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नवदुर्गा नवम स्वरूप - माँ सिद्धिदात्री| on 21 Feb 2021 (Sunday)


गुप्त नवरात्री की महानवमी के दिन करें इन तरीको से करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, होगी मनचाहे वरदान की प्राप्ति

गुप्त नवरात्री की महानवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व-

गुप्त नवरात्री के नौवें दिन को महानवमी भी कहा जाता है. महानवमी के दिन माँ दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. जो भी भक्त गुप्त नवरात्री के नौवें दिन श्रद्धा पूर्वक माँ सिद्धिदात्री की पूजा करता है मां सिद्धिदात्री उन्हें समस्त प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं. माँ सिद्धिदात्री अपने सभी भक्तो को शोक, रोग एवं भय से मुक्ति भी देती हैं. सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि देव, गंदर्भ, असुर, ऋषि आदि सभी सिद्धियों को प्राप्ति के लिए माँ सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं. भगवान शिव भी माँ सिद्धिदात्री की उपासना करते हैं. गुप्त नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है. माँ सिद्धिदात्री की पूजा और उपासना करने से मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनुष्य को सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है. अगर गुप्त नवरात्री की नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाये तो मनुष्य को समस्त देवियों की पूजा का फल प्राप्त हो सकता है.

क्यों कहा जाता है इन्हे सिद्धिदात्री

• माता सिद्धिदात्री के नाम सुनकर ही यह ज्ञात होता है की माँ सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं

• धर्मशास्त्रों के अनुसार जब ब्रह्माण्ड की रचना हुई तो भगवान शिव ने देवी आदि पराशक्ति की तपस्या की

• मान्यताओं के अनुसार उस समय देवी आदि पराशक्ति का कोई भी स्वरूप नहीं था. शक्ति की सर्वशक्तिमान मानी जाने वाली देवी आदि पराशक्ति सिद्धिदात्री का स्वरूप भगवान शिव के शरीर के वाम अंग से उतपन्न हुआ है.

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

• माता सिद्धिदात्री हमेशा कमल के पुष्प पर आसीन रहती हैं

• माता की सवारी सिंह है

• माँ सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं

• माँ अपनी एक दायीं भुजा में गदा और दूसरी दायीं भुजा में च्रक धारण करती हैं

• माँ सिद्धिदात्री अपनी एक बायीं भुजा में कमल का पुष्प और दूसरी बायीं भुजा में शंख धारण करती हैं.

मंत्र

ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

प्रार्थना 

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

पूजा विधि

• गुप्त नवरात्री की महानवमी के प्रातःकाल में स्नान करने के पश्चात् विधि विधान से माता सिद्धिदात्री की पूजा करें

• माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए सर्वप्रथम कमल के पुष्प पर विराजमान देवी सिद्दिदात्री का ध्यान करना चाहिए

• अब अलग अलग प्रकार के सुगंधित पुष्प माँ सिद्धिदात्री को अर्पित करे.

• अब माँ सिद्धिदात्री को शहद अर्पित करें.

• अब माँ सिद्धिदात्री के मन्त्र का जाप करें.

मन्त्र-

" सिद्धिदात्री देव्यै नमः

• अब माँ के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें.

• अब माँ को तिल का भोग लगाएं

• माँ सिद्धिदात्री को  तिल  का भोग लगाने से सभी प्रकार की अनहोनी की आशंका खत्म हो जाती है और माता सिद्धिदात्री हमेशा आपकी रक्षा करती हैं

• अब मां को नौ कमल के या लाल फूल चढ़ाएं.   

• अब माँ सिद्धिदात्री को नौ प्रकार खाद्य पदार्थ भी अर्पित करें.

• अब माँ के ऊपर चढ़ाये गए फूल को लाल वस्त्र में लपेट कर रखें.

• पूजा के पश्चात् निर्धनों को भोजन कराएं.

• निर्धनों को भोजन कराने के पश्चात् स्वयं भोजन ग्रहण करें.

मां सिद्धिदात्री की पूजा के लाभ-

• मां सिद्धिदात्री के भीतर देवियों के सभी रूप समाहित होते हैं.  

• अगर आप गुप्त नवरात्री में माँ सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं तो इससे आपको सम्पूर्ण नवरात्रि का फल मिल जाता है.

• माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से अपार वैभव की प्राप्ति होती है.

• इसके अलावा माँ सिद्धिदात्री की उपासना करने से मनुष्य को समस्त सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं.  

• मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की आराधना करने से मनुष्य की कुंडली में मौजूद ग्रहों के दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है.  

• गुप्त नवरात्री की नवमी के दिन नवरात्रि को पूर्ण करने के लिए हवन करने का भी नियम है.

• महानवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद हवन करें.

• हवन करने के लिए हवन सामग्री में जौ और काला तिल मिलाकर रखे.

लाभ पाने के लिए इन चीजों से करें हवन-

• अगर आप आर्थिक लाभ पाना चाहते हैं तो मखाने और खीर से हवन करें.

• अगर आप काफी लम्बे समय से कर्ज में फंसे हुए हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते है तो राई से हवन करें

 • संतान सम्बन्धी समस्याओं को दूर करने के लिए माखन मिसरी से हवन करें.

• अपनी कुंडली में मौजूद ग्रहों की शान्ति के लिए काले तिल से हवन करें

• सर्वकल्याण के लिए काले तिल और जौ से हवन करना चाहिए..

• कई स्थानों पर महानमी के दिन भी कन्या पूजन किया जाता है

• अगर आप दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन नहीं कर पाएं है तो महनवमी के दिन विधिपूर्वक कन्या पूजन करें.