Indian Festivals

मेरु त्रयोदशी | Meru Trayodashi on 08 Feb 2024 (Thursday)

मेरु त्रयोदशी क्या है -

 मेरु त्रयोदशी जैन धर्म से संबंधित एक विशेष त्यौहार है । इसे मनाने के पीछे का उद्देश्य तीर्थंकर ऋषभ देव की निर्वाण प्राप्ति है। मेरु त्रयोदशी का शुभ दिन रसभा देव के निर्वाण कल्याणक के दिन के रूप में भी जाना जाता है। इसी विशेष दिन पर वर्तमान तीर्थंकर ऋषभ देव ने अष्टापद पर्वत पर निर्वाण प्राप्त किया था और तभी से इस दिन का बहुत ही अधिक महत्तव है।

 मेरु त्रयोदशी का मह्त्व -

 जैन धर्म में मेरु त्रयोदशी का एक विशेष महत्तव है। यह विशेष त्यौहार मगशिर के तेरहवें दिन पर बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। जैन धर्म में पूजा-पाठ व अनुष्ठानों का विशेष महत्व है । यह धर्म सच्चाई और दृढ़ता के साथ जीवन को सत्य की राह पर चलने की सीख देता है।

 मेरु त्रयोदशी मह्त्व –

 यह त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और इसका इस धर्म में विशेष महत्तव है। मेरु त्रयौदशी को जैन धर्म के पहले तीर्थंकर के मोक्ष की प्राप्ति का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन उपवास रखने वाले भक्तों को 13 साल और 13 महीने तक एक ही परंपरा का पालन करना होता है । इसके अलावा इस मंत्र का जाप करना भी काफी शुभ माना जाता है –

"ओम् रं श्रीं आदिनाथ परमंतता नम:"

"ओम् रं श्रीं आदिनाथ परगनाय नमः"

  

मेरु त्रयोदशी कैसे मनाई जाती है?

 ऐसा माना जाता है कि 13 की संख्या का मेरु त्रयोदशी के त्योहार से एक विशेष जुड़ाव है । यह काफी शुभ मानी जाती है। मेरु त्रयोदशी पर भक्त को "कोविहार" रुपी एक बहुत ही कठिन उपवास का पालन करना होता है। इस व्रत में आप अन्न ग्रहण नहीं कर सकते हैं। यदि कोई भक्त इस दिन व्रत करता है तौ उसे साधु को दान देने की क्रिया का पालन करना होता है। ऐसा माना जाता है कि भक्त को महीने के प्रत्येक 13 वें दिन, 13 महीने तक और अधिकतम 13 वर्षों के लिए यह उपवास करना होगा।

 क्या करें –

  1. इस दिन मंदिरों में जाकर दान करने का एक विशेष महत्तव है।
  2. इस दिन धार्मिक गीतों और कथाओं को सुनना शुभ माना जाता है।
  3. ऐसी धारणा है कि इस तरह से व्रत, दान, और संस्कारों का नियमित पालन करने से अतीत में किये गये पापों से छुटकारा मिलता है।
  4. मेरु त्रयोदशी भक्त के जीवन में शांति और समृद्धि लाती है।

अंत में –

यहा व्रत भक्तों को सही राह पर चलने का सीख देती है और उन्हें संयमित रहने का ज्ञान देती है।

 

Disclaimer: The information presented on www.premastrologer.com regarding Festivals, Kathas, Kawach, Aarti, Chalisa, Mantras and more has been gathered through internet sources for general purposes only. We do not assert any ownership rights over them and we do not vouch any responsibility for the accuracy of internet-sourced timelines and data, including names, spellings, and contents or obligations, if any.