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पद्मनाभ द्वादशी | Padamnabh Dwadashi on 04 Oct 2025 (Saturday)

पद्मनाभ द्वादशी
 
पद्मनाभ द्वादशी पापांकुशा एकादशी के अगले दिन मनाई जाती है। यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है।  इस दिन भगवान् विष्णु जी के अनंत पदमनाभ स्वरुप की पूजा की जाती है।  ऐसी मान्यता है जो भी व्यक्ति पद्मनाभ द्वादशी का व्रत करता है उसे ज़िन्दगी में सुख समृद्धि व् मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

पद्मनाभ द्वादशी का महत्व:

पद्मनाभ द्वादशी का व्रत करने से मनुष्य मुक्ति के मार्ग पर चलता है।  भगवान विष्णु के भक्तो के अनुसार एकादशी व् द्वादशी के दिन व्रत करने व् भगवान पद्मनाभ का पूजन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।  भगवान् विष्णु हीसमस्त देवो के देव है इन्ही के पूजन मात्र से मनुष्य को सांसारिक सुखो की प्राप्ति होती है।  सभी भक्त एक खुशाल , स्वस्थ व् समृद्ध जीवन जीने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति की इच्छा करते है और भगवान् विष्णु की पूजा उपासना करते है। 

 पद्मनाभ द्वादशी पूजन विधि:

पद्मनाभ द्वादशी व्रत का वर्णन वाराह पुराण में किया गया है।  सभी श्रद्धालु द्वादशी के दिन सूर्य उदय से ही व्रत करते हैं। 
इस दिन सूर्य उदय के पूर्व उठ लोग किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करते हैं।  परन्तु अगर वह संभव न हो तो आप घर में ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलकर स्नान कर सकते हैं। 
इसके पश्चात मंदिर जाएँ या घर में ही मंदिर के आगे बैठे भगवान् विष्णु जी की स्थापना करें। 
भगवान् को जल का छींटा दें। 
उन्हें वस्त्र व् फूल अर्पित करें। 
उनके समक्ष धुप व् दीप भी लगाएं। 
इस दिन लोग मंदिर जाकर भगवान् की स्तुति व् दर्शन करतीं है। 
बहुत से मंदिरों में अलग अलग तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। 
द्वादशी तिथि की रात्रि को भजन कीर्तन व् जागरण का बहुत महत्व है। 
इस दिन सभी लोगो को दान अवश्य करना चाहिए। 
पद्मनाभ द्वादशी का व्रत करने से एक हज़ार गौ दान बराबर पुण्य मिलता है। 
 

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