नवरात्रि के महोत्सव में हिन्दु लोग ईश्वर की आदि शक्ति का आह्वान करते हैं. ईश्वर के इस रूप देवी दुर्गा ["Devi" (goddess) or "Shakti" (energy or power)] के नाम से जाना जाता है जो कि मनुष्य के विपत्तियों को हरनेवाली मानी गयी हैं. यही वह शक्ति है जो ईश्वर को सृजन, संरक्षण एंव विनाश के लिए प्रेरित करती है. दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि ईश्वर अपनी प्रकृति से अचल एंव संम्पूर्ण रूप से अपरिवर्तनशील होता है और यही देवी दुर्गा प्रकृति के समस्त घटनाओं की संचालक होती है. वास्तव में, शक्ति यह अराधना विञान के इस सिद्धान्त की पुष्टी करता है कि उर्जा अविनाशी है - इसका न कभी नाश होता है न निर्माण; यह अनंत है.
नवरात्रि का उत्सव वर्ष में चार बार मनाया जाता है: बसंत नवरात्रि, अशाढ़ नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि एंव पौष्य या माघ नवरात्रि. इनमें से बसंत या चैत्र नवरात्रि (मार्च - अप्रिल) एंव शारदीय नवरात्रि (सितंबर - अक्टूबर) का महत्व ज्यादा है. हिन्दु धर्म में इन दो नवरात्रों के विशेष महत्व के पीछे कुछ वैञानिक कारण भी हैं.
प्रत्येक वर्ष ग्रीष्म एंव शरद श्रृतु के प्रारंभ में जब दो श्रृतुओं का मिलन होता है तो जलवायु एंव सूर्य के प्रभाव में महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं. श्रृतुओं के इस संगम-काल को प्रकृति की अराधना करने के लिऎ दो कारणॊं से उपयुक्त समय माना गया है:
1. हम यह मानते हैं कि दैवी शक्ति वह उर्जा प्रदान करती है जो पृथ्वी को सूर्य के चारो ओर घूमने के लिए मजबूर करती है जिसके कारण प्रकृति में परिवर्तन आते हैं. इसलिए इस शक्ति का आभार प्रकट करना चाहिए ताकि प्रकृति का संतुलन बना रहे.
2. प्राकृतिक परिवर्तन के फलस्वरूप मनुष्य के शरीर एंव मनोदशा में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं. इसलिये इस शक्ति की अराधना करनी चाहिए ताकि वे हमें इतनी शक्ति प्रदान करें कि हमारा शारिरीक एंव मानसिक संतुलन बना रहे.
बसंत नवरात्रि चैत्र के महीने में मनाया जाता है जो कि नौ दिनों तक चलता है. यह चैत्र महीने के पहले दीन से शुरू होकर नौ दिनों तक चलता है जिस दिन रामनवमी मनाया जाता है. चैत्र महीने के पहले दिन, भारत के कुछ क्षेत्रों में उगाड़ी, हिन्दु कैलेडंर के अनुसार वर्ष का पहला दिन, भी मनाया जाता है.
शारदीय नवरात्रि अश्विन के महीने में मनाया जाता है.
दंतकथा
ऎसा कहा जाता है कि जब राम को सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए युद्ध करने की जरूरत पड़ी तो उन्होंने देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की अराधना नौ दिनों तक की ताकि वे रावण का संहार करने के लिए पूरी शक्ति पा सकें. इस प्रकार ये नौ दिन नवरात्रि बन गए जिन्हें हिन्दु लोग बडे धूम-धाम हर वर्ष मनाते हैं. दशवें दिन रामनवमी मनाया जाता है.
एक दूसरी कथा कि अनुसार, एक बार दुष्ट राक्षस महिषासुर ने कई वर्षों तक शिवजी की अराधना करके अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया और तीनो लोकों को जीतने के लिए निकल पड़ा. उसने स्वर्ग लोक पर विजय पा लिया. चारो ओर त्राहि-त्राहि मच गयी. इतना ही नहीं त्रिदेव: ब्रह्मा, विष्णु, एंव महेश भी उसको जीतने में अपने आप को सक्षम नहीं पा रहे थे. फिर सभी देवताओं ने त्रिदेव के साथ मिलकर अपनी शक्तियों को एकत्र किया जिससे भगवती दुर्गा का प्रादुर्भाव हुआ. जिस दिन भगवती दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया उस दिन विजयादशमी का त्योहार के रूप में मनाया जाता है.
नवरात्रि में प्रचल्लित प्रथाएं एंव रीति-रिवाज
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना (pot installation) घर में किसी स्वच्छ एंव पवित्र जगह पर की जाती है और वहां पर एक दीप जलाया जाता है जो कि अगले नौ दिनों तक लगातार जलता रहता है. घट को ब्रह्माण्ड एंव दीप को दीप्तिमान आदि शक्ति का प्रतीक माना गया है जिसके माध्यम से हम देवी दुर्गा की पूजा करते हैं.
