जानिए क्या है मधु कृष्ण त्रयोदशी का महत्व
मधु कृष्ण त्रयोदशी का महत्व-
मधुकृष्णा, या मधु कृष्ण त्रयोदशी, फाल्गुन या फाल्गुन माह में चंद्रमा के भटकने के चरण के समय मनाया जाने वाला एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है. मधु कृष्ण त्रयोदशी का पर्व फाल्गुन माह (फरवरी - मार्च) में कृष्ण पक्ष के 13 वें दिन मनाया जाता है. इस बार ये पर्व 22 मार्च को मनाया जायेगा. मधु कृष्ण त्रयोदशी का पर्व भगवान शिव को समर्पित है. कुछ भक्त दिन पर एक समय उपवास करते हैं. कुछ हिंदू भक्त मधु कृष्ण त्रयोदशी के दिन अपनी इच्छानुसार पूरा दिन व्रत करते हैं. मधु कृष्ण त्रयोदशी का पर्व प्रमुख रूप से कुछ हिंदू समुदायों द्वारा भारत के पश्चिमी भाग में मनाया जाता है. मधु कृष्ण त्रयोदशी के दिन को मासरूमी के दिन भी मनाया जाता है.
मधु कृष्ण त्रयोदशी से जुडी विशेष बाते-
• मधु कृष्ण त्रयोदशी व्रत उन तेरहवें दिनों में मनाया जाता है जो हिंदू चंद्र माह में चंद्रमा या शुक्ल पक्ष के चरण के दौरान होता है.
• सभी त्रयोदशीयों में से सबसे लोकप्रिय व्रत अनंत त्रयोदशी का व्रत होता है.
• अन्य उपवासों में चैत्र माह में कामत्रोयोदशी का उपवास भी शामिल है.
• मधु कृष्ण त्रयोदशी के 13 वें दिन का उपवास आमतौर पर भगवान शिव को समर्पित होता है.
मधु कृष्ण त्रयोदशी पूजन विधि-
• माघ माह (जनवरी - फरवरी) में शुक्ल पक्ष के दौरान तेरहवें दिन जो लोग व्रत करते हैं वो इस दिन भगवान् शिव की पूजा करते हैं.
• इस दिन व्रत करने वाले लोग तिल और धूप-सूखे चावलों से भगवान् शिव की पूजा करते हैं.
• जो लोग मधु कृष्ण त्रयोदशी का व्रत करते हैं वो व्रत के दिन शहद का सेवन करते हैं।
मान्यताओं के अनुसार मधु कृष्ण त्रयोदशी-
• पौष महीने के तेरहवें दिन का व्रत भगवान् योगेश्वरा को समर्पित होता है.
• फाल्गुन माह में ककोला को और चैत्र महीने में भगवान् शिव की पूजा की जाती है.
• वैशाख मास में पड़ने वाली त्रयोदशी के दीन जो लोग व्रत करते हैं वो इस दिन केवल जती फल का सेवन करते हैं. इस दिन भगवन शिव के महारूप की पूजा करते हैं.
• जैश महीने की त्रयोदशी के दिन भगवान् प्रद्युम्न की पूजा की जाती है.
• आषाढ़ माह में पड़ने वाली त्रयोदशी के दिन भगवान् शिव की माता पारवती के पति के रूप में पूजा की जाती है.
• श्रावण महीने में पड़ने वाली त्रयोदशी के दिन त्रिशूल धारण करने वाले शूलपाणि की पूजा की जाती है.
• भाद्र मास में पड़ने वाली त्रयोदशी के दिन शिव के सद्योजाता स्वरूप की पूजा की जाती है.
• कार्तिक मॉस में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान् विश्वेश्वर की पूजा की जाती है.
• मार्गशीर्ष मास में पड़ने वाली त्रयोदशी के दिन भगवान् शंभू की पूजा की जाती है.
• आमतौर पर त्रयोदशी व्रत के दौरान भगवान के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है.