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गुप्त नवरात्रि महाविद्या चतुर्थ स्वरूप - माँ भुवनेश्वरी| Maa Bhuvaneshwari on 02 Feb 2025 (Sunday)

गुप्त नवरात्री में इन तरीको से करें माँ भुनेश्वरी की पूजा, होगी ऐश्वर्य की प्राप्ति 

गुप्त नवरात्री में माँ भुवनेश्वरी की पूजा का महत्व -

गुप्त नवरात्रि में साधक माँ के नौ रूपो के साथ साथ दस महाविद्याओं की भी पूजा करते हैं. खासकर जो लोग तंत्र साधना करते हैं वो गोपनीय तरीके से गुप्त नवरात्री में दस महाविद्याओं की पूजा करते हैं. गुप्त नवरात्री के चतुर्थ दिन माँ भुवनेश्वरी की पूजा की जाती है. मां भुवनेश्वरी 10 महाविद्याओं में चतुर्थ स्वरूप विद्या मानी जाती है. मां भुवनेश्वरी को तीनों लोकों की ईश्वरी माना जाता है. मां भुनेश्वरी साक्षात पूरे संसार को धारण करती हैं और इसका पालन पोषण करती हैं. मां भुवनेश्वरी को जगत माता और जगत धात्री के नाम से भी जाना जाता है. मां भुवनेश्वरी आकाश, वायु, पृथ्वी, अग्नि और जल का निर्माण करती हैं. शास्त्रों में मां भुनेश्वरी को मूल प्रकृति कहा जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि माँ भुवनेश्वरी भगवान् शिव के वाम भाग में विराजमान  रहती है. इनकी पूजा करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. माँ भुनेश्वरी की पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं

माँ भुवनेश्वरी का स्वरूप-

माँ भुवनेश्वरी को शक्ति और सृष्टि क्रम में महालक्ष्मी स्वरूप माना जाता है.

• आदि शक्ति भगवती माँ भुवनेश्वरी भगवान शिव की सभी लीलाओं में उनकी सहचरी हैं

• माँ भुवनेश्वरी का स्वरूप बहुत ही सौम्य है और इनके समस्त अंग कान्ति से परिपूर्ण है

• ये अपने सभी भक्तों को अभय और समस्त सिद्धियाँ प्रदान करती है

• माँ भुनेश्वरी को दशमहाविद्याओं में पांचवी महाविद्या माना जाता है.

• देवी पुराण में बताया गया है की मूल प्रकृति का दूसरा नाम भुवनेश्वरी है

• माँ भुवनेश्वरी के श्री अंगों से प्रात:काल के सूर्य के समान आभा निकलती रहती है.

• माँ अपने मस्तक पर चन्द्रमा का मुकुट धारण करती है.

• इनके तीन नेत्र हैं और इनके मुख पर हमेशा मुस्कान छायी रहती है

• माँ भुवनेश्वरी देवी के हाथों में पाश, अंकुश, वरद तथा अभय मुद्रा विराजमान रहते हैं

गुप्त नवरात्रि में ऐसे करें मां भुनेश्वरी की पूजा

• गुप्त नवरात्र में माँ भुवनेश्वरी की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करे.

• अब किसी एकान्त कमरे या अपने घर के पूजा कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाये.

• पूजा में बैठने के लिए हमेशा सफ़ेद ऊनी आसन का प्रयोग करें

• अब अपने सामने एक लकड़ी की चौकी रखकर उसपर गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध कर लें.

• अब चौकी पर सफ़ेद रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर एक प्लेट रखे.

• अब प्लेट में रोली से त्रिकोण का निर्माण करें.

• अब इस त्रिकोण में अखंडित चावल भर दें . अब इस चावलों पर सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त "भुवनेश्वरी यंत्रकी स्थापना करें

• अब भुवनेश्वरी यंत्र के समक्ष चावल की दस ढेरियां बनायें और इन ढेरियों के ऊपर 10 लघु नारियल रखे

• अब सभी नारियल पर रोली का तिलक लगाए

• इसके पश्चात् भुवनेश्वरी यन्त्र के समक्ष शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें और यंत्र का पूजन करें और ध्यान करें.

• अब अपने दोनों हाथ जोड़कर माँ भुवनेश्वरी का सच्चे हृदय से ध्यान करके, धुप, दीप, चावल, पुष्प से पूजा करें और फिर भुवनेश्वरी महाविद्या मन्त्र का जाप करें .

 उधदिनधुतिमिंदु किरीटां तुंग कुचां नयन त्रययुक्ताम्

स्मेरमुखीं वरदांगकुशपाशाभीतिकरां प्रभजे भुवनेशीम्

इस मन्त्र का जाप हमेशा सफ़ेद हकीक की माला से ही करें.

• आप चाहे तो मां भुनेश्वरी की पूजा किसी शिव मंदिर में जाकर भी कर सकते हैं.

• इसके लिए सबसे पहले किसी भी शिव मंदिर में जाकर षोडशोपचार द्वारा मां भगवती भुवनेश्वरी का पूजन करें

• अब गाय के घी का दीपक जलाएं और कपूर जलाकर धूप करें

• मां भुवनेश्वरी को सफेद फूल, चंदन, चावल और इत्र अर्पित करें

• अब दूध और शहद चढ़ाएं और साथ ही मां भुवनेश्वरी को मावे का भोग लगाएं

• इसके पश्चात नीचे दिए गए मंत्र का 108 बार जाप करें

• माँ भुवनेश्वरी की पूजा संपन्न करने के बाद इन पर चढ़ाए गए भोग को किसी भी स्त्री को भेंट करें

पूजन मंत्र

ओम श्री भुवनेश्वर आए नमः

अगर आप ऐश्वर्य प्राप्त करना चाहते हैं तो मां भुवनेश्वरी पर रातरानी का इत्र अर्पित करें

• पारिवारिक समस्याओं को दूर करने के लिए मां भुवनेश्वरी पर 12 सफेद रंग के फूल अर्पित करें

• अगर आप अपनी किसी खास मनोकामना की पूर्ति करना चाहते हैं तो देवी भुवनेश्वरी पर चढ़े हुए चावलों को अपने बेडरूम में छुपा कर रख दे.

माँ भुवनेश्वरी की पूजा में ध्यान रखें ये बातें-

महाविद्या माँ भुवनेश्वरी की साधना करने के लिए उपासक की सभी सामग्री में खास रूप से सिद्धि युक्त होनी चाहिये

• अगर ऐसा नही हुई तो आप माँ भुवनेश्वरी की उपासना नही कर पाएंगे.

• महाविद्या माँ भुवनेश्वरी की उपासना करने के लिए उपासक को सिद्ध प्राण प्रतिष्ठितभुवनेश्वरी यंत्र’, "सफ़ेद हकीक या रुद्राक्ष माला”, "दस लघु नारियलये तीन चीजें होना अति आवश्यक है.

•  माँ भुवनेश्वरी की साधना हमेशा सुबह 4 से 6 बजे के बीच या रात्रि सवा दस बजे के समय के बाद ही करनी चाहिए

• माँ भुवनेश्वरी की पूजा करने के बाद भुवनेश्वरी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए.

• माँ भुवनेश्वरी की यह साधना ग्यारह दिनों की होती है

• माँ भुवनेश्वरी की साधना करते वक़्त उपासक को पूरी आस्था के साथ सभी नियमों का पालन करना चाहिए

• साधक को माँ भुवनेश्वरी की साधना से जुडी सभी जानकारियों को पूर्ण रूप से गोपनीय रखना चाहिए नहीं तो पूजा सफल नहीं होती है.

• ग्यारह दिनों के बाद पूजा संपन्न करने पश्चात् भुवनेश्वरी यंत्र को अपने घर के मंदिर या तिजोरी में लाल वस्त्र से बांधकर एक साल के लिए रख दें. अब पूजा में इस्तेमाल हुई बाकि सभी सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें या किसी पीपल के नीचे दबा दें.

• ऐसा करने से आपकी साधना पूर्ण हो जाएगी. और आपके के ऊपर माँ भुवनेश्वरी देवी की असीम कृपा हमेशा बनी रही हैं

• माँ भुवनेश्वरी की साधना करने से मनुष्य  को ज्ञान, धन सम्मान, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है .

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