भारतीय संस्कृति में त्यौहारों का बहुत ही बड़ा महत्तव है। और एक ऐसा ही त्यौहार है हेरंम्भा संक्रांति बहुत है। हेरम्भा संकष्टीचतुर्थी एक बहुत ही शुभ हिंदू त्यौहार माना जाता है जिसे बहुत ही हर्षोल्लास के साथ हर वर्ष मनाया जाता है। Herambha Sankranti, हेरम्बा संक्रांति, herambha sankranti, हेरम्बा संक्रांति 2021, भगवान गणेश जी, कर्कादिका मासम, पूजा विधि, Heramba Sankashti Chaturthi, Heramba Sankashti Chaturthi 2021, Heramba Sankashti Chaturthi Vrat, Heramba Sankashti Chaturthi fasting, Heramba Sankashti Chaturthi Puja, Herambha sankashti Chaturthi,heramba sankashti,meaning of heramba in Sanskrit,herambha in Sanskrit,heramba sankashti Chaturthi 2021
कब मनाते हैं हेरम्भा संकष्टी–
इस त्यौहार को उत्तर भारतीय राज्यों में भी बहुत ही जोर-शोर से मनाया जाता है। इसके बाद पूर्णिमंत कैलेंडर में 'भाद्रपद' महीना आता है।
कैसे मनाते है हेरम्भा संकष्टी–
हेरम्भा संकष्टी की महिमा बहुत ही विख्यात है। यह त्यौहार चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। भक्त इस शुभ दिन पर पूरी निष्ठा के साथ तल्लीन होकर हरंबा महा गणपति की पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते है। इतना ही नहीं ब्लिक ऐसा माना जाता है कि हेरम्भा संकष्टीचतुर्थी व्रत का पालन करने से जीवन की सभी समस्याओं का सामाधान प्राप्त हो जाता है या फिर वे सदैव के लिये समाप्त हो जाती है।
क्या करें भक्त हेरंबा संक्रांति चतुर्थी के दौरान
इस व्रत का पालन भक्त फल या साबुदाना खिचड़ी खाकर भी करते हैं और इसे आंशिक उपवास की श्रेणी में भी रखा जाता है।
हेरम्भा संकष्टी की पूजा विधि -
भक्तों को प्रात उठकर स्नान करना चाहिय़े और इसके बाद भगवान गणेश की पूजा-अर्चना में तल्लीन हो जाना चाहिय़े। इसके बाद शाम चंद्रमा को देखने के बाद विशेष पूजा-अर्चना का जाती है। इस विशेष दिन भगवान गणेश और चंद्र देव दोनों की विशेष पूजा-अनुष्ठान किया जाता है।
शाम के समय भगवान गणेश की मूर्तियों को दुर्वा घास और फूलों से सजायें क्योंकि दुर्वा घास का उपयोग काफी महत्तवपूर्ण माना जाता है। भगवान गणेश को समर्पित मंत्रों का जाप इस दिन बहुत ही फलदायक होता है। भगवान गणेश जी को 'मोदक' का भोग लगाया जाता है क्योंकि यह उन्हें विशेष रुप से पसंद है। इसीलिये इसे विशेष रूप से पूजा में प्रयोंग किया जाता है। इसके अतिरिक्त पूजा में भगवान को केले और नारियल का प्रसाद भी अर्पित किया जाता है। और यह पूजा अंत में एक आरती के साथ संपन्ना होती है। पूजा के बाद भक्त प्रसाद ग्रहण कर सकते है और फिर प्रसाद वितरित किया जाता है।
भगवान की विशेष अनुकंपा पाने के लिये भक्तों को इस दिन संकष्टनाशन स्तोत्र का जाप करना चाहिये। इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। इन मंत्रों का उच्चारण करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।