महत्व:-
इस्लाम में इस दिन का खास महत्व है। कुरान के मुताबिक ईद-ए-मिलाद को मौलिद मावलिद के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है पैगंबर के जन्म का दिन। इसकी तारीख दुनियाभर में अलग-अलग है क्योंकि यह चंद्र कैलेंडर पर आधारित होता है।
कब और क्यों मनाई जाती है:-
हजरत मोहम्मद मुस्लिम धर्म के आखिरी संदेशवाहक और सबसे महान नबी माने जाते हैं। इस दिन ५७० ईसवी में पैगंबर हजरत मुहम्मद का मक्का में जन्म हुआ था। इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की १२ वीं तारीख को उनका जन्म माना जाता है। इस दिन लोग नमाज पढ़ते हैं, शायरी और कविताओं के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। यह दिन पैगंबर मुहम्मद और उनके उपेदेशों को पूरी तरह समर्पित होता है।
मान्यताए:-
ऐसी मान्यता है कि उनको स्वयं अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रईल के द्वारा कुरान का सन्देश दिया था। मुस्लिम धर्म के लोग इनके लिए हमेशा परम आदर भाव रखते हैं। इस्लामिक धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ कुरान ईद के दिन जरूर पढ़ा जाता है। मुसलमानों के लिए ये बड़ा त्यौहार हैं। लेकिन इस त्यौहार को लेकर शिया और सुन्नी के अलग-अलग मत है। मुस्लिम धर्म के शिया समुदाय के लोग पैगंबर हजरत मुहम्मद के जन्म की खुशी में इसे मनाते है और वहीं दूसरी ओर सुन्नी समुदाय का मानना है कि ये दिन उनकी मौत का दिन है, इस कारण वो पूरे माह शोक मनाते हैं। कई लोग मानते हैं कि उन्होंने ही सर्वप्रथम इस्लाम के पांच सिद्धांत रोजा, नमाज, जकात, तौहीद और हज की यात्रा के विषय में लोगों को जानकारी दी।