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दशहरा | Dusshera on 02 Oct 2025 (Thursday)

 
दशहरा अर्थात  बुराई पर अच्छाई की जीत।  दशहरा एक ऐसा पर्व है, जो हमे यह विश्वास दिलाता है की बुराई कितनी भी तेज़ी से आगे बढ़ जाये परन्तु अंत में जीत अच्छाई की ही होती है दशहरा के आते ही बहुत सी जगहों पर मेले लगने शुरू हो जाते है, कई जगह रामलीला भी होती है। 
हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है की इस दिन कोई भी नया कार्य शुरू करना बहुत ही शुभ होता है। 

दशहरा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।  दशहरा अर्थात "दश" मतलब रावण के दस सिर और हरा मतलब हार ।  भारत के पश्चिमी हिस्सों में विजय दशमी माँ दुर्गा की जीत पर मनाई जाती है।  बंगाल में विजय दशमी के दिन माँ दुर्गा ने दैत्य महिषासुर का वध किया था। इसी दिन श्री राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की थी।

पौराणिक कथाओ के अनुसार रावण अत्यंत शक्तिशाली था। रावण ने अपने पुत्र मेघनाथ के होने से पहले ही मेघनाथ को अमर बनाने की योजना बना ली थी परन्तु अंत समय में शनि ने अपनी चाल बदल ली।  जिसके चलते रावण ने शनि को बंधी बना लिया था। 

रावण को वेद और संस्कृत का ज्ञान था।  वो साम वेद में निपुण था।  मान्‍यता है कि उसने शिवतांडव, युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की।  साम वेद के अलावा उसे बाकी तीनों वेदों का भी ज्ञान था।  इतना ही नहीं पद पथ में भी उसे महारत हासिल थी।  रावण को संगीत का भी शौक़ था।  रुद्र वीणा बजाने में रावण को हराना लगभग नामुमकिन था।  रावण जब भी परेशान होता वो रुद्र वीणा बजाता था। 

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है की, रावण के दस सिर नहीं थे बल्कि रावण दस सिर होने का भ्रम पैदा करता था और दशानन कहलाया जाता था।  जैन शास्त्रों में उल्लेख है कि रावण के गले में बड़ी बड़ी गोलाकार नौ मणियां होती थीं।  उक्त नौ मणियों में उसका सिर दिखाई देता था जिसके कारण उसके दस सिर होने का भ्रम होता था।  एक मान्‍यता यह भी है कि श्री राम ने रावण के दसों सिर का वध किया था, जिसे प्रतिकात्‍मक रूप से अपने अंदर की 10 बुराईयों को खत्‍म करने से जोड़कर देखा जाता है. काम, क्रोध, मोह, लोभ, पाप, स्‍वार्थ, जलन, अहंकार, अमानवता और अन्‍याय वो दस बुराईयां हैं। 
 
लंका में युद्ध प्रारम्भ करने से पहले भगवान् राम ने माँ दुर्गा से विजय का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा की थी।   पूजा के दौरान भगवान् राम माँ को कमल के फूल अर्पित करे थे जिसमे से माँ ने राम की परीक्षा लेने के लिए एक गायब कर दिया। 
 
क्यूंकि भगवान राम को कमल नेत्र वाले कहा जाता था उन्होंने जब देखा की एक फूल नहीं है तोह उन्होंने निश्चय किया की वे अपना एक नेत्र माँ को अर्पित करेंगे।  जैसे ही भगवान राम ने अपना नेत्र निकालना चाहा तभी माँ दुर्गा उनसे प्रसन्न हो वह प्रकट होगई और उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दिया। 


दशहरा पूजा सामग्री:

 दशहरा प्रतिमा
 गाय का गोबर, चूना
तिलक, मौली, चावल और फूल
नवरात्रि के वक्त उगे हुए जौ
केले, मूली, ग्वारफली, गुड़
खीर पूरी आपके बहीखाते
 
दशहरा पूजन विधि: 

सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें।
गेहूं या चूने से दशहरा प्रतिमा बनाएं।
गाय के गोबर के 9 गोले बनाएं।
गोबर से दो कटोरियां बनाएं। एक कटोरी में कुछ सिक्के रखें दूसरे में रोली, चावल, फल और जौ रखें।
पानी, रोली, चावल , फूल और जौ के साथ पूजा शुरू करें।
प्रतिमा को केले, मूली, ग्वारफली, गुड़ और चावल अर्पित करें।
प्रतिमा को धूप और दीप दें।
बहीखातों को भी फूल, जौ, रोली और चावल चढ़ाएं।
अगर दिवाली के लिए नए खाते मंगवाने हैं तो इसी दिन मंगवाए जा सकते हैं।
पूजा के बाद गोबर की कटोरी से सिक्के निकाल कर सुरक्षित जगह रख दें।
ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
रावण दहन के पश्चात् सोना पत्ती का वितरण करें और घर के बड़े और रिश्तेदारों को प्रणाम कर परस्पर मिलन आयोजन करें।
 

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