मातंगी जयंती के दिन इन तरीकों से करें देवी मातंगी की पूजा
क्या है मातंगी जयंती-
देवी मातंगी को दसमहाविद्या में नवीं महाविद्या माना जाता हैं. देवी मातंगी वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं. शास्त्रों के अनुसार देवी मातंगी स्तम्भन की देवी हैं तथा इनके अंदर पुरे ब्रह्माण्ड की शक्तियां शामिल हैं. देवी मातंगी को वैवाहिक जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाने वाली देवी भी माना जाता हैं. पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ देवी मातंगी का पूजन करने से वैवाहिक जीवन सुखी रहता हैं. देवी मातंगी को पुरुषार्थ चतुष्ट्य की प्रदात्री भी माना जाता हैं. जो भी व्यक्ति सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ देवी मातंगी की पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. ये अपने सभी भक्तो को अभय फल का वरदान देती हैं. देवी मातंगी अभीष्ट सिद्धि प्रदान करती हैं.
मातंगी जयंती का महत्व-
हमारे धर्म शास्त्रों में मातंगी जयंती को बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है. मातंगी जयंती के दिन 10 महाविद्याओं की नौवीं विद्या माँ मातंगी की पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की पूजा अर्चना करता है माँ मातंगी उसे सर्व सिद्धियों का वरदान प्रदान करती है. देवी मातंगी अपने सभी भक्तो की समस्याओं को दूर कर के उन्हें सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. मातंगी देवी की जयंती के अवसर पर सभी देवी मंदिरों में उनकी पूजा अर्चना की जाती है. मातंगी जयंती के अवसर पर कन्या पूजन करने का भी नियम है. इस दिन देवी मातंगी को भोग लगाकर सभी भक्तों में माता का प्रसाद बांटा जाता है. बहुत सी जगहों पर मातंगी जयंती के दिन जागरण एवं भजन किर्तन भी आयोजित किये जाते है. इस दिन सभी भक्त माता के मंदिर में बहुत उत्साह के साथ माता का जयकारा लगते है और माता के नाम का उदघोष करते हैं.
माँ मातंगी का स्वरूप-
• शास्त्रों में बताया गया है की मतंग भगवान शिव के अनेको नामो में से एक है.
• हमारे पौराणिक धर्म पुराणों के अनुसार भगवान शिव की आदिशक्ति देवी मातंगी को ही माना गया है.
• देवी मातंगी का स्वरुप श्याम रंग का है.
• देवी मातंगी के मस्तक पर चंद्र देव विराजमान रहते हैं.
• देवी मातंगी असुरो का संघार करने के लिए तेजस्व रूप में प्रकट हुई है.
• देवी मातंगी लाल रंग के वस्त्रों में सुशोभित रहती हैं.
• ये सिंह पर सवार रहती है और ये अपने पैरों में लाल रंग की पादुका और गले में लाल माला पहनती हैं.
• देवी मातंगी अपने हाथों में धनुष बाण ,शंख, पास, कटार, छत्र, त्रिशूल, अक्ष माला आदि धारण करती हैं.
• ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो भी मनुष्य पलाश के फूलो, मल्लिका के फूलों और बेल पत्रों से मां मातंगी की आराधना करता है उसके अंदर आकर्षण और स्तंभन शक्ति उत्पन्न होती है.
• कुछ मान्यताओं के अनुसार मातंगी देवी का एक नाम महा पिशाचिनी भी है.
मातंगी जयंती पूजन विधि-
• देवी मातंगी की साधना हमेशा रात के समय ही करनी चाहिए. देवी मातंगी की पूजा को हमेशा रात्रि में 9 बजे के पश्चात् ही शुरू करना चाहिए.
• मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की पूजा करने के लिए सर्वपर्थम स्नान करें. स्नान करने के बाद साफ़ सुथरे लाल रंग के वस्त्र पहने.
• अब अपने घर के किसी एकांत कमरे में या अपने घर के पूजा कक्ष में पश्चिम दिशा की ओर अपना मुंह करके बैठ जाएँ.
• देवी मातंगी की पूजा में बैठने के लिए हमेशा लाल रंग के ऊनि आसन का इस्तेमाल करें.
• अब अपने समक्ष एक लकड़ी की चौकी स्थापित करे. अब इस चौकी पर थोड़ा सा गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध कर लें.
• अब इस चौकी पर लाल रंग का कपडा बिछाएं.
• मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की पूजा करने के लिए देवी मातंगी की तस्वीर , यन्त्र और लाल मूँगा माला अत्यंत आवश्यक होती है.
• अगर आपके पास इन सभी चीजों की कमी है तो किसी ताँबे की प्लेट में सिंदूर के प्रयोग से स्वास्तिक का निर्माण करें. अब इस स्वस्तिक के ऊपर एक सुपारी रखे. अब इस सुपारी को ही यन्त्र मानकर इसका पूजन करें.
• अब माँ मातंगी की तस्वीर के समक्ष शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करे और देवी मातंगी को लाल रंग के फूल चढ़ाएं.
• मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी के कवच का पाठ अवश्य करें.
• मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की पूजा करते वक़्त व्यक्ति को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ पूजा के सभी नियमों का पालन करना चाहिए.
• अब देवी मातंगी के मन्त्र का जाप करे.
मंत्र-
ओम क्रीं ह्रींग मातंगी क्रीं ह्रीं स्वाहा
• सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ इस मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है.
• मान्यताओं के अनुसार अगर किसी मनुष्य के जीवन में प्यार की कमी या तकलीफ हो, मनुष्य अकाल या बाढ़ की समस्या से पीड़ित हो तो देवी मातंगी के इस मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाएँगी.
• ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति मातंगी महाविद्या की सिद्धि को प्राप्त करता है कला और संगीत में पारंगत हो जाता है अपनी इन्ही कलाओं से मनुष्य किसी भी व्यक्ति को पूरी तरह से अपने वश में कर सकता हैं.
• मातंगी जयंती के दिन इसी संक्षिप्त पूजन विधि से देवी मातंगी की पूजा करें.
• इस बात का ध्यान रखे की देवी मातंगी की आराधना करने की जानकारी को हमेशा गोपनीय रखे.
• देवी मातंगी की पूजा करने के पश्चात् हवन करें.
• हवन करने के लिए एक प्लेट में पलाश के फूल, शुद्ध घी और हवन सामग्री को मिलाकर रख लें. अब इन सभी चीजों के द्वारा हवन कुंड में श्रद्धा पूर्वक आहुति प्रदान करें.
• हवन पूरा करने के पश्चात् मातंगी यंत्र को लाल रंग के कपडे में लपेट कर अपने घर के मंदिर या तिजोरी में एक साल के लिए संभाल कर रख दें.
• देवी मातंगी की पूजा के पश्चात् पूजा में बची हुई पूजन सामग्री को किसी बहती हुई नदी में बहा दें.
• अगर आपके घर के आसपास कोई नदी नहीं है तो आप इस पूजन सामग्री को किसी पीपल के पेड़ के नीचे भी दबा सकते हैं.
• इस प्रकार से मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की आराधना करने से देवी मातंगी प्रसन्न हो जाती हैं और मनुष्य के ऊपर माँ मातंगी देवी की कृपा हमेशा बनी रहती हैं.
• मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की आराधना करने से ज्ञान, धन सम्मान, प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है.
• मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की आराधना करने से मनुष्य के जीवन से दरिद्रता दूर हो जाती है और मनुष्य को कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है.
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