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मासिक शिवरात्रि का महत्व | Masik Shivratri on 09 Jan 2024 (Tuesday)

मासिक शिवरात्रि महत्व :-
  • हिन्दू धर्म में भोलेनाथ की पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. 
  • सभी भक्त भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते है. ऐसा माना जाता है की जो भी भक्त सच्चे मन और आस्था से भोलेनाथ की पूजा अर्चना करता है उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. 
  • भोले नाथ की पूजा करने से मनुष्य के जीवन में कभी भी धन से जुडी कोई समस्या नहीं आती है. 
  • हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही शुभ माना जाता है. 
  • महाशिवरात्रि के दिन सभी लोग शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा करते हैं. 
  • महाशिवरात्रि के दिन व्रत करने और सच्चे मन से शिवजी की पूजा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं को पूरा करते हैं. 
  • शिव पुराण में महाशिवरात्रि के व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. 
  • शिव पुराण के अनुसार शिवरात्रि का व्रत करने से मनुष्य को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है, पर क्या आपको पता है महाशिवरात्रि के अलावा भी साल में 12 शिवरात्रि और भी आती हैं. 
  • जिन का अलग-अलग महत्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार मासिक शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि के दिन मनाई जाती है. 
  • ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ स्वयं शिव लिंग रूप में प्रकट होते हैं.
 
भगवान् शिव का स्वरुप :-
  • शिव पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव जी का निराकार स्वरूप प्रतीक लिंग पूजन सबसे पहले ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने किया था. 
  • हमारे धर्म पुराणों के अनुसार महाशिवरात्रि  के बाद मासिक शिवरात्रि के दिन शिव की पूजा अर्चना करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. 
  • शिवरात्रि को लेकर हमारे धर्म पुराणों में बहुत सारी कथाओं का वर्णन किया गया है. 
कथा :-
एक समय भगवान शिव बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए. उनके क्रोध की अग्नि में पूरा जगत नष्ट होने वाला था, पर माता पार्वती ने शिव जी का क्रोध शांत करके उन्हें प्रसन्न किया. इसी वजह से हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. 

एक अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच मनमुटाव हो गया. ब्रह्मा और विष्णु दोनों में से कौन श्रेष्ठ है इस बात को लेकर दोनों के बीच मतभेद हो जाता है. तब शिवजी एक अग्नि के स्तंभ के रूप में उनके सामने प्रकट होते हैं और विष्णु और ब्रह्मा जी से कहते हैं कि मुझे इस अग्नि स्तंभ का कोई किनारा दिखाई नहीं दे रहा है. तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपने द्वारा की गई गलती का एहसास होता है और वह अपनी की गई गलती के लिए शिवजी से क्षमा याचना करते हैं. इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति शिवरात्रि का व्रत करता है उसके अंदर का अहंकार नष्ट हो जाता है और मनुष्य में सभी चीजों के प्रति समान भाव जागृत होता है. शिवरात्रि का व्रत करने से मनुष्य के अंदर मौजूद विकारों का अंत हो जाता है. हिंदू धर्म में शिवरात्रि व्रत और पूजा का बहुत महत्व है. शिवरात्रि का व्रत हिंदू धर्म के सबसे बड़े व्रतों में से एक माना जाता है. इस दिन सभी शिव मंदिरों में शिव जी की खास पूजा की जाती है.

मासिक शिवरात्रि की ख़ास बातें :-
  • इस दिन ख़ास तरीके से भोलेनाथ की पूजा और अर्चना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के बाद अगर मनुष्य हर महीने पडने वाली शिवरात्रि पर भी मोक्ष प्राप्ति के चार संकल्पों के साथ शिवजी की पूजा करता है, रुद्र मंत्र का जाप करता है, शिव मंदिर में जाकर उपवास तथा काशी में देह त्याग करता है तो मोक्ष की प्राप्ति जरूर होती है.
  • मासिक शिवरात्रि के दिन शिव लिंग की नियमानुसार पूजा और अभिषेक करने से मन वांछित मनोकामना की प्राप्ति होती है. 
  • ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और सीता सावित्री ने भी शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा और व्रत किया था .
  • धर्म पुराणों के अनुसार अध्यात्मिक साधना के लिए व्रत करना बहुत जरूरी होता है. 
  • मासिक शिवरात्रि के दिन रात के समय जागरण करके शिव पुराण का पाठ सुनना व्रत करने वाले व्यक्ति के लिए अत्यंत फलदायक होता है. 
  • इस दिन रात में जागरण करने वाले भक्तों को शिव जी का नाम, पंचाक्षरी मंत्र या शिव स्रोत का निरंतर पाठ करते रहना चाहिए. 
  • ऐसा करने से भक्तों का जागरण सफल हो जाएगा. व्रत के साथ रात में जागरण करने के महत्व के बारे में संतों ने बताया है कि पांच इंद्रियों द्वारा आत्मा पर छाई विकार को दूर करने के लिए जागरण करना उत्तम उपाय है. 
  • इसके अलावा महादेव को रात्रि का समय बहुत प्रिय होता है. अगर भक्त रात्रि का समय महादेव को उपहार स्वरूप चढ़ाता है तो भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर उसकी सभी मनोकामनाएं को पूरा करते हैं.

मासिक शिवरात्रि के नियम :-
  • शिवजी को बेलपत्र बहुत प्रिय होते हैं, इसलिए शिवजी की पूजा में बेलपत्र का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. बेलपत्र से शिवलिंग पर पानी छिड़कने से महादेव का क्रोध शांत हो जाता है. इसलिए हमेशा शिवजी को ठंडे जल से स्नान कराने का नियम है. 
  • शिवलिंग पर चंदन का टीका लगाना बहुत शुभ माना जाता है. 
  • भगवान भोलेनाथ पर फल, फूल चढ़ाने का अर्थ है कि आप भगवान को धन्यवाद कर रहे हैं. 
  • भोलेनाथ के सामने धूप दीप जलाने से मनुष्य के सारे कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं.
  • भगवान के सामने घी का दीपक जलाने से मनुष्य की अज्ञानता का अंधेरा दूर हो जाता है और ज्ञान की रोशनी मिलती है. 
  • भगवान भोलेनाथ के सामने दिया जलाने से मनुष्य अपने जीवन में उन्नति के द्वार को खोल सकता है. 
  • भगवान भोलेनाथ की पूजा में पान के पत्ते का भी बहुत महत्व होता है. पान का पत्ता संतुष्टि को दर्शाता है. 
  • शिव जी  का आभार प्रकट करने के लिए पान का पत्ता चढ़ाना सबसे शुभ होता है. 
  • हमारे धर्म शास्त्रों में मासिक शिवरात्रि के दिन पूजा करना बहुत शुभ माना गया है.
  • ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के बाद अगर आप शिवजी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो हर महीने आने वाली शिवरात्रि पर नियमानुसार व्रत और पूजा करना करें. 
  • मासिक शिवरात्रि पर भोले नाथ की पूजा करने से मनुष्य के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. 
  • इसके अलावा मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से धन संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है. 
  • अगर आप अपने पुराने कर्ज को चुकाने पा रहे हैं तो मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की उपासना करें. 
  • ऐसा करने से आप का कर्ज दूर हो जाएगा. 
  • मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की उपासना करने से आपके सभी कार्य बिना किसी रूकावट के पूरे हो जाएंगे.

शिव व् शिव की रात्रियाँ :-
  • हिंदू धर्म में वार्षिक, मासिक और साप्ताहिक सभी प्रकार के त्योहार बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. 
  • हिंदू धर्म में भोलेनाथ की भक्ति सबसे ज्यादा खास होती है. अगर साप्ताहिक त्योहारों की बात की जाए तो सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा का खास महत्व होता है. 
  • हर महीने पडने वाले त्योहारों में मासिक शिवरात्रि का व्रत और पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है. 
  • इसके अलावा वार्षिक त्योहारों में महाशिवरात्रि, श्रावण महिना, हरतालिका तीज आदि पर भोलेनाथ की पूजा का खास महत्व होता है. 
  • प्रदोष काल के समय शिवजी की पूजा करना बहुत शुभ होता है. इसीलिए शिवजी की पूजा दिन और रात से संबंध के समय करना सबसे उत्तम माना जाता है. 
  • शिव जी के किसी भी व्रत में प्रदोष काल में पूजा करना अच्छा माना जाता है. 
  • हर महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. 
  • इस दिन प्रदोष काल में सभी भक्त मान्यता अनुसार पूजा एवं व्रत करते हैं. 
  • हर साल फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. 
  • हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ज्यादातर लोग शिवरात्रि का व्रत करते हैं. महाशिवरात्रि के दिन प्रदोष काल के समय दिन और रात्रि के मिलन पर शिवजी की पूजा करने का नियम होता है. महाशिवरात्रि के व्रत में भोजन ग्रहण करना वर्जित होता है. 
  • इस दिन दोनों वक्त फलाहार करने का नियम है. महाशिवरात्रि की पूजा में रुद्राभिषेक करने का बहुत महत्व होता है. 
  • महाशिवरात्रि के दिन ज्यादातर लोग अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर शिवजी का रुद्राभिषेक करते हैं. महाशिवरात्रि के दिन बत्ती जलाने का भी बहुत खास महत्व होता है. 
  • शिवरात्रि के लिए एक खास प्रकार की बत्ती जलाई जाती है और उसके सामने बैठकर शिव जी का ध्यान किया जाता है. 
  • महाशिवरात्रि के दिन शिव पुराण, शिव पंचाक्षरी मंत्र, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टक और शिव के श्लोक सहस्रनाम का पाठ करना शुभ होता है. 
  • शिव जी के ध्यान के लिए ओम मंत्र का जाप किया जाता है. 
  • हमारे धर्म शास्त्रों में ओम के उच्चारण को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है. शिवजी का पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. 
  • ओम शब्द उ और अम दो शब्दों से मिलकर बनता है. ध्यान अवस्था में बैठकर ॐ का उच्चारण करने से मनुष्य को मानसिक शांति की प्राप्ति होती है. 
  • इसके अलावा ओम का उच्चारण करने से मन एकाग्र चित्त होता है. हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध और जैन धर्म में भी ॐ का बहुत महत्व होता है.

शिव के लिए है श्रावण मास:-
  • श्रावण मास शिव जी को सबसे अधिक प्रिय होता है. पूरे श्रावण महीने में शिव रुद्राभिषेक करना शुभ होता है. रुद्राभिषेक में शिवजी के नाम का उच्चारण करके कई प्रकार के द्रव्यों से श्रद्धा पूर्वक शिव जी को स्नान करवाया जाता है. 
  • इस प्रक्रिया को शिव रुद्राभिषेक कहा जाता है. यजुर्वेद में शिव रुद्राभिषेक का उल्लेख किया गया है, पर यजुर्वेद के अनुसार पूरी तरह से रुद्राभिषेक का पालन करना कठिन है. इसलिए शिव के उच्चारण के साथ सरल तरीके से रुद्राभिषेक करना उचित माना गया है. 
  • शिवजी के रुद्राभिषेक में जल, शहद, गाय का दूध, गाय का घी, दही, सरसों का तेल, पवित्र नदी का जल, गन्ने का रस, शक्कर, जनेऊ, गुलाल, अबीर, धतूरे का फूल, फल, अकाव के फूल और बेलपत्र आदि का इस्तेमाल किया जाता है. 
  • इन सभी चीजों को गाय के दूध में मिलाकर शिवलिंग को स्नान करवाया जाता है. इस प्रक्रिया को रुद्राभिषेक कहा जाता है. 
  • शिवजी को स्नान करवाते समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करना जरूरी होता है. 
  • शिवजी का रुद्राभिषेक परिवार के सभी लोग एक साथ मिलकर कर सकते हैं. 
  • हमारे धर्म पुराणों में बताया गया है कि एक बार जब भगवान शिव क्रोध की ज्वाला में जल रहे थे तब माता पार्वती ने उनका क्रोध शांत करने के लिए उनकी विशेष प्रार्थना की थी. 
  • माता पार्वती की प्रार्थना से प्रसन्न होकर शिव जी का क्रोध शांत हो गया था. 
  • उसी समय से कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन भगवान शिव जी की उपासना करने का नियम है. 
  • इस दिन को शिवरात्रि के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. 
  • जो भी व्यक्ति शिवरात्रि का व्रत करता है उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं. 
  • इसके अलावा आप संतान प्राप्ति के लिए रोगों से मुक्ति पाने के लिए भी शिवरात्रि का व्रत कर सकते हैं.

शिवरात्रि के दिन 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करना भी बहुत शुभ माना जाता है:-
1- सौराष्ट्र में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
2- उज्जैन मध्य प्रदेश में कालेश्वर ज्योतिर्लिंग
3- श्रीशैलम में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
4- मध्य प्रदेश के खंडवा में मौजूद ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
5- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग परली
6- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र
7- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
8- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र
9- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
10- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
11- विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग
12- घिश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग

हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है की महाशिवरात्रि या मासिक शिवरात्रि के दिन इन बारह ज्योतिर्लिंगों में से किसी एक का भी दर्शन करने से मनुष्य को चार तीर्थ के दर्शन के सामान पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके किये गए सभी पाप खत्म हो जाते हैं.