गुप्त नवरात्री के नौवें दिन इन तरीकों से करें देवी मातंगी की पूजा
गुप्त नवरात्रि में मां मातंगी की पूजा का महत्व-
हमारे शास्त्रों में गुप्त नवरात्रि को बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों के साथ-साथ 10 महाविद्याओं की पूजा भी की जाती है. गुप्त नवरात्रि के नौवें दिन मां मातंगी की पूजा की जाती है. मां मातंगी 10 महाविद्याओं में नौवीं विद्या है. मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति गुप्त नवरात्रि के नौवें दिन मां मातंगी की पूजा आराधना करता है उसे सर्व सिद्धियों की प्राप्ति होती है. माँ मातंगी अपने भक्तो के सभी कष्टों को दूर कर के उन्हें सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं
देवी मातंगी की पूजा के लाभ-
• मां मातंगी को वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है.
• इसके अलावा इन्हें स्तंभन की देवी भी माना जाता है.
• शास्त्रों के अनुसार मां मातंगी की पूजा करने से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है.
• जो मनुष्य श्रद्धा पूर्वक इनकी पूजा आराधना करता है उसे गृहस्थ जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं.
• मां मातंगी अपने भक्तों की सभी मनोकामना को पूरा करने का वरदान देती हैं.
मां मातंगी मंत्र-
ओम क्रीं ह्रींग मातंगी क्रीं ह्रीं स्वाहा
• सच्चे मन से इस मंत्र का जाप करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है.
माँ मातंगी का स्वरूप-
• शास्त्रों के अनुसार मतंग भगवान शिव का ही एक नाम है.
• भगवान शिव की आदिशक्ति देवी मातंगी है.
• देवी मातंगी का रंग श्याम है.
• यह अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण करती हैं.
• माता मातंगी में राक्षसों का वध करने के लिए तेजस्व रूप धारण किया है.
• मां मातंगी लाल रंग के वस्त्र धारण करती हैं.
• इनकी सवारी सिंह है और यह है अपने पैरों में लाल पादुका और गले में लाल माला धारण करती हैं.
• मां मातंगी के हाथों में धनुष बाण ,शंख, पास, कटार, छत्र, त्रिशूल, अक्ष माला आदि विराजमान रहते हैं.
• ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जो भी व्यक्ति पलाश, मल्लिका के फूलों से बेल पत्रों से मां मातंगी की पूजा करता है उसके अंदर आकर्षण और स्तंभन शक्ति का विकास होता है.
पूजन विधि-
• देवी मातंगी की साधना रात्रिकालीन है. इसे हमेशा रात्रि में आरम्भ करना चाहिए.
• माँ मातंगी की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करने के पश्चात् लाल रंग के वस्त्र धारण करें.
• अब अपने घर के किसी एकांत कक्ष या पूजा के कमरे में पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएँ.
• बैठने के लिए हमेशा लाल रंग के ऊनि आसन का प्रयोग करें.
• अब अपने सामने एक लकड़ी की चौकी रखे और उसपर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध कर लें.
• अब इस चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछा ले.
• माँ मातंगी की साधना में मातंगी की तस्वीर , यन्त्र और लाल मूँगा माला बहुत महत्वपूर्ण होती है.
• अगर आपके पास ये सभी चीजे उपलब्ध नहीं है तो किसी ताँबे की प्लेट में स्वास्तिक का निर्माण करें और उसके ऊपर एक सुपारी स्थापित कर दे और इस सुपारी को ही यन्त्र मानकर पूजा करें.
• अब माँ मातंगी की तस्वीर के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं और माँ को लाल रंग के फूल अर्पित करें.
• अब देवी मातंगी के कवच का पाठ करें.
• देवी मातंगी की साधना करते समय साधक को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ सभी नियमों का पालन करना चाहिए.
• नियमित रूप से जाप करने से पहले ऊपर दी गई संक्षिप्त पूजन विधि अवश्य करें.
• साधक को माँ मातंगी की साधना करने की जानकारी को हमेशा गोपनीय रखना चाहिए.
• ग्यारह दिनों के बाद पूजा करने के पश्चात् हवन करें.
• हवन में पलाश के पुष्प, शुद्ध घी व् हवन सामग्री को मिलाकर रख लें. अब इन सभी चीजों से हवन कुंड में श्रद्धा पूर्वक आहुति दें .
• हवन पूर्ण करने के बाद मातंगी यंत्र को अपने घर के मंदिर या तिजोरी में लाल वस्त्र से लपेट कर एक वर्ष के लिए रख दें.
• पूजा में बची बची हुई पूजा सामग्री को किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें या किसी पीपल के पेड़ के नीचे दबा दें.
• इस प्रकार से गुप्त नवरात्री में माँ मातंगी की साधना करने से माँ मातंगी प्रसन्न हो जाती हैं और साधक के ऊपर माँ मातंगी देवी की कृपा हमेशा बनी रहती हैं.
• देवी मातंगी की साधना करने से मनुष्य को जीवन में ज्ञान, धन सम्मान, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है.
• इनकी साधना पूर्वक पूजा करने से मनुष्य के जीवन से दरिद्रता दूर हो जाती है और कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है.