गुप्त नवरात्री के आठवें दिन इन तरीको से करें माँ बगलामुखी की पूजा, होगा शत्रुओं का नाश
गुप्त नवरात्री में माँ बगलामुखी की पूजा का महत्व-
गुप्त नवरात्री में देवी के दस विद्याओं की पूजा की जाती है. दस महाविद्या में आठवीं विद्या है माँ बगलामुखी. गुप्त नवरात्री के आठवे दिन माँ बगलामुखी की पूजा करने का नियम है. माँ बगला मुखी को पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है. माँ बगलामुखी के मुख से पीली आभा निकलती रहती है. इनकी पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व होता है. माँ बगलामुखी को स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है की सौराष्ट्र में आये महातूफ़ान को शान्त करने के लिये भगवान विष्णु ने माँ बगलामुखी की तपस्या की थी. भगवान् विष्णु के द्वारा की गयी तपस्या के फलस्वरुप माँ बगलामुखी का प्राकट्य हुआ था. विशेष रूप से शत्रु और विरोधियों को परास्त करने तथा मुकदमे में जीत हासिल करने के लिए माँ बगलामुखी की उपासना अचूक मानी जाती है.
माँ बगलामुखी की पूजा में रखे ये सावधानियां -
• माँ बगलामुखी की पूजा तांत्रिक पूजा होती है इसलिए बिना किसी गुरु के निर्देश के इनकी पूजा नही करनी चाहिए.
• कभी भी माँ बगलामुखी की पूजा किसी के नाश के लिये नहीं करनी चाहिए.
• माँ बगलामुखी की पूजा में हमेशा पीले आसन, पीले वस्त्र, पीले फल और पीले नैवैद्य का प्रयोग करना चाहिए
• माँ बगलामुखी के मन्त्र का जाप करने के लिये हमेशा हल्दी की माला का प्रयोग करना चाहिए.
• माँ बगलामुखी की पूजा हमेशा सँध्याकाल या मध्यरात्रि में करनी चाहिए.
• अगर आप अपने शत्रु और विरोधियों को शांत करना चाहते हैं तो माँ बगलामुखी के जन्मोत्सव और गुप्त नवरात्री में इनकी पूजा जरूर करें.
पूजन विधि-
• महाविद्या बगलामुखी की साधना को करने के लिए व्यक्ति की सभी पूजन सामग्री में विशेष रूप से सिद्धि युक्त होनी चाहिये. अगर ऐसा नही हुआ तो आपकी साधना सफल नहीं होगी.
• महाविद्या बगलामुखी की साधना में साधक के पास सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित "बगलामुखी यंत्र”, "हल्दी की माला” आदि चीजें होना आवश्यक है.
• महाविद्या बगलामुखी की साधना आप गुप्त नवरात्रि के दिन आरम्भ कर सकते हैं .
• माँ बगलामुखी की साधना रात्रि में कर सकते हैं .
• महाविद्या बगलामुखी की साधना करने के लिए स्नान करने के पश्चात् शुद्ध पीले वस्त्र धारण करें.
• अब अपने घर में किसी एकान्त या पूजा कक्ष में पूर्व दिशा की तरफ़ मुख करके बैठ जाएँ.
• बैठने के लिए हमेशा पीले रंग के ऊनी आसन का प्रयोग करें.
• अब अपने सामने एक लकड़ी की चौकी रखे और इसके ऊपर गंगाजल छिड़ककर इसे शुद्ध कर लें.
• अब चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर एक प्लेट रखे.
• अब प्लेट में हल्दी से षटकोण का निर्माण करें.
• अब इस षटकोण में पीली सरसों रखकर उसके ऊपर सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त "बगलामुखी यंत्र” की स्थापना करें.
• इसके पश्चात् बगलामुखी यन्त्र के समक्ष शुद्ध गाय घी का दीपक प्रज्वलित करके बगलामुखी यंत्र का पूजन करें.
• पूजन करने के पश्चात् बगलामुखी कवच का पाठ करें.
• माँ बगलामुखी की साधना ग्यारह दिनों तक की जाती है .
• माँ बगलामुखी की साधना करते समय साधक को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ सभी नियमों का पालन करना चाहिए.
• नियमित रूप से माँ बगलामुखी के मन्त्र का जाप करने से पहले ऊपर दी गई संक्षिप्त पूजन विधि जरुर करें .
• ग्यारह दिनों की पूजा करने के पश्चात् पूजा संपन्न करने के लिए हवन अवश्य करें .
• माँ बगलामुखी के हवन में पीली सरसों, हल्दी, पीले पुष्प, शुद्ध गाय का घी मिलाकर हवन कुंड में आहुति दें.
• हवन पूर्ण करने के पश्चात् अपने घर के मदिर में माँ बगलामुखी यंत्र की स्थापना कर दें. या इसे अपने गले में धारण कर लें.
• पूजा और हवन में बची हुई पूजा सामग्री को किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें या किसी पीपल के पेड़ नीचे गड्ढा खोद कर दबा दें.
• ऐसा करने से आपकी साधना पूर्ण हो जाएगी और आपके ऊपर माँ बगलामुखी देवी की कृपा हमेसा बनी रही हैं .
• माँ बगलामुखी की साधना करने से मनुष्य के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और धन प्राप्ति के नये-नये अवसर मिलते हैं .
• माँ बगलामुखी की साधना करने से साधक के सभी शत्रु समाप्त हो जाते हैं.
• शत्रुओं का नाश करने के लिए इन तरीको से करें माँ बगलामुखी की पूजा
• शत्रुओं का नाश करने के लिए एक लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं
• अब चौकी पर माँ बगलामुखी के चित्र या प्रतिमा को स्थापित करें.
• अब माँ बगलामुखी की तस्वीर के सामने अखंड दीप प्रज्वलित करें. अब माँ को पीले रंग के फूल और पीला नैवेद्य चढ़ाएं.
• अब माँ बगलामुखी से पहले भैरव, मृत्युंजय की अराधाना करें.
• अब बगला कवच का पाठ करें.
• कवच का पाठ करने के पश्चात् संकल्प लेकर मन्त्र का जाप करें
मंत्र
"ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय, जिह्ववां कीलय, बुद्धि विनाशय, ह्रीं ॐ स्वाहा"
• इस मन्त्र का जाप कम से कम 108 बार करें
• अनुष्ठान पूरा करने के पश्चात् दशांश हवन भी करें.
दरिद्रता दूर करने के लिये ऐसे करें करे माँ बगलामुखी की उपासना -
• दरिद्रता दूर करने के लिए नियमित रूप से सुबह माँ बगलामुखी की आराधना करें.
• अब हल्दी की माला लेकर दरिद्रता नाश के मन्त्र का 108 बार जाप करें.
मंत्र –
"श्रीं ह्रीं ऐं भगवती बगले मे श्रियं देहि देहि स्वाहा"
• माँ बगलामुखी की पूजा में सात्विकता बनाये रखें.
माँ बगलामुखी कृपा पाने के लिए -
• गुप्त नवरात्री में आठवे दिन माँ बगलामुखी को हल्दी की दो गाँठ अर्पित करें
• अब माँ बगलामुखी के सामने अपने दोनों हाथ जोड़ कर अपने शत्रु और विरोधियों के शांत हो जाने की प्रार्थना करें.
• अब माँ बगलामुखी को अर्पित की गयी हल्दी की दो गांठो में से एक गाँठ अपने पास रख लें.
• बची हुई दूसरी गाँठ को बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें
• इस प्रकार से माँ बगलामुखी की पूजा करने से आप हर तरह की शत्रु बाधा से सुरक्षित रहेंगे.
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