गीता जयंती के दिन कुरुक्षेत्र की रण स्थली में अपनों के मोह में पड़े अर्जुन को भगवान कृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था. इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है. गीता जयंती को मोक्षदा एकादशी के नाम से भी मनाया जाता है. गीता एक संजीवनी विद्या है. गीता के उपदेशों में बताया गया है कि मनुष्य महान है, अमर है, असीम शक्ति का भंडार है.
गीता जयंती से जुडी खास बाते:-
- जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तब अर्जुन ने शत्रुओं के रूप में अपनों को देखा तब वह बहुत दुखी हो गए और उन्होंने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में भगवान श्रीकृष्ण से कहा भगवन में यह युद्ध नहीं लड़ सकता.
- अर्जुन ने कहा की अपने ही बंधु बांधव और गुरु का वध करके मैं राज सुख नहीं भोग सकता हूं. कुछ समय पहले यही अर्जुन कौरवों की सेना का नाश करने का संकल्प ले चुके थे, पर शत्रु के रूप में अपनों को देखकर परिस्थिति वश अर्जुन कर्म से विमुख हो गए.
- कर्तव्य विमुख अर्जुन को सही राह पर लाने के लिए श्री कृष्ण ने जो उपदेश दिए वही गीता है.
गीता जयंती का महत्व:-
- गीता को विश्व के सबसे महान ग्रंथों में से एक माना जाता है. श्री शंकराचार्य से लेकर बिनोवा भावे तक सभी महान साधकों ने गीता को बहुत महत्वपूर्ण माना है.
- श्री लोकमान तिलक ने गीता से ही कर्म योग लिया था. गीता के उपदेशों से प्रेरित होकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने "अनासक्ति योग” किताब लिखी थी.
- गीता के महत्व का पालन करते हुए महात्मा गांधी जी ने अपनी किताब में लिखा "जब मैं किसी विषय पर विचार करने में असमर्थ होता हूं तब गीता मुझे प्रेरणा देती है” इसके अलावा महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने कहा है कि "गीता अमृत है और इस अमृत का पान करने से मनुष्य अमर हो जाता है”
- गीता की शुरुआत धर्म और अंत कर्म से होता है. गीता सभी मनुष्य को प्रेरणा प्रदान करती है. गीता का लक्ष्य मनुष्य को कर्तव्य बोध कराना है.
- इसी आधार पर अर्जुन ने रणभूमि में यह स्वीकार किया था भगवान अब मेरा मोह खत्म हो गया है. अज्ञानता के कारण मैं युद्ध से पीछे हट रहा था, पर अब मुझे ज्ञान का प्रकाश मिल गया है और मैं आपके आदेश का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हूं.
- गीता में 18 अध्याय हैं. महाभारत का युद्ध 18 दिन तक चला था. गीता में 700 श्लोक हैं. भगवत गीता में भक्ति और कर्म योग का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है.
- गीता श्लोक ओं में ज्ञान को सर्वोच्च माना गया है. ज्ञान प्राप्त होने पर मनुष्य की सभी शंकाएं दूर हो जाती हैं. इसीलिए गीता को सर्व शास्त्र मई माना गया है.
- श्री कृष्ण का उपदेश "कर्म करो फल की चिंता ना करो” अर्थात फल की इच्छा रखने वाला व्यक्ति कार्य में विफल होकर दुखी हो जाता है.
- गीता जयंती के दिन श्री कृष्ण व्यास आदि की नियम पूर्वक पूजा करके गीता जयंती का पर्व मनाना चाहिए. इस दिन गीता पाठ तथा गीता पर प्रवचन व्याख्यान आदि का आयोजन करना चाहिए.
- हमारा कर्तव्य है कि हम प्राचीन धार्मिक हिंदू धर्म संस्कृति को बचाए. अगर इस ओर ध्यान ना दिया जाए तो हमारे अस्तित्व को खतरा हो सकता है.
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