श्रद्धालु नौ दिनों तक उपवास रखते हैं एंव सुख-सम्रृद्धी के लिये देवी दुर्गा की पूजा करते हैं. कई लोग उपवास के दौरान बिना लहसुन और प्याज से बना सात्विक शाकाहारी भोजन करते हैं, जैसे कि साबुदाना पूरी, गुजराती काढ़ी, व्रत का चावल, आवल केसरी, सिंघारे का हलवा आदि.
नवरात्रि के नौ दिनों को तीन-तीन दिनों तीन वर्ग में विभाजित किया गया है जिसमें भगवती के तीन भिन्न रूपों की पूजा की जाती है.पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा होती है जो अनंत उर्जा की उदगम श्रोत मानी गयी हैं. दूसरे तीन दिन देवी सरस्वती की पूजा होती है जो कि ञान की उदगम श्रोत मानी गयी हैं. नौ दिनों तक लगातार दुर्गा सप्तसती का पाठ किया जाता है और आठवें या नौवें दिन हवन (sacrifice offered to the fire) करके दुर्गा माता को विदा किया जाता है. दसवें दिन, चैत्र नवरात्रि मॆं, रामनवमी मनाया जाता है, इस दिन राम ने रावण का वध किया था. शारदीय नवरात्रि में, दसवें दिन विजयादशमी मनायी जाति है इस दिन देवी ने महिषासुर का वध किया था. दोनों ही पर्व को बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक माना गया है. कई राज्यों में आठवें या नौवें दिन तरूण कन्याओं की पूजा की जाती है. उन्हें भोजन कराया जाता है और फिर उन्हें दक्षिणा (paying some money at the time of leaving for offering services) दी जाती है.
पूजा - विधि एंव मंत्रोच्चारण
निम्न सामग्रियों का संर्गह करें:
दुर्गा मां की तस्वीर, दुर्गा सप्तसती की किताब, कलश, जल, आम्रपत्र, बेलपत्र, नारियल (एक कलश के लिए और एक सूखा सम्पूर्ण नारियल हवन के लिए), रोड़ी, मोली, चावल, पान-पत्र, सुपारी, लौंग, ईलायची, सिंदूर, गुलाल, धूप, दीप, माचिस, फूल (मुख्यत: लाल फूल), आम की सूखी लकड़ी (हवन के लिए), फल एंव मिठाई (पांच प्रक्रार के), गाय का कच्चा दूध, गाय के दूध की दही, मधु एंव घी, पांचपत्र चरणामृत के लिए, बैठने के लिए आसन.
पंचामृत बनाने की विधि:
थोड़ा दूध लें और उसमें दही, शक्कर, मधु एंव घी मिलाएं.
पूजा-स्थल को जल एंव गंगाजल से धोकर स्वच्छ करें. पानपत्र पर थोड़ा गेहूं का दाना डालें और उसे जमीन पर रखें एंव उस पर जल से भरा कलश रखें, कलश के उपर आम्रपत्र के पांच पत्ते वाली डाली रखें एंव उसके उपर नारियल रखें. कलश के गले में मोली बांध दें. एक बड़ा दीप जलाएं और उसमें पर्याप्त तेल रखें ताकि वह ज्यादा देर तक जले और इस बात का ध्यान रखें की वह नौ दिनों तक बुझॆ नहीं. जबतक पूजा चले धूप जलाएं रखें.
दुर्गा मां की तस्वीर को पानपत्र पर रखें एंव उनके सामने बैठकर निम्नांकित विधी से उनकी पूजा करें:
१. सर्वप्रथम, ’आत्म पूजा’ (self-purification) निम्नांकित मंत्र के साथ करें:
OM APAVITRAH PAVITRO VA SARVAVASTHAM GATOAPI VA,
YAH SMRAIT PUNDARIKA AKSHAM SA VAHY ABHYANTARAH SHUCHIH.
२. इसके बाद ’आचमन’ (drinking of holy water after accepting it in the palm of the hand) करें, इससे हमारे तन और मन की शुद्धी होती है, निम्नांकित मंत्र पढ़ें:
OM KESHAVAYA NAMAH, OM NARAYANAYA NAMAH, OM MADHAVAYA NAMAH, OM GOVINDAYA NAMAH.
३. अब संकल्प (resolve) करें और देवी दुर्गा का आह्वान करें और उनसे प्रार्थना करें की वे आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति करें. इसके लिए हाथ में जल लें और निम्नांकित मंत्र पाठ करें:
Aagachha Tvam Mahadevi ! Sthane Chatra Sthira Bhav. Yavata Pujaam Karisyami Tavata Tvam Snidho Bhav.
