फुलेरा दूज का महत्व और पूजा विधि
फुलेरा दूज का त्यौहार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन मनाया जाता है. बसंत पंचमी के पर्व के बाद और होली के पर्व से पहले फुलेरा दूज का त्योहार एक बड़े त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. फुलेरा दूज का पर्व खास रूप से मथुरा और वृंदावन में बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से फुलेरा दूज का महत्व और पूजन विधि बताने जा रहे हैं.
फुलेरा दूज का महत्त्व-
• फुलेरा दूज का पर्व विशेष रूप से उत्तरी भारत में मनाया जाता है.
• फुलेरा दूज को रंगों का त्योहार भी कहा जाता है.
• फुलेरा दूज का पर्व भगवान श्री कृष्ण और राधा जी के मिलन के रूप मे मनाया जाता है.
• फुलेरा दूज का पर्व विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में बड़े स्तर पर मनाया जाता है.
• इस दिन सभी मंदिरों में भजन कीर्तन और कृष्ण लीलाओं का आयोजन किया जाता हैं.
• मान्यताओं के अनुसार फुलेरा दूज का दिन दोष मुक्त माना गया है. इसलिए फुलेरा दूज के दिन किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य किये जा सकते है.
• फुलेरा दूज के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है और उन्हें गुलाल चढ़ाया जाता है.
फुलेरा दूज से जुडी विशेष बाते –
• पूरी दुनिया भगवान श्री कृष्ण और राधा जी के प्रेम से भलीभांति परिचित है.
• भगवान् श्रीकृष्ण और राधा जी ने भले ही एक दूसरे से विवाह नहीं किया था पर इन दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए अत्यधिक प्रेम था.
• पुराणों में बताया गया है की भगवान श्री कृष्ण और राधा जी का प्रेम फाल्गुन महीने में अपने चरम पर था.
• इसी समय गोपियों ने राधा कृष्ण के ऊपर फूलों की बरसात करके इन दोनों के प्रेम को स्वीकार किया था.
• इसके अलावा फुलेरा दूज के दिन से मथुरा और वृदावन में होली के पर्व की शुरुआत हो जाती है.
• फुलेरा दूज के दिन सभी मंदिरों को अलग अलग के फूलों से सजाया जाता है.
• इस दिन सभी लोग राधा कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के रूप में फूलों के द्वारा एक दूसरे के साथ होली खेलते हैं. और एक दूसरे को फूलों के गुलदस्ते उपहार में देते हैं.
• फुलेरा दूज का पर्व दाम्पत्य जीवन को मधूर बनाने के लिए मनाया जाता है.
• मान्यताओं के अनुसार फुलेरा दूज के दिन में साक्षात भगवान श्री कृष्ण का अंश मौजूद होता है. इसीलिए इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है.
फुलेरा दूज की पूजा विधि-
• फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की विशेष पूजा की जाती है.
• फुलेरा दूज के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत होकर स्नान करें.
• स्नान करने के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
• अब अपने घर के पूजा कक्ष में एक लकड़ी की चौकी रखे.
• अब चौकी पर थोड़ा सा गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध कर लें.
• अब इस चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. अब चौकी को रंग बिरंगे फूलों से सजाएं.
• अब चौकी पर भगवान् कृष्ण और राधा की मूर्ति की स्थापना करें.
• अगर आपके पास मूर्ति नहीं है तो आप राधा कृष्ण की तस्वीर की स्थापना भी कर सकते है.
• अब भगवान श्री कृष्ण और राधा को गुलाल चढ़ाएं और राधा जी को सुहाग की सभी सामग्री अर्पित करें.
• भगवान् को सभी वस्तुएं चढ़ाने के बाद विधि विधान से भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की पूजा करें.
• अब भगवान श्री कृष्ण और राधा जी को मिष्ठान का भोग चढ़ाएं.
• अब भगवान श्री कृष्ण को अर्पित किये गए गुलाल से थोड़ा सा गुलाल लेकर अपने माथे पर तिलक करें और थोड़ा सा गुलाल अपने गालों पर भी लगाएं.
• यदि आप स्त्री हैं तो राधा जी पर अर्पित की गयी सुहाग की सामग्री में से कोई भी एक चीज अपने पास रख लें. और बाकी की पूरी सामग्री किसी सुहागन महिला को दान में दे दें.
• पूजा समाप्त होने के बाद अपने दोनों हाथ जोड़कर राधा कृष्ण से पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें.