भगवान नरसिंह को श्री विष्णु का पांचवां अवतार माना जाता हैं. भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह अवतार लिया था. भगवान नरसिंह गोधूलि बेला के समय प्रकट हुए थे. नरसिंह भगवान विष्णु जी का उग्र और शक्तिशाली अवतार माना जाता हैं. भगवान नरसिंह की पूजा व्रत और उपासना करने से मनुष्य के जीवन के सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं और दुर्घटना से भी बचाव होता है. इसके अलावा भगवान नरसिंह की पूजा करने से हर प्रकार के मुकदमे, दुश्मन और विरोधी शांत हो जाते हैं, और साथ ही सभी प्रकार की तंत्र मंत्र की बाधाएं दूर हो जाती हैं भगवान श्री नरसिंह को शक्ति और पराक्रम का प्रमुख देवता माना जाता है. नरसिंह जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इसी दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर खंभे को चीरकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी. इसीलिए इस दिन बहुत ही धूमधाम से नरसिंह जयंती का उत्सव मनाया जाता है. इस दिन व्रत करने का भी नियम है. नरसिंह जयंती का व्रत सभी महिलाएं और पुरुष कर सकते हैं.
भगवान् नरसिंह पूजन विधि :-
1- नरसिंह जयंती का व्रत करने के लिए दोपहर के समय वैदिक मंत्रों का जाप करके स्नान करने का विशेष महत्व है.
2- स्नान करने के बाद ज़मीन को गोबर से लिप कर उसके ऊपर पीतल या तांबे के कलश में जल भरकर स्थापित करें.
3- अब भगवान नरसिंह की मूर्ति को गंगाजल से नहला कर स्थापित करें. इसके बाद विधि पूर्वक भगवान नरसिंह की पूजा करें.
4- नरसिंह जयंती के दिन गोदान, तेल तथा वस्त्रों से सजी हुई शैया दान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यदि आप सक्षम नहीं है तो आप अपनी क्षमता अनुसार भी दान कर सकते हैं.
नरसिंह जयंती कथा :-
- एक समय हिरण्यकशिपु नाम के राक्षस ब्रह्मा जी और भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करने लगा. ब्रह्मा जी और शिव हिरण्यकशिपु की तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे वरदान मांगने को कहा.
- तब हिरण्यकश्यप ने भगवान शिव और ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा. तब शिव और ब्रह्मा जी ने उसकी मनोकामना पूरी की. वरदान पाने के बाद हिरण्यकश्यप के अंदर अहंकार आ गया. उसे लगता था कि उसे कोई भी नहीं मार सकता है. इसीलिए वह अपनी प्रजा को सताने लगा और उन्हें तरह-तरह की यातनाएं देने लगा.
- उसी समय हिरण्यकश्यप की पत्नी को एक पुत्र की प्राप्ति हुई. इस पुत्र का नाम प्रहलाद रखा गया. प्रहलाद का जन्म राक्षस कुल में होने के बावजूद वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था. हिरण्यकश्यप को प्रहलाद का भगवान विष्णु की पूजा करना पसंद नहीं था.
- उसने कई बार प्रहलाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से रोकने का प्रयास किया. परंतु वह सफल नहीं हुआ बार-बार असफल होने के बाद हिरण्यकश्यप ने एक बार अपनी बहन होलिका की मदद से प्रहलाद को अग्नि में जलाने का प्रयत्न किया, पर भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद के प्राणों को नुकसान नहीं पहुंचने दिया.
नरसिंह जयंती का महत्व :-
- शास्त्रों के अनुसार नरसिंह जयंती का व्रत करने से ब्रहम हत्या का दोष खत्म हो जाता है.
- जो भी व्यक्ति नरसिंह जयंती का व्रत रखता है वह सांसारिक सुखों को भोग कर मोक्ष प्राप्त करता है. इसके अलावा जो मनुष्य नरसिंह चतुर्दशी का व्रत करता है वह सात जन्मो तक पापों से मुक्त हो जाता है और अपार धन संपत्ति का मालिक होता है.
- जो भी व्यक्ति भक्ति पूर्वक नरसिंह जयंती की आत्मकथा सुनता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
- नरसिंह चतुर्दशी के दिन मध्यान्ह काल में जो भी व्यक्ति क्षमता अनुसार व्रत का अनुष्ठान करता है और लीलावती देवी के साथ हरित मुनि और भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना करता है उस व्यक्ति को सनातन मोक्ष मिलता है.
- दान देने के पश्चात सूर्यास्त के समय मंदिर में जाकर आरती करने के बाद पारण करना चाहिए. भगवान नरसिंह का व्रत करने से मनुष्य के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं