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महाभारत और परशुराम से जुड़ी कथा

महाभारत और परशुराम से जुड़ी कथा-

महभारत काल में भी परशुराम से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। शास्त्रों के अनुसार भीष्म पितामह भगवान परशुराम के ही शिष्य थे। भीष्म पितामह से अनजानें में एक भूल हो गई थी। एक बार काशीराज ने अपनी तीन बेटियों अंबा, अंबिका और अम्बालिका का स्वंयवर रचाया था। जिसमें भारत के अनेक प्रतापी राजाओं को आमंत्रित किया गया था। लेकिन हस्तिनापुर में इस स्वंयवर का निमंत्रण नहीं था । उस समय हस्तिनापुर के राजा पितामह भीष्म के छोटे भाई थे। 

इस बात का पता जब भीष्म को लगा तो उन्होंने अपने भाई और हस्तिनापुर के अपमान का बदला लेने के लिए काशी नरेश की तीनों बेटियों का हरण कर लिया। लेकिन अंबा ने जब भीष्म को बताया कि वह शाल्व नाम के राजा से प्रेम करती है। जिसके बाद भीष्म को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने अंबा को छोड़ दिया। लेकिन शाल्व ने भीष्म के इस कृत्य की वजह से अंबा का त्याग कर दिया और विवाह से मना कर दिया । जिसके बाद अंबा ने भीष्म से बदला लेने की ठान ली और भगवान परशुराम से मदद मांगी। जब परशुराम को यह पता चला कि उनके शिष्य नें एक नारी का अपमान किया है। तब परशुराम ने भीष्म को यद्ध के लिए ललकारा । जिसके बाद दोनों के बीच कई दिनों तक युद्ध चला । इस युद्ध के कारण धरती का विनाश होता जा रहा था। यह देख भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने दोनों से यह यद्ध बंद करने के लिए कहा। भगवान शिव की आज्ञा को दोनों महवीरों ने पालन किया और युद्ध समाप्त कर दिया।
 
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