पूर्णिमा व्रत का महत्व|
हर महीने की शुक्ल पक्ष तिथि को पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की अंतिम 15वीं तिथि पूर्णिमा होती है. इस दिन आकाश में चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई देता है. हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पक्षबली होकर बहुत बलवान हो जाता है. पौराणिक धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि चंद्रमा को पूर्णिमा तिथि सबसे अधिक प्रिय होती है. पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ दान और किसी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ कारी माना जाता है. वैशाख, माघ और शुक्लपक्ष पूर्णिमा के दिन किसी भी तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान और दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
पूर्णिमा व्रत पूजन विधि|
1. हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि पूर्णिमा तिथि को किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ होता है.
2. अगर आप किसी नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर घर पर भी स्नान कर सकते हैं.
3. पूर्णिमा तिथि पर पित्र तर्पण करना भी बहुत शुभ माना जाता है.
4. पूर्णिमा के दिन प्रातः काल स्नान करने के पश्चात संकल्प लेकर पूरे विधि विधान से चंद्र देव की पूजा अर्चना करें.
5. चंद्रमा की पूजा करते समय नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें:
ओम सोम सोमाय नमः
6. भगवान शिव को चंद्रमा अत्यंत प्रिय है. चंद्रमा, भगवान् शिव की जटाओं में विराजमान रहता है. इसीलिए पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा करने से मनचाहे फलों की प्राप्ति होती है.
7. चंद्रमा एक स्त्री प्रधान ग्रह है. इसलिए इसे मां पार्वती का प्रतीक भी माना जाता है.
8. अगर आप पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती और संपूर्ण शिव परिवार की पूजा करते हैं तो इससे आपको सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी.