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मासिक दुर्गा अष्टमी

क्या है दुर्गा अष्टमी व्रत का महत्व:

दुर्गा शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है और इसका अर्थ है जो हार ना माने। देवी दुर्गा को उग्र और साथ-ही-साथ शक्ति का समावेश माना जाता है। दुर्गा अष्टमी को वास्तव इसलिये मनाया जाता है क्योंकि उन्होनें बहुत से राक्षसों पर जीत प्राप्त की थी । ऐसा माना जाता है  कि यदि आप पूरे मन और पूर्ण समर्पण और विश्वास के साथ देवी मां की पूजा करते है तो आप पर उनका विशेष आशीर्वाद सदैव बना रहेगा।

दुर्गाष्टमी और उनसे जुड़ी कथायें-

पुरानी कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि देवी चामुंडा अपना रुप धारण किया ताकि असुरों का वध किया जा सकें। चामुडा देवी ने मां दुर्गा के माथे से जन्म लिया था। इस दिन अगर पूजा अनुष्ठानों की बता करें तो 64 योगिनियों और अष्ट नायिका की पूजा की जाती है। अगर आप सोच रहे है कि अष्ट नायिका क्या है तो इसका सीधा अर्थ यह है कि इस दिन अष्ट नायिकाओं की पूजा की जाती है।

दुर्गा अष्टमी और हिंदू अनुष्ठान -

दुर्गा अष्टमी को सीधे शब्दों में "माता अष्टमीके नाम से भी जाना जाता है और यह पूरी तरह से देवी शक्ति को समर्पित है। यह त्योहार "अष्टमी" के दिन पूरी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है और इसी कारण इसे दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है। भक्त इस दिन देवी दुर्गा के विभिन्न हथियारों के किस्मों की पूजा भी करते है। हिंदू भक्त देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना बहुत ही जोर-शोर से करते हैं। कहा जाता है कि माता देवी की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करने से उनका आशीर्वाद मिल जाता है । दुर्गा अष्टमी व्रत भी हिंदू धर्म मे बहुत ही अधिक महत्व रखता है।

इस दिन क्या करें –

दुर्गा अष्टमी पूरी तरह से माता दुर्गा जी को समर्पित है। भक्त इस दिन भोर में उठ जाते हैं और देवी मां की पूजा करते हुये कई तरह की चीजें अर्पित की जाती हैं जैसे फूल, चंदन और धुपबत्ती। इस दिन भक्त कन्या बैठाते है और कन्याओं की पूजा भी की जाती है। इस दिन छोटी कन्याओं को खाना खिलाना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन भक्त् मंत्र, दुर्गा चालीसा और भजन भी करते है जिससे वातावरण पूर्ण रुप से भक्तिमय बन जाता है। वहीं कुछ लोग इस दिन जौ भी बोते है और फिर उसे माता को चढाकर भक्तों में प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है

सबसे पहले आपको सुबह जल्दी उठना चाहिये और अपने दैनिक कामों को करने के उपरांत स्नान ग्रहण करना चाहिये

अपने दिमाग को पूरी तरह से सकारात्मक रखें और इसमें किसी भी प्रकार के नकारात्कमता ना आने दे।

यह त्यौहार हमें यह भी सीखाता है कि आप अपने क्षेत्र में पूरी तरह से शांति और खुशी बनाए रखे

पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करें ताकि आपकी मनोकामना पूरी हो सकें।

और पूजा स्थल को विशेष तौर पर साफ एवंम स्वच्छ रखें

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