Indian Festivals

कोजागर व्रत | Kojagar vrat on 16 Oct 2024 (Wednesday)

 

कोजागर व्रत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है।  यह व्रत माँ लक्ष्मी की कृपा पाने व् उनको प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।  ऐसी मान्यता है की इस दिन माँ लक्ष्मी अपने भक्तों की झोलियाँ सुख व् समृद्धि से भर देती है।  इस दिन को माँ लक्ष्मी जी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।  ऐसी मान्यता है की सागर मंथन के दौरान ही माँ लक्ष्मी समुद्र से, शरद या कोजागर पूर्णिमा के दिन ही उत्पन हुई थी। 

मिथिला व् बंगाल में कोजागर पूजा का अधिक महत्व है। बंगाल में कोजागर पूजन का दिन लक्ष्मी पूजन का दिन माना जाता है, और  दीपावली का दिन बंगाल में काली माता की पूजन का दिन माना जाता है।   बिहार में कोजागर व्रत नवविवाहित जोड़े के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है इस दिन नवविवाहित जोड़े के दोनों परिवारों के बीच उत्सव का माहौल होता है। 

कोजागर पूजा की रात का बहुत अधिक महत्व है।  ऐसी मान्यता है की इस रात माँ लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आतीं है।  इसीलिए इस रात की जाने वाली पूजा व् जागरण का बहुत अधिक महत्व है। 

कोजागर व्रत पूजन विधि:

इस दिन सूर्य उदय के पूर्व उठे व् स्नान आदि कर खुद को शुद्ध करलें। 
इसके बाद व्रत का संकल्प करें। 
भगवान विष्णु व् माँ लक्ष्मी के सयुंक्त पूजन के लिए उनकी मूर्ति व् चित्र की स्थापना करें। 
विष्णु जी व् माँ लक्ष्मी को जल का छींटा दें तथा उनके चरण धोये। 
भगवान् विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करें व् माँ लक्ष्मी को लाल वस्त्र अर्पित करें। 
अब उनको लाल पीले फूलों की माला अर्पित करें। 
उनके आगे घी का दीपक भी लगाएं। 
उन्हें मिष्ठान आदि का भोग लगाएं। 
उनकी स्तुति कर आरती कर सुबह की पूजा समाप्त करें। 
अब शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य दें। 
अब माँ लक्ष्मी व् विष्णु जी के आगे घी का दीपक भी लगाएं। 
अब रात्रि जागरण व् पूजा उपासना की तयारी करें। 
पूरी रात जागरण कर सुबह के समय आरती कर पूजा का समापन करें। 
अब प्रसाद का वितरण भी करें। 

 

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