Indian Festivals

दुर्गा विसर्जन | Durga Visarjan on 02 Oct 2025 (Thursday)

 
 बंगाल में दशहरा और नवरात्री का पर्व एक बहुत ही अलग और खूबसूरत तरीके से मनाया जाता है।  यह बंगाल में मनाये जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। 

नौ रात और दस दिनों तक मनाये जाने वाला यह एक बंगाल का ख़ास उत्सव है।   इस त्यौहार के लिए सभी लोग बहुत सी तरह तरह की खरीदारियां करते है।  चाहे वह घर के लिए हो या त्यौहार को मनाने से जुडी हो।  हर दिन एक नए उत्साह, उमंग व् रीती रिवाज़ों के साथ ये पर्व बंगाल में मनाया जाता है।  इस पर्व की शुरुआत से ही लोग इसे नाच गा कर मनाते हैं।  इन् दिनों को हर दिन एक नए रीती रिवाज़ और परम्पराओं के साथ मनाया जाता है।  महालया अर्थात माँ का स्वागत सत्कार ही बहुत धूम धाम से किया जाता है।  ऐसी मान्यता है की हर साल माँ दर्शन देने  धरती पर आतीं हैं। 

माँ दुर्गा का जन्म दैत्य महिषासुर का वध करने के लिए ही हुआ था।  सभी देवताओं ने एक एक कर माँ दुर्गा को अपने अस्त्र शास्त्रों का ज्ञान दिया।  महालया पर की जाने वाली प्रारंभिक गतिविधियां यही दर्शाती है।  नवरात्री के छटे दिन, दैत्य से युद्ध शुरू होने से पहले इन्ही अस्त्र शास्त्रों का पूजा का विधान है|माँ दुर्गा की दैत्य महिषासुर पर जीत अष्टमी तिथि किए दिन हुई थी और अष्टमी तिथि से ही उत्सव एकदम ज़ोरो शोरो से होने लगते है।  यह ख़ुशी व् आनंद माँ के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए, लोग माँ कके उत्सव को पूर्ण धूम धाम व् विधिवत मनाते है नौवा दिन रामनवमी के रूप में मनाई जाती है।  भगवान राम ने भी लंका में रावण का वध करने के लिए युद्ध से पहले माँ की पूजा अर्चना की थी। 

दशमी तिथि सबसे महत्वपूर्ण व् बहुत ही रौनक से मनाई जाने वाली तिथि है।  इस दिन सभी लोग एक दूसरे को उपहार व् मिठाईयों के साथ बधाईयां देते है।  परिवार के सभी सदस्य सजे धजे, पंडालों में लगे मेलों व् माँ के दर्शन को जाते हैं।  माँ की विधिवत पूजन कर सभी श्रध्दालु माँ को गाजे बाजों के साथ और बहुत ही धूम धाम से नाचते गाते विसर्जन के लिए लेकर जाते है।  और विसर्जन के बात माँ से अगले साल जल्दी आने की भी कामना करते हैं। 

विसर्जन विधि:-
सूर्य उदय के पूर्व उठ स्नान आदि कर खुद को शुद्ध कर लें। 
अब माँ की पूजा उपासना शुरू करें। 
माँ के चरण धोये गंगाजलं से। 
माँ को वस्त्र अर्पित करें और उनका श्रृंगार भी करें। 
उन्हें हल्दी कुमकुम का तिलक लगाएं। 
माँ को लाल फूलों की माला भी अर्पित करें। 
माँ के आगे घी का दीपक लगाएं और कपूर लौंग से उनकी आरती करें। 
माँ को मिष्ठान व् चने, हलवा, पूरी का भी भोग लगाएं। 
अब माँ को पूर्ण सत्कार आदर प्रेम के साथ विसर्जन के लिए लेकर जाएं। 
किसी पवित्र नदी या सरोवर में माँ का विसर्जन करें।  
 

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