Indian Festivals

नरक चतुर्दशी | Narak Chaturdashi on 31 Oct 2024 (Thursday)

नरक चतुर्दशी महत्व|
  •  दीपावली का त्योहार हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है. इस दिन सभी लोग अपने घर में दिए जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं. 
  • दीपावली के दिन को रौशनी के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. दीपावली से 1 दिन पहले नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है.
  • नरक चतुर्दशी का त्योहार हर साल कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानी दीपावली के 1 दिन पहले पड़ता है. नरक चतुर्दशी के त्यौहार को छोटी दिवाली भी कहा जाता है.
  • नरक चतुर्दशी को नरक मुक्ति का त्योहार कहा जाता है.
  • नरक चतुर्दशी के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले नहाने के बाद यम तर्पण किया जाता है और शाम के समय दीप दान करके यमराज की पूजा की जाती है.
  • इस दिन दीपदान का बहुत महत्व होता है. नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले नहाने का भी बहुत महत्व होता है.
  • इस दिन नहाते वक्त तिल और तेल के उबटन को शरीर पर लगाकर नहाया जाता है और नहाने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है.
  • नरक चतुर्दशी के दिन शरीर पर चंदन का लेप लगाकर नहाने का बहुत महत्व है. नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करने का भी नियम है.
  • नरक चतुर्दशी के दिन घर के दरवाजे पर दीप जलाए जाते हैं और साथ ही यमराज की पूजा भी की जाती है.
मुहूर्त 

अभ्यंग स्नान मुहूर्त - 05:28 AM से 06:41 AM

 
नरक चौदस का रूप व् महिमा :-
नरक चौदस को रूप चौदस के रूप में भी मनाया जाता है. नरक चौदस को रूप चतुर्दशी के रूप में मनाने का एक बहुत बड़ा कारण है:
एक बार हिरण्यगर्भ नाम के एक राजा राज्य करते थे. एक समय राजा का मन मोह माया को छोड़कर भगवान की तपस्या लीन होने का विचार आया.  तब राजा ने अपने मन की बात को मान कर अपना राज्य पाठ सभी कुछ त्याग दिया  और मोह माया के बंधन को छोड़कर जंगल में जाकर भगवान की तपस्या करने लगे. राजा हिरण्यगर्भ ने कई सालों तक लगातार भगवान की तपस्या की.राजा हिरण्यगर्भ भगवान् की तपस्या में इतना लीन हो गए की तपस्या करते करते उनके शरीर पर कीड़े लग गए और उनका पूरा शरीर सड़ गया.हिरण्यगर्भ को इस बात का बहुत दुख हुआ और उन्होंने नारद मुनि से अपनी सारी व्यथा कहीं. तब नारद मुनि ने उनसे कहा कि आप तपस्या करते वक्त अपने शरीर की स्थिति को सही नहीं रखते हैं. जिसकी वजह से आपके शरीर में कीड़े लग गए और आपका शरीर सड़ गया. तब हिरण्यगर्भ ने नारद मुनि से इस समस्या का समाधान पूछा. तब नारद मुनि ने राजा हिरण्यगर्भ को बताया कि कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन शरीर पर लेप लगाकर सूर्य निकलने से पहले नहाए और नहाने के बाद रूप के देवता कृष्ण की पूजा आरती करें. ऐसा करने से आपको आपका रूप दोबारा मिल जाएगा. राजा हिरण्यगर्भ ने नारद मुनि की बात मानकर वैसा ही किया. ऐसा करने से उनका शरीर फिर से पहले की तरह स्वस्थ और रूप वान हो गया. इसीलिए इस दिन रूप चतुर्दशी का त्यौहार भी मनाया जाता है. रूप चौदस या नरक चौदस दीपावली के 1 दिन पहले मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग अपने अपने घरों में दीपदान करते हैं और अपने घर के मुख्य द्वार पर दिए जाते हैं. दीपावली का त्यौहार धूमधाम के साथ साथ खुशियों से भरा भी होता है. दीपावली के 1 दिन पहले मनाए जाने के कारण इसे छोटी दीवाली भी कहते हैं.
 

 
Disclaimer: The information presented on www.premastrologer.com regarding Festivals, Kathas, Kawach, Aarti, Chalisa, Mantras and more has been gathered through internet sources for general purposes only. We do not assert any ownership rights over them and we do not vouch any responsibility for the accuracy of internet-sourced timelines and data, including names, spellings, and contents or obligations, if any.