मासिक कार्तिगाई एक विशेष मासिक-त्यौहार है जिसे बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस त्यौहार को तमिल-हिंदुओं द्वारा भी बहुत ही जोर-शोर के साथ मनाया जाता है।
भगवान सुब्रहमण्यम का आशीर्वाद -
आदिम और थाई के तमिल महीनों से शुरू होने वाले छह महीनों के लिए अनुष्ठान मनाया जा सकता है। लगातार 12 वर्षों तक माणिक कार्तिगई व्रत का पालन करते हुए कहा जाता है कि भक्तों को महान सौभाग्य और भगवान सुब्रह्मण्यम का आशीर्वाद मिलता है। कार्थिगई व्रत में भोजन से पूरी तरह मना होता है पर आज के समय में ऐसा व्रत रखना संभव नहीं है, तो भक्त फल और दूध का सेवन कर सकते हैं।
मासिक कार्तिगाई महोत्सव -
तमिल-कैलेंडर के अनुसार, यह व्रत-त्यौहार हर महीने पड़ता है। मासिक कार्तिगई पर, भगवान-शिव और भगवान-मुरुगन का आशीर्वाद लेने का बहुत ही अधिक महत्व है और इसीलिये भक्तगण इस दिन सुबह-सुबह अपने दैनिक कार्यों को करने के बाद पूजा-अर्चना में लग जाते हैं। इस दिन मंदिरों में भारी भीड़ देखी जा सकती है क्योंकि वरदान प्राप्त करने के लिय भक्त अपने अपने घर-मंदिरों और अन्य पवित्र स्थानों में अपने प्यारे देवताओं की वंदना करते हैं।
कहां मनायी जाती है मासिक कार्तिगाई -
यह पवित्र त्यौहार ज्यादातर तमिलनाडु और केरल में मानाया जाता है। इसके अलावा, यह त्यौहार केरल में थ्रिक्कार्तिका के रूप में जोर-शोर से मनाया जाता है। क्योकि मासिक कार्तिगाई तमिल राज्य के सबसे पुराने त्यौहारों में से एक माना जाता है, इसीलिये कार्तिगई दीपम को गहरे उत्साह और शो के साथ मनाया जाता है।
कृत्तिका दीपम करने के लिये कृतिका नक्षत्र को बहुत ही अधिक शुभ होता है। कार्थिगई दीपम थिरुवन्नमलाई की पहाड़ियों में भी बहुत लोकप्रिय है, जहाँ एक विशाल अग्नि दीप-महादिपम को पर्वत-शिखर पर उतारा जाता है, जिसे जमीनी स्तर से देखा जा सकता है। हिंदू भक्त भगवान से प्रार्थना करते हैं।
तमिल कैलेंडर के अनुसार, मासिक कार्तिगाई हर महीने मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार "कार्थिगई दीपमव (कार्तिकई विलाकिदुकु)" का एक धार्मिक पालन है। सींधे शब्दों में कहे तो, मंदिरों में अपने-अपने गर्भगृह के अंदर भगवान शिव और भगवान मुरुगन की पूजा करना शुभ माना जाता है।
मासिक कार्तिगाई और भगवान कार्तिकेय का जन्मदिन -
मासिक कार्तिगाई को भगवान कार्तिकेय के जन्मदिने के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है जिसे भगवान मुरुगा, भगवान सुब्रमण्य और भगवान शनमुगा आदि के रूप में जाना जाता है, जिन्हें भगवान शिव के दिव्य पुत्र के रूप में जाना जाता है।
मासिक कार्तिगाई अनुष्ठान -
महापुरुषों ने माना कि यह श्रद्धापूर्ण दिन हिंदू धर्म के प्रमुख देवता भगवान शिव को पूरी तरह से समर्पित है। परम देवताओं की तिकड़ी की पूजा पूरे-विधि विधान से की जाती है । इस त्यौहार की महिमा इसे ही पता चलती है कि किस प्रकार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
पुरानी कथाओं के अनुसार एक बार इस बात पर चर्चा चल रही थी कि "भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वरा" त्रिदेवों में से कौन सबसे अधिक शक्तिशाली है। भगवान महेश्वरा (शिव) ने भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा को अपना वर्चस्व (शक्ति) साबित करने के लिए खुद को प्रकाश के एक असंख्य विस्फोट (ज्वाला) में परिवर्तित कर लिया।