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दर्श अमावस्या का महत्व on 14 Jul 2021 (Wednesday)

दर्श अमावस्या का महत्व:-
जो लोग दर्श अमावस्या की पूजा और उपवास करते हैं उन्हें चंद्रमा देवता की विशेष कृपा मिलती है और उन्हें शीतलता और शांति का एहसास होता है . इस दिन पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिवार जनों को आशीर्वाद देते हैं इसलिए इस दिन अपने पूर्वजों के लिए प्रार्थना की जाती है और इस अमावस्या को श्राद्ध अमावस्या भी कहा जाता है. पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन पितृ तर्पण, स्नान-दान आदि करना बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है.अगर आपके जीवन में बहुत समय से सफलता हाथ नहीं लग रही और संघर्ष चल रहा है तो आप दर्श अमावस्या का व्रत रखकर चंद्र पूजन करें इससे आपके जीवन में सफलता जरूर आएगी.

दर्श अमावस्या कब और क्यों मनाई जाती है:-
भारतीय अखंड ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर माह के कॄष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या तिथि का उद्गमन होता है इस दिन प्रेतात्माएं अधिक प्रभावशील रहती है इसीलिए चतुर्दशी और अमावस्या के दिन बुरे कार्यों तथा नकारात्मक विचार से दूरी बनाए रखने में व्यक्ति को सुख का अनुभव होता है। खासकर इस दिन किया गया पितृ विसर्जन या पितृ देवों के नाम का दान बहुत ही शुभ माना जाता है। विशेषकर धार्मिक कार्यों तथा मंत्र जाप, पूजा-पाठ आदि पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। परन्तु अमावस्या में विशेष दर्श अमावस्या को अति शुभ माना जाता है इस दिन चांद पूरी रात्रि लुप्त रहता है और इस दिन चंद्रमा की विशेष पूजा होती है।

दर्श अमावस्या की मान्यताए:-
कहा जाता है कि सुख समृद्धि व पितृ देवों के उद्धार की कामना के लिए यह दिन विशेष होता है। इस दिन पूर्वजों की पूजा करना भी शुभ माना जाता है और चन्द्र दर्शन करना जरूरी होता है। चंद्रमा को देखने के बाद उपवास आदि तोड़ने का भी विधान है। कहा जाता है कि जो लोग इस दिन सच्चे दिल से प्रार्थना करते हैं चंद्र देव उनकी प्रार्थना जरूर सुनते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकमना पूरी करते हैं। साथ ही जीवन में अच्छे भाग्य और समृद्धि को प्रदान करते हैं। दर्श अमावस्या के दिन की गयी चंद्र देव की पूजा से मानव जीवन में आ रही अड़चनों का समाधान मिलता है और व्यक्ति अपनी सभी परेशानियों से मुक्त भौतिक जीवन में सुखमय प्राप्त करता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास करने वाला व्यक्ति आध्यात्मिक संवेदनशीलता को प्राप्त करता है। मन को शीतलता और शांति मिलती है। भारतीय धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि चंद्र देव हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण नवग्रहों में से हैं। 

दर्श अमावस्या की विधि:-
  • संध्या के समय चंद्र देव का दशोपचार पूजन करें। 
  • गाय के घी का दीपक जलाएं, कर्पूर जलाकर धूप करें, सफेद फूल, चंदन, चावल व इत्र चढ़ाएं, खीर का भोग लगाएं। 
  • पंचामृत से चंद्रमा को अर्घ्य दे तथा सफेद चंदन की माला से १०८ बार "ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः"  मंत्र का जप करें। पूजन के बाद का भोग किसी स्त्री को भेंट करने के लिए कहा गया है।