूसरे के साथ भाईचारे के साथ एक सिंधियत दिवस के रूप में मनाते है.

• चेटीचंड पर्व के दिन पूरा सिंधी समुदाय एक जगह एकत्र होकर भगवान् झूलेलाल की जयंती को बहुत ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाता है.