Indian Festivals

मेष संक्रांति | Mesh Sankranti on 13 Apr 2024 (Saturday)


मेष संक्रांति 

क्या है मेष संक्रांति

एक वर्ष में 12 संक्रातियां पड़ती हैं पर इन सभी संक्रातियों में से मेष संक्रांति को बहुत महत्वपूर्ण का माना जाता है. मेष संक्रांति के दिन सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि के अंदर प्रवेश करते हैं. इसलिए हमारे शास्त्रों में मेष संक्राति के दिन सूर्य देव की पूजा का नियम बताया गया है. मेष संक्रांति को वैशाख संक्रांति के दूसरे नाम से भी जाना जाता है

मेष संक्रांति का महत्व -

शास्त्रों के अनुसार मेष संक्राति के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व होता है. मेष संक्रांति के दिन दिन अन्न का दान करने को विशेष महत्व दिया गया है. जिस समय सूर्य मीन राशि से निकल कर मेष राशि में प्रवेश करता है उस काल को मेष संक्रांति कहा जाता है और तभी से सौर वैशाख महीने की प्रवृत्ति होती हैमेष संक्रांति के दिन ही सूर्य देव उत्तरायण की आधी यात्रा को पूरा करते हैं. भारत में अलग-अलग जगहों पर मेष संक्रांति को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. बंगाल में रहने वाले लोग मेष संक्रांति के दिन अपना नया साल मनाते हैं. मेष संक्रांति के दिन धर्मघट का दान, स्नान, तिल द्वारा पितरों का तर्पण तथा मधुसूदन भगवान की पूजन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है की मेष संक्रांति के पुण्यकाल में स्नान-दान और पितरों का तर्पण करने से बहुत पुण्य मिलता है. मेष संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा अर्चना करने के साथ साथ गुड़ और सत्तू खाने का भी नियम है. बिहार राज्य में मेष संक्रांति के दिन को सतुआनी (सतुआ) के रूप में मनाते हैं

मेष संक्रांति के अलग अलग नाम

• भारत के अलग-अलग राज्यों में मेष संक्रांति के पर्व को अलग-अलग नामों और तरीको से मनाया जाता है.

• ओडिशा में मेष संक्रांति कोपना संक्रांतियामहा विषुव संक्रांतिके रूप में मनाया जाता है.

• तमिलनाडु में मेष संक्रांति के पर्व को "पुथांदुके नाम से मनाते हैं.

• पश्चिम बंगाल में इसेपोइला बैसाखके रूप में मनाते हैं.

• आसाम में मेष संक्रांति कोबोहाग बिहूयारोंगाली बिहूके नाम से मनाते हैं.

• पंजाब में इस पर्व कोवैशाखके नाम से मनाया जाता है.

• केरल में मेष संक्रांति के पर्व कोविशुके नाम से मनाते हैं.

मेष संक्रांति पुण्य काल 

• शास्त्रों में मेष संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत ही पुण्यदायी बताया गया है

• मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति मेष संक्रांति के दिन दिन पुण्यकाल में किसी पवित्र नदी में स्नान करने के पश्चात् दान पुण्य करता है तो यह अत्यंत पुण्यदायी होता है

• कहा जाता है की मेष संक्रांति के दिन संक्रांति से चार घंटे पहले और चार घंटे के बाद तक पुण्यकाल रहता है.

• उत्तराखण्ड में मेष संक्रांति कोबिखोतीके नाम से मनाया जाता है

• इस दिन उत्तराखंड में रहने वाले लोग एक पत्थर को दैत्य का प्रतीक मानकर उसे डंडों से मारते हैं

• इस दिन उत्तराखंड में अलग अलग जगहों पर मेले लगाए जाते हैं.

• पारंपरिक नृत्य, गीत और संगीत के साथ मेष संक्राति का यह उत्स्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

मेष संक्रांति पूजन विधि-

• हमारे शास्त्रों में नियमित रूप से सूर्य देव को अर्घ्य देना अच्छा माना गया है पर मेष संक्रान्ति के दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है

• इस दिन प्रातःकाल उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत होने के पश्चात् किसी पवित्र नदी में स्नान करें.

• अगर आपके घर के आसपास कोई पवित्र नदी नहीं है तो आप अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं

• स्नान करने के पश्चात् लाल रंग का वस्त्र धारण करें

• अब एक ताम्बे के लोटे में जल भरकर इसमें लाल चन्दन, थोडा कुमकुम और लाल फूल, जैसे गुलाब की पत्तियां मिलाये.

• अब पूर्व दिशा की ओर मुख करके अपने दोनों हाथों से लोटे को अपने सर से ऊपर की ओर उठा कर धीरे धीरे जल की एक धारा बनायें.

• इसी तरह 7 बार सूर्य देव को जल अर्पित करें.

• अगर आप अपने घर में सूर्य देव को अर्घ्य दे रहे हैं तो जहाँ पर जल गिरेगा वहाँ पर किसी बर्तन या बाल्टी को रख दें

• अब जमा हुए जल को किसी गमले पौधे या पेड़ की जड़ में डाल दें.

• सूर्य देव को जल अर्पित करते समय गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें

• अगर आपको गायत्री मन्त्र याद नहीं है तो आप केवल  " सूर्याय नमः” " आदित्याय नमः का जाप करते हुए जल अर्पित करें.

• अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए जितना संभव हो सके इस मन्त्र का जाप करें.

• अगर आपकी जन्म कुण्डली मे सूर्य नीचे स्थान पर है तो मेष संक्रान्ति के दिन दान पुण्य करे.  

• मेष संक्रांति के दिन गरीब और जरुरतमंदों लोगों को गेहूंगुड और चांदी का दान देना शुभ माना जाता है

• मेष संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से सभी प्रकार के रोगो का नाश हो जाता है.

Disclaimer: The information presented on www.premastrologer.com regarding festivals, Kathas, Kawach, Aarti, Chalisa, Mantras and more has been gathered through internet sources for general purposes only. We do not assert any ownership rights over them and we do not vouch any responsibility for the accuracy of internet-sourced timelines and data, including names, spellings, and contents or obligations, if any.