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नवदुर्गा सप्तम स्वरूप - माँ कालरात्रि| on 18 Feb 2021 (Thursday)


गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन इन तरीको से करें मां कालरात्रि की पूजा 

गुप्त नवरात्री में माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व -

गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में दस महाविद्याओं के साथ साथ माँ दुर्गा के नौ अलग अलग रूपो की पूजा भी की जाती है. गुप्त नवरात्री के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है. माँ कालरात्रि का रंग कृष्ण अर्थात काले रंग होता है, इनका रंग काला होने के कारण इन्हे कालरात्रि कहा जाता है. माँ कालरात्री की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इसीलिए इन्हे कालरात्रि के साथ साथ शुभंकरी भी कहा जाता है. माँ कालरात्रि को रातरानी के फूल बहुत प्रिय होते है, इसलिए इनकी पूजा में रातरानी के फूल अवश्य अर्पित करें. मां कालरात्रि दुष्टों का अंत करके अपने भक्तों को सभी समस्याओं और संकटों से  मुक्ति दिलाती है. मां कालरात्रि अपने गले में नरमुंडों की माला धारण करती है. गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन श्रद्धा पूर्वक मां कालरात्रि की पूजा करने से मनुष्य को जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है और वह शांति के साथ अपना जीवन व्यतीत कर सकता है.

कैसे पड़ा देवी का नाम कालरात्रि

• आदिशक्ति मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संघार करने के लिए मां कालरात्रि का अवतार लिया था.

• माँ कालरात्रि आदिशक्ति दुर्गा के तेज से उत्पन्न हुई थी.

• माँ कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही विकराल, दुश्मनों के मन में भय उत्पन्न करने वाला और श्याम वर्ण का है.             

मां कालरात्रि का स्वरूप

• मां कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही डरावना और अत्यंत भयानक है

• इतना भयानक स्वरूप होने के बाद भी मां कालरात्रि का ह्रदय बहुत ही कोमल है.

• मां कालरात्रि का रंग श्याम वर्ण का है. इनके काले काले केश हमेशा खुले रहते हैं

• इनकी सवारी गर्दभ हैं

• माँ कालरात्रि की चार भुजाएं हैं. इनकी बायीं भुजा में कटार और दूसरी बायीं भुजा में लोहे का कांटा है

• वहीं इनकी एक दायीं भुजा में अभय मुद्रा और दूसरी दायीं भुजा में  वरद मुद्रा विराजमान रहती है

• माँ कालरात्रि अपने गले में नरमुंडो की माला धारण करती है

मंत्र

देवी कालरात्र्यै नमः॥

प्रार्थना 

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।

वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

 पूजा विधि 

• मां कालरात्रि की पूजा हमेशा ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 बजे) में ही की जाती है

• इसके अलावा जो लोग तंत्र विद्या पर विश्वास रखते है वो अर्द्धरात्रि में माँ कालरात्रि की पूजा करते हैं. इसलिए इनकी पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

• अब अपने घर के पूजा कक्ष में एक लकड़ी की चौकी पर मां कालरात्रि के चित्र की स्थापना करें.

• अब मां कालरात्रि को कुमकुम, लाल पुष्प, रोली आदि अर्पित करें

• माँ कालरात्रि को नींबुओं की माला पहनाएं और उनके समक्ष गाय के घी का दीपक प्रज्वलित करें.

• अब मां कालरात्रि को लाल फूल और रात रानी के फूल चढ़ाएं. और साथ ही गुड़ का भोग लगाएं.

• अब मां कालरात्रि के मन्त्रों का जाप करें. और साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.

• इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें और धूप दीप से इनकी आरती उतारें.

• माँ की आरती करने के बाद मां कालरात्रि को प्रसाद का भोग लगाएं और मां से पूजा में हुई किसी भी प्रकार की भूल के लिए क्षमा मांगें.

• माँ को लगाए हुए भोग गुड़ का आधा हिस्सा अपने परिवार में वितरित कर दें. बाकी बचे आधे हिस्से को किसी ब्राह्मण को दान कर दें।

• कभी भी काले रंग का वस्त्र पहनकर या किसी को नुकसान पंहुचाने के उद्देश्य से माँ कालरात्रि की पूजा ना करें. ऐसा करने से आपकी पूजा सफल नहीं होगी.

• अगर आप अपने शत्रुओं और विरोधियों से परेशान है और उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं तो विशेष  तरीके से भी मां कालरात्रि की पूजा सकते हैं.

नवार्ण मंत्र

" ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे "

• मन्त्र का जाप करने के पश्चात् माँ पर चढ़ाई गयी सभी लौंग को जमा करके अग्नि में डाल दें.

• ऐसा करने से आपके शत्रुओं का नाश हो जायेगा. और माँ कालरात्रि आपकी सभी समस्याओं का अंत कर देंगी.