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha. Durgadevimaawahayami. Aawahanartheye Pushpaanjali Samarpayami.
माता को फूल अर्पित करें.
४. आसन
अपना आसन ग्रहन करें और निम्नांकित मंत्र के फूल अर्पित करें:
Om sarvmangal mangaleye shivesarvaarth sadhike, Sharneye Traymbake gauri Narayani Namostute.
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha. Aasanarthey Pushpani Samarpayami.
फूल अर्पित करें.
५. पाधा
निम्नांकित मंत्र के साथ जल अर्पित करें
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha. Padayoh Paadham Samarpayami.
माता के चरणों में जल चढ़ाएं.
६. अर्घ्य
माता को अर्घ्य दें
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha. Hastyoh Arghya Samarpayami.
माता के चरणॊं में फूल, अक्षत और जल चढ़ाएं.
७. आचमन
निम्नांकित मंत्र के साथ आचमन करें:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha. Aachamanam Samarpayami.
माता को कर्पूर मिश्रित जल अर्पित करें.
८. स्नान
निम्नांकित मंत्र के साथ माता को स्नान कराएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Snanartham Jalam Samarpayami. (Offer Ganga Jal for Bath)
Snananga Aachaman Snanantey Punrachamaniyam Jalam Samarpayami. (Offer water for aachman)
पहले गंगाजल से स्नान कराएं फिर आचमन के लिए जल अर्पित करें.
९. दुर्गा स्नान
निम्नांकित मंत्र के साथ माता को दूध से स्नान कराएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha DugdhaSnanam Samarpayami.
गाय का कच्चा दूध अर्पित करें.
१०. दही स्नान
निम्नांकित मंत्र के साथ माता को दही से स्नान कराएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha DadhiSnanam Samarpayami.
दही अर्पित करें.
११. घृत स्नान
निम्नांकित मंत्र के साथ माता को दही से स्नान कराएं
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha GhritSnanam Samarpayami.
घी अर्पण करें.
१२. मधु स्नान
निम्नांकित मंत्र के साथ मधु से स्नान कराएं
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha MadhuSnanam Samarpayami.
मधु अर्पण करें.
१३. शक्कर स्नान
निम्नांकित मंत्र के साथ माता को शक्कर से स्नान कराएं
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha SharkaraSnanam Samarpayami.
शक्कर अर्पित करें.
१४. पंचामृत स्नान
निम्नांकित मंत्र के साथ माता को पंचामृत से स्नान कराएं
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha PanchaamritSnanam Samarpayami.
पंचामृत अर्पित करें.
१५. गांधोदक स्नान
निम्नांकित मंत्र के साथ माता को मलय चंदन से स्नान कराएं
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha GandhodakSnanam Samarpayami.
१६. शुद्धोदक स्नान
निम्नांकित मंत्र के साथ गंगाजल से स्नान कराएं
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha ShudhodakSnanam Samarpayami.
१७. आचमन
निम्नांकित मंत्र के साथ आचमन के लिए जल अर्पित करें
ShudhodakSnanante Aachamaniyam Jalam Samarpayami.
१८. वस्त्र
निम्नांकित मंत्र के साथ वस्त्र अर्पित करें
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Vastropavastram Kanchukiyam ch Samarpayami.
१९. आचमन
निम्नांकित मंत्र के साथ आचमन के लिए जल अर्पित करें
Vastranante Aachamaniym jalam Samarpayami
२०. शौभाग्य सुत्र
निम्नांकित मंत्र के साथ शौभाग्य सुत्र अर्पित करें:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha ShobhagyaSutram Samarpayami.
२१. चंदन
निम्नांकित मंत्र के साथ चंदन अर्पित करें:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Chandanam Samarpayami.
२२. हरिद्राचुर्ना
निम्नांकित मंत्र के साथ हरिद्राचुर्ना अर्पित करें:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Haridraam Samarpayami.
२३. कुमकुम
निम्नांकित मंत्र के साथ कुमकुम अर्पित करें:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Kumkumam Samarpayami.
२४. सिदुंर
निम्नांकित मंत्र के साथ सिदुंर चढ़ाएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Sindooram Samarpayami.
२५. काजल
निम्नांकित मंत्र के साथ काजल चढ़ाएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Kajjalm Samarpayami.
२६. दुर्वांकुर (दुर्वा)
निम्नांकित मंत्र के साथ दुर्वा चढ़ाएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Durvankuraan Samarpayami.
२७. बेलपत्र
निम्नांकित मंत्र के साथ बेलपत्र चढ़ाएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha BilvaPatram Samarpayami.
२८. आभुषण
निम्नांकित मंत्र के साथ आभुषण चढ़ाएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Abhushnaani Samarpayami.
२९. पुष्पमाला
निम्नांकित मंत्र के साथ पुष्पमाला चढ़ाएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Pushpamalam Samarpayami.
३०. नानापरिमालद्रव्य (पैसा)
निम्नांकित मंत्र के साथ पैसा चढ़ाएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha NanaparimalDraviyaani Samarpayami.
३१. शौभाग्यपट्टिका
निम्नांकित मंत्र के साथ शौभाग्यपट्टिका चढ़ाएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Shobhagyapatikam Samarpayami.
३२. धूप
निम्नांकित मंत्र के साथ धूप चढ़ाएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Dhoopmaaghrapayami.
३३. दीप
निम्नांकित मंत्र के साथ मां को दीप दिखाएं और अपना हाथ धोयें:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Deepam Darshyami.
३४. नैवेद्य
निम्नांकित मंत्र के साथ माता को नैवेद्य अर्पित करें और फिर आचमन के लिए जल अर्पित करें
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Naibaidham Nivedyami.
३५. श्रृतुफल
निम्नांकित मंत्र के साथ श्रृतुफल चढ़ाएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Rituphalani Samarpayami.
३६. ताम्बुल (पानपत्र)
निम्नांकित मंत्र के साथ ताम्बुल चढ़ाएं:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Tammbulam Samarpayami.
३७. दक्षिणा (पैसा)
निम्नांकित मंत्र के साथ माता को दक्षिणा अर्पित करें:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Dakshinaam Samarpayami.
३८. आरती
एक थाली लें, उसमें थोड़ा चावल एंव फूल रखें, कर्पूर और एक दीप जलाएं, निम्नांकित मंत्र के साथ दुर्गा मां की आरती उतारें:
ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
स्तुति-गान:
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ टेक ॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को । उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रबदन नीको ॥ जय 0
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै । रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै ॥ जय0
केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्परधारी । सुर नर मुनिजन सेवक, तिनके दुखहारी ॥ जय 0
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती । कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ॥ जय 0
शुम्भ निशुम्भ विडारे, महिषासुर घाती । धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ जय 0
चण्ड मुण्ड संघारे, शोणित बीज हरे । मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥ जय 0
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ जय 0
चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरुं । बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु ॥ जय 0
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता । भक्तन् की दुःख हरता, सुख-सम्पत्ति करता ॥ जय 0
भुजा चार अति शोभित, खड़ग खप्परधारी । मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ जय 0
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति ॥ जय 0
श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावै । कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पत्ति पावै ॥ जय
निम्नांकित मंत्र के साथ आरती समाप्त करें:
श्री जगदम्बे दुर्गादेव्ये नम:, कर्पूरारती समर्पयामी
३९. प्रदिक्षिणा
हवनकुंड कि परिक्रमा करें और निम्नांकित मंत्र पढ़ें:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Pradikshnaanm Samarpayami.
४०. मंत्रपुष्पांजली
निम्नांकित मंत्र पढ़ें और पुष्प अर्पित करें:
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha Mantrapushpanjalim Samarpayami
४१. नमस्कार
निम्नांकित मंत्र पढ़ें और देवी को नमस्कार करें:
श्री जगदम्बे दुर्गादेव्ये नम:, नम: नमस्कारं समर्पयामि.
४२. क्षमा याचना
निम्नांकित मंत्र पढ़ें और देवी से पूजा के दौरान हुई भूल-चूक के लिये क्षमा मांगे:
Aawahanam Na Jaanami Na jaanami Tav archanam, Pujaam ch na jaanami Kshamattam Parameshwari.
Mantrahinam Kriyahinam Bhaktihinam Sureshwari, Yattpujitam Maya Devi Paripuranm Tadastu me.
Shri Jagadambaye DurgaDevye Namha KshamaYachanam Samarpayami
४३. अर्पण
निम्नांकित मंत्र पढ़ें और देवी को अर्पण दें:
Aum Tattsad Brahmarpanmastu,
Vishnave Namh, Vishnave Namh, Vishnave Namh.
आपको देवी दुर्गा की पूजा क्यों करनी चाहिए
इस संसार में ऎसा कोइ नहीं है जिसे शक्ति की आवश्यकता नहीं है. बिना शक्ति के हम श्रम नहीं कर सकते और जीवन में कुछ भी नहीं पा सकते. मां दुर्गा इसी शक्ति की उदगम श्रोत मानी गयी हैं. उनकी अराधना करने से ही हमें शुभ, लाभ, समृद्धी, ञान मिलता है और हम जीवन की अन्य बाधाओं को पार कर पाते हैं.