आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है और दशमी तिथि के दिन नवरात्रि का पारण किया जाता है| नौ दिन तक दुर्गा माँ की पूजा आराधना कर के, दशमी तिथि के दिन माँ का विसर्जन किया जाता है| दशमी तिथि के दिन ही माँ ने महिषासुर नमक दैत्य का वध किया था| दशमी तिथि के दिन ही नवरात्रि के व्रतों का पारण किया जाता है|
यह भी मान्यता है की नवरात्रि के 9 दिनों को तीन गुणों से वर्गीकृत किया जाता है: तामस राजस और सत्त्व। पहले तीन दिन तामस से जुड़े है जिसमे उग्र प्रकार की देवियाँ जैसे काली और दुर्गा आती है। अगले तीन दिन देवी लक्ष्मी से सम्बंधित है। और आखरी के तीन दिन देवी सरस्वती से सम्बंधित है जो सत्त्व की परिचायक है।
नवरात्रि खत्म होने के बाद दसवे दिन को विजयादशमी आती है। इसका अर्थ यह है की मनुष्य ने नवरात्रि की तीन गुणों पर विजय प्राप्त कर ली है। क्यूंकि मनुष्य ने इन तीनो गुणों को समझा लेकिन किसी भी गुण के सामने समर्पण नहीं किया इसीलिए दसवे दिन को विजय का दिन या विजयादशमी कहा जाता है। इससे यह साबित होता है की हमारे जीवन की महतवपूर्ण मामलों पर श्रध्दा और कृतज्ञता से ध्यान देने से हम सफलता और जीत हासिल कर सकते है।
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