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दर्शवला अमावस्या | Darshvala Amavasya on 29 Jan 2025 (Wednesday)


दर्शवला अमावस्या

दर्शवला अमावस्या सूर्यास्त के बाद शुरू होकर पूरी रात चलती है और इस रात में चाँद के दर्शना नहीं होते है। यदि आपको अपने पूर्वजों की परलोकगमन की तिथियाँ मालूम नहीं हैं तो आप इस दिन शुभ दिन यानि दर्शवाल अमावस्या के दिन श्राद्ध-कर्म कर सकते हैं और उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है।

मह्तव – 

दर्शवला अमावस्या का अपना बहुत ही अधिक महत्व है ऐसा कहा जाता है इस दिन उपवास करने से बहुत अधिक लाभ प्रदान होता हैं । साल में कुछ विशिष्ट अमावस्या तिथियां हैं जिन पर अमावस्या व्रत मनाया जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से आपको अपने पिछले पापों से छुटकारा पाने में मदद मिलती हैं। इसके अलावा दर्शावाल अमावस्या व्रत करने से सफलता, समृद्धि, स्वास्थ्य, धन और प्रेम काआशीर्वाद मिलता है। इस दिन पूर्वजों को याद रखने और उनका आशीर्वाद लेने की प्रथा भी है।


क्या ना करें – 

क्योंकिअधिकांश संस्कृतियों में, अमावस्या को अशुभ माना जाता है इसलिये इस समय पर किसी भी प्रकार शुभ कार्य नहीं करना चाहिये।
भोग विलास की वस्तुओं से दूर रहें। 
घर को गंदा ना रखें क्योंकि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा बढती है
स्वंय को अंधेरे स्थान से दूर रखें.

क्या करें – 

ईश्वर का ध्यान करें 
घर को साफ और स्वच्छ रखे 
उपवास रखे और मन को स्वच्छ रखे
इस मंत्र का उच्चारण भी करें – 
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु, ॐ नम: परमात्मने श्री पुराण पुरुषोत्तमस्य श्री विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्री ब्रह्मणो द्वितीय परार्धे श्री श्वेत वराह कल्पे वैवस्वत् मन्वन्तरेअष्टाविंशतितमे कलियुगे कलि प्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भारतवर्षे भरत खण्डे आर्यावन्तार्गत ब्रह्मावर्तेक देशे पुण्यप्रदेशे

मान्याताएं – 

ऐसा माना जाता है कि अमावस्या बहुत ही अशुभ रात होती है और इस दौरान बुरी शक्तियां बहुत ही अधिक मजबूत होती हैं। इसी कारण इस समय कोई भी शुभ काम नहीं होता है। लोग इस दौरान काले जादू और 'तांत्रिक' गतिविधियों के होने की संभावना बहुत ही अधिक बढ जाता है। अमावस्या के प्रभाव से बचने के लिये इस दौरान यात्रा आदि ना करने की सलाह दी जाती है।

कथा – 

महीने की सबसे अंधेरी रात अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत ही आध्यात्मिक महत्व है। हिंदू शास्त्र 'गरुड़ पुराण' के अनुसार, भगवान विष्णु ने घोषणा की थी कि अमावस्या के दिन किसी के पूर्वजों को धरती पर आना चाहिए। इस दिन उन्हें भोजन और प्रार्थनाएं देना महत्वपूर्ण है अन्यथा वे नाराज हो सकते हैं। अमावस्या एक दिन है जो आपके पूर्वजों के प्रति आपका सम्मान दिखाता है और उनका आशीर्वाद प्रदान करता है। इसके अलावा, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना आपकी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकता है,

एक बार की बात है कि मनुष्य राक्षसो की नगरी में रहने चले गये जहां वह उनके अत्याचारों से काफी परेशान हो गये थे। मनुष्यों ने उनसे स्वंय की जान बचाने की गुहार लगाई लेकिन य़क्षों ने इस संबंध में कहा कि उन लोगों को स्वादिष्ट भोजन यानि मांस का न्यौता देना होगा उन्हें। यदि ऐसा होता है तभी वह उन्हें चैन से जीने देगें। और अपनी जाने बचाने के लिये मनुष्यों ने यह शर्त मान ली और उन्हे भोजन पहुचाया जाने लगा। इसके लिये उन्हें मसूर की दाल और चावल को मिलाकर दिया जाने लगा। और तभी से यह प्रथा चल रही है। पौश अमावस्या को पीले रंग के चावल तैयार किय जाते है उनका भोग यक्षो को लगाया जाता है।