Indian Festivals

गुप्त नवरात्रि महाविद्या तीसरा स्वरुप - मां षोडशी / त्रिपुर सुंदरी | Maa Tripur Sundari on 01 Feb 2025 (Saturday)

गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां षोडशी की पूजा 

गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन मां षोडशी / त्रिपुर सुंदरीकी पूजा करने का नियम है। अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से मां षोडशी / त्रिपुर सुंदरी की पूजा करता है तो उसके जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती है और उसे सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा माघ मॉस में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन मां षोडशी की पूजा करने से मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताने जा रहे है की माघ गुप्त नवरात्रि तीसरे दिन मां षोडशी की पूजा कैसे करें।

मां षोडशी की पूजा का महत्व

शास्त्रों में मां षोडशी / त्रिपुर सुंदरी को महाविद्याओं की तीसरी विद्या बताया गया है। ऐसा माना जाता है की माँ षोडशी तीनों लोकों में सबसे सुंदर है। मां षोडशी को त्रिपुर सुंदरी, ललिता और राजेश्वरी भी कहा जाता है। शास्त्रों में माँ षोडशी को माँ पार्वती का प्रतिनिधित्व करने वाली देवी बताया गया है। इसलिए माँ षोडशी को तांत्रिक पार्वती भी कहा जाता है। माँ षोडशी सोलह वर्ष की कन्या के रूप में दिखाई देती हैं। शास्त्रों में बताया गया है की माँ षोडशी का रंग सुनहरा लाल होता है। माँ दुर्गा के समस्त रूपों में से एक रूप जगत प्रसिद्ध देवी त्रिपुर सुन्दरी का हैं। माँ षोडशी तीनों लोकों में सबसे सुंदर और सभी कर्मो का बहुत शीघ्र फल प्रदान करने वाली देवी है।  माँ षोडशी सोलह कलाओं से युक्त , सोलह वर्ष की कन्या की तरह, हजारों सूर्य का तेज अपने अंदर समाहित किये हुये है। माँ षोडशी की पूजा करने से मनुष्य को सभी प्रकार के ऐश्वर्य एवं भोग की प्राप्ति होती है।

माँ षोडशी की पूजा के लाभ-

• माँ षोडशी देवी को यौवन और आकर्षण की देवी माना जाता है। 

• माँ षोडशी का पूजन करने से आकर्षण सौंदर्यता प्राप्त होती है। 

• अगर आपके दाम्पत्य जीवन में हमेशा कलह होती है, आपका कोई प्रिय आपसे नाराज हो गया हैसमाज में सम्मान पद प्राप्त करने के लिए या किसी व्यक्ति को सम्मोहित करने के लिए माँ षोडशी की पूजा करें।

• माँ षोडशी की उपासना करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

माँ षोडशी का स्वरूप-

• माँ षोडशी की चार भुजाएं हैं। ये अपने हाथो में पास, अंकुश, धनुष और बाण धारण करती हैं। 

• श्रद्धा पूर्वक मां षोडशी की पूजा करने से मनुष्य को सुख शांति, समृद्धि के साथ साथ मुक्ति भी मिलती है। 

• अगर कोई मनुष्य सच्चे मन से माँ षोडशी की पूजा करता है तो वह आसानी से अपने शरीर, मन और भावनाओं को नियंत्रित कर सकता है। 

• मां षोडशी की पूजा करने से पारिवारिक सुख और अनुकूल जीवनसाथी भी प्राप्त होता है। 

• इसलिए गुप्त नवरात्रि में मुख्य रूप से मां षोडशी की पूजा करने का नियम है।

मां षोडशी की पूजा विधि-  

• मां षोडशी की पूजा करने के लिए सूर्यास्त से पहले स्नान करने के पश्चात् सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। अब एक लकड़ी की चौकी पर  गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध कर लें।

• अब उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठे।

• अब चौकी पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर मां षोडशी की तस्वीर की स्थापना करें। 

• अगर आपके पास मां षोडशी की तस्वीर नहीं है तो आप श्री यंत्र की स्थापना भी कर सकते है।

• इसके पश्चात् मां षोडशी को कुमकुम लगाएं। और उन्हें अक्षत, फल, फूल, चढ़ाये। 

• अब माँ षोडशी को दूध से बना प्रसाद या खीर चढ़ाएं।

• यह सभी चीजें चढाने के पश्चात् सच्चे मन से मां षोडशी की विधिवत पूजा करें। 

• अब ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमःमंत्र का 108 जाप करें।

• अब माँ षोडशी की कथा पढ़े। कथा पढ़ने के बाद मां षोडशी की आरती करें। 

• अब सफेद रंग की मिठाई या खीर से माँ को भोग लगाएं।

• पूजा करने के पश्चात् पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए माँ षोडशी से क्षमा प्रार्थना करें।। पूजा पूर्ण होने के बाद नौ साल से छोटी कन्याओं के बीच में प्रसाद बाँट  दें। 

• अगर आपको नौ वर्ष से छोटी कन्याएं नहीं मिल रही है तो आप यह प्रसाद गाय को भी खिला सकते हैं।

मां षोडशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव ने क्रोध के कारण कामदेव को अपना तीसरा नेत्र खोलकर भस्म कर दिया था। उस समय भगवान शिव के गणों ने उस भस्म को समेट कर उसे गीला करके एक सुंदर पुतला बनाया और भगवान शिव से कहा कि हे भगवन इस पुतले में प्राण प्रतिष्ठा कर दीजिए। जिसके बाद भगवान शिव ने उस पुतले में प्राण प्रतिष्ठा कर दीजिए। लेकिन वह भस्म से उत्पन्न होने के कारण उस उससे जो पुरुष उत्पन्न हुआ वह उसमें तमोगुण की अधिकता थी। जिसके बाद वह तीनों लोकों में हाहाकार मचाने लगा। उसने देवराज इंद्र के समान ही दूसरे स्वर्ग का निर्माण किया और स्वर्ग लोक पर भी आक्रमण कर दिया। जिसके बाद देवराज इंद्र देवऋषि नारद के पास गए। उपाय के रूप में नारद जी ने उन्हें आद्या शक्ति की विधिवत रक्त और मांस से पूजा करने के लिए कहा। देवराज इंद्र ने ऐसा ही किया जिसके बाद देवी षोडशी का जन्म हुआ और उन्होंने उस असुर को वध कर दिया और देवताओं को वापस स्वर्ग लोक दिला दिया।


Disclaimer: The information presented on www.premastrologer.com regarding Festivals, Kathas, Kawach, Aarti, Chalisa, Mantras and more has been gathered through internet sources for general purposes only. We do not assert any ownership rights over them and we do not vouch any responsibility for the accuracy of internet-sourced timelines and data, including names, spellings, and contents or obligations, if any.