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श्री महावीर जयंती | Shri Mahavir Jayanti on 10 Apr 2025 (Thursday)

व्रत का नामः - श्री महावीर जयंती
व्रत के देवताः - भगवान महावीर
पूजा का समयः - प्रातः काल संकल्प के साथ
व्रत की पूजा विधिः - षोड़षोपचार या पंचोपचार विधि
व्रत की कथाः - यह जयंती भगवान जैन धर्म के 24वें तीर्थकार के रूप में मनाई जाती है।
टिप्पणीः - उन्होंने सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अस्तेय का केवल उपदेष नहीं किया बल्कि अपने जीवन काल मे उसको पूर्ण अपनाया और धन सम्पत्ति राज वैभव अनेक सुख भोग उन्हें अपने झूठे राग में रागने मे नाकाम रहे।

भगवान महावीर जयंती 
भगवान महावीर जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकार माने जाते हैं। उनका जीवन मानव के उच्चतम् आदर्षो से प्रेरित है। वह प्रत्येक मानव को न केवल सत्य अहिंसा का संदेष देते हैं, बल्कि जीवन के अतिदुर्लभ मूल्यों को अपनाने और इस मानव तन को सुखी बनाने का संदेष देते हैं। वाकई जीवन के अनेक तथ्य जो इस धरा पर मानव ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जीवन की असत्यता को हर पल बताते हैं। जिसे सिर्फ एक ज्ञानी और महान आत्मा मानव जीवन ही समझ पाता है। अर्थात् ईष्वर सत्य है और यह जगत मिथ्या यानी झूठ है। जिसमे मानव जन्म धारण कर व्यक्ति नाना प्रकार के नातों रिष्तों से जुड़ कर सुख-विलास की वस्तुआंे को संजोने मे सारा समय लगा देता हैं। किन्तु काल चक्र की सबलता के कारण वह उसे कभी भी किसी पल न चाहते हुए छोड़कर चलता बनता है। सब कुछ यही धरा रह जाता है। महल द्विमहले बंगले, गाड़ी घोड़ा नौकर चाकर आदि कुछ काम नहीं आते यह कर्म सिद्धांतवादी भारतीय भूमि इसलिए सदैव षुभ कर्मो को करने पर जोर देती है। क्योंकि व्यक्ति जो षुभ अषुभ कर्म करता है उसे जन्म जन्मातरों मे भोगना ही पड़ता हैं। कोई अच्छा बुरा कार्य व्यक्ति अपने लिए ही करता है न कि दूसरों के लिए क्योंकि दृष्टि के नियम है ऐसे हैं जो प्रत्येक घटना को व्यक्ति करते हैं।

      भगवान महावीर का जीवन मानव जीवन के सर्वोत्तम् अनूठे, पवित्र मूल्यों से परिपूर्ण था। उन्होंने सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अस्तेय का केवल उपदेष नहीं किया बल्कि अपने जीवन काल मे उसको पूर्ण अपनाया और धन सम्पत्ति राज वैभव अनेक सुख भोग उन्हें अपने झूठे राग में रागने मे नाकाम रहे।

  आज के बदलते हुए समय में सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य अस्तेय आदि गुण जीवन पथ पर भटकते और घबराये हुए व्यक्ति के आत्मबल, जोष, मनोबल, ष्षरीरिक बल, तेज, ओज को बढ़ाने मे कारगर है जिससे उसे अनेक प्रकार के रोगांे से सहज ही छुटकारा मिल सकता है और वह धन सम्पत्ति से युक्त वैभव पूर्ण जीवन का जीते हुए मानव जीवन का सद्ोपयोग कर सकता है।      
 
यह गुण तथा कथित विकास व विज्ञान की धारा पैदा करने का समथ्र्य नहीं रखती यह सिर्फ भारतीय मानस की ही उपज है। जिसे सदियोें से भारतीय चिंतन के अध्यात्म में ऋषि मुनियों ने सजाया संवारा।
 
भगवान महावीर के आदर्षो मे चलने में व्यक्ति कठिनाई का अनुभव कर सकता है किन्तु दःखों का सामना नहीं करता है उसका तन, मन, जीवन निष्चय ही निखर उठता है। उनके जन्म के समय में भारतीय ज्योतिषियों ने पहले ही उनके चक्रवर्ती राजा होने की घोषणा की थी। जिसका प्रत्यक्ष फल उनकी कुण्डली मे दिखाई दिया फलस्वरूप धन वैभव दिन-दूने और रात चैगुने बढ़ने लगे जिससे उनका दूसरा नाम वर्धमान भी था। 

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