Indian Festivals

Kalashtami/कालाष्टमी on 21 Jan 2025 (Tuesday)

कालाष्टमी या काला अष्टमी एक बहुत ही प्रचलित हिंदू त्योहार है और भक्तों के बीच इसकी बहुत मान्यता भी है। यह विशेष त्यौहार भगवान भैरव को पूर्ण रुप से समर्पित है।

कब मनाते हैं कालाष्टमी:

यह व्रत त्यौहार पूरे विधि-विधान के साथ हिंदू चंद्र माह में कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिनहिंदू भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान भैरव की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए उपवास भी रखते हैं। एक वर्ष में कुल 12 कालाष्टमी के दर्शन होते हैं।

कालाष्टमी का महत्व:

कालाष्टमी की महानता 'आदित्य पुराणमें बताई गई है। कालाष्टमी पर पूजा का मुख्य देवता भगवान काल भैरव हैं जिन्हें भगवान शिव जी का ही एक रूप माना जाता है। 'कालका हिंदी में अर्थ है 'समयजबकि 'भैरवका अर्थ है 'शिव की अभिव्यक्ति'। इसलिए काल भैरव को 'समय का देवताभी कहा जाता है और भगवान शिव के अनुयायियों द्वारा पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा की जाती है।

कालभैरव जयंती –

इनमें से, 'मार्गशीर्षमाह में पड़ने वाली तिथि सबसे महत्वपूर्ण है और इसे 'कालभैरव जयंतीके रूप में जाना जाता है और इसका भी एक विशेष महत्तव है। विशेष तौर पर रविवार या मंगलवार को पड़ने पर कालाष्टमी को और भी पवित्र माना जाता है और भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है ।

भगवान भैरव अपने भक्तों के बीच काफी प्रिय है और इसीलिये यह त्यौहार उनके भक्तों के लिये काफी विशेष है। कालाष्टमी पर भगवान भैरव की पूजा करने का त्योहार पूरे उत्साह के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में भक्ति के साथ मनाया जाता है।

कालाष्टमी पर विशेष पूजा और अनुष्ठान भी सुबह के दौरान मृत पूर्वजों को अर्पित किए जाते हैं। भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं। कुछ कट्टर भक्त पूरी रात महाकालेश्वर की कथाएँ सुनते हुए अपना समय गुजारते हैं। कालाष्टमी व्रत का पालन करने वाले को समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है और वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है। काल भैरव कथा का पाठ करना और भगवान शिव को समर्पित मंत्रों का उच्चारण करना शुभ माना जाता है।

कालाष्टमी के दौरान अनुष्ठान:

कालाष्टमी भगवान शिव के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन भी माना जाता है। इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठते हैं और जल्दी स्नान करते हैं और साफ-सुथरे कपडे पहनते हैं। वे काल भैरव की विशेष पूजा करते हैं ताकि उनके दिव्य आशीर्वाद और उनके पापों के लिए क्षमा मांग सकें। ऐसा माना जाता है कि काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।

कालाष्टमी के दिन भक्त शाम को भगवान काल भैरव के मंदिर भी जाते हैं और वहां विशेष पूजा अर्चना करते हैं। ऐसा करने से भगवान भैरव के खुश होते हैं और भक्तों को मनचाहा वरदान भी मिल जाता है। यह माना जाता है कि कालाष्टमी भगवान शिव जी का एक ही उग्र रूप है इसीलिये यह त्यौहार भगवान शिव और काल भैरव के भक्तों के बीच समान रुप से प्रचिलित है। वह भगवान ब्रह्मा के जलते क्रोध और गुस्से का अंत करने के लिए पैदा हुए थे।

कुत्ते को खिलाना माना जाता है काफी शुभ:

कालाष्टमी पर कुत्तों को खिलाने की भी प्रथा है क्योंकि काले कुत्ते को भगवान भिरव का वाहन माना जाता है और इसीलिये इन्हें खिलाना काफी शुभ माना जाता है। कुत्तों को इस शुभ दिन पर दूधदही और मिठाई दी जाती है। काशी जैसे हिंदू तीर्थ स्थानों पर ब्राह्मणों को भोजन खिलाना भी काफी शुभ व अत्यधिक फायदेमंद माना जाता है।

महाकालेश्वर का रुप –

हिंदू किंवदंतियों के अनुसारएक बार ब्रह्माविष्णु और महेश के बीच एक बहस के दौरानभगवान शिव ब्रह्मा द्वारा पारित एक टिप्पणी से प्रभावित हो गए। फिर उन्होंने 'महाकालेश्वरका रूप धारण किया और भगवान ब्रह्मा के 5 वें सिर को काट दिया। तब सेदेवता और मनुष्य भगवान शिव के इस रूप को 'काल भैरवके रूप में पूजते हैं।

कालाष्टमी से मिलती है कष्ट और पीड़ा से मुक्ति -

ऐसा माना जाता है कि जो लोग कालाष्टमी पर भगवान शिव की पूजा करते हैंवे भगवान शिव का आशीर्वाद मांगते हैं। भगवान शिव काफी दयावान माने जाते है और अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते है । यह भी प्रचलित धारणा है कि इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्टपीड़ा और नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं।