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केदार गौरी व्रत | Kedar Gauri Vrat on 01 Nov 2024 (Friday)

जानिए क्या है केदार गौरी व्रत की महिमा

केदार गौरी व्रत का महत्व-

हमारे शास्त्रों में केदार गौरी व्रत को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है. केदार गौरी व्रत करने से मनुष्य की सभी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.  मान्यताओं के अनुसार देवताओं ने भी अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए केदारगौरी व्रत किया था.

केदार गौरी व्रत से जुड़ी खास बातें-

• केदार गौरी व्रत मुख्य रूप से दक्षिण भारत  मैं मनाया जाता है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है.

• केदार गौरी व्रत एक धार्मिक अनुष्ठान है जो 21 दिनों तक चलता है. यह व्रत तमिल महीने पूर्तता सी में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से आरंभ होता है और दीपावली अर्थात अमावस्या के दिन खत्म होता है.

• सभी भक्त विशेष रूप से इस व्रत के अंतिम दिन यानी अमावस्या को उपवास करते हैं.

• मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ केदारगौरी व्रत के नियमों का पालन करते हुए उपवास रखता है उसे दीर्घायु, स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि प्राप्त होते हैं.

केदार गौरी पूजन विधि-

• केदार गौरी व्रत के दिन भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप की पूजा की जाती है.

• इस दिन भक्त अपनी क्षमता अनुसार पूरा दिन व्रत करते हैं या एक समय फलहार करके भी इस व्रत को किया जा सकता है.

• केदार गौरी व्रत को हमेशा शुद्ध मन से किया जाना चाहिए. जो भी मनुष्य इस व्रत को करता है उसे एक पुजारी को बुलाकर भोजन कराना चाहिए.

• केदार गौरी व्रत की पूजा लगातार 21 दिनों तक चलती है. सभी भक्तगण पवित्र स्थान पर कलश स्थापित करके नियमित रूप से उसकी पूजा करते हैं.

• कलश को एक रेशमी कपड़े से ढका जाता है. जिसके ऊपर चावल का एक ढेर रखा जाता है.

• कलश के चारों ओर 21 धागे बांधे जाते हैं. केदार गौरी व्रत में 21 पुजारियों को आमंत्रित किया जाता है.

• इस पूजा में स्थापित कलश को भगवान केदारेश्वर का प्रतिबिंब माना जाता है.

• कुमकुम, चंदन, अक्षत, कस्तूरी, लोबान, तांबूल, फूल और धूप अर्पित करके कलश की पूजा की जाती है.

• इसके पश्चात भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है. केदार गौरी व्रत में भोलेनाथ को श्रीफल के साथ-साथ 21 प्रकार के भोजन का विशेष भोग चढ़ाया जाता है.

• पूजा संपन्न होने के बाद भक्तगण और गरीबों के बीच प्रसाद बांटा जाता है.

केदार गौरी व्रत कथा-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत देवी पार्वती ने किया था. एक बार माता पार्वती के एक भक्त ने उनकी भक्ति छोड़कर भगवान शिव की पूजा करना आरंभ कर दिया. जिससे माता पार्वती को बहुत क्रोध आया. माता पार्वती ने शिव के शरीर का हिस्सा बनने के लिए ऋषि गौतम की तपस्या की. तब ऋषि गौतम ने माता पार्वती को पूरी श्रद्धा के साथ लगातार 21 दिनों तक केदार गौरी व्रत का पालन करने के लिए कहा.

माता पार्वती ने गौतम ऋषि की बात मानकर पूरे नियमानुसार 21 दिनों तक केदारगौरी व्रत का पालन किया. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अपने शरीर का बायां हिस्सा माता पार्वती को दे दिया. तभी से उनके इस रूप को अर्धनारीश्वर के नाम से जाना जाने लगा. तब से इस दिन केदारगौरी व्रत मनाया जाता है. माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्वयं ही यह उपवास रखा था.

 

 

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