अष्टमी का व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन राधा जी का जन्म हुआ था। हमारे शास्त्रों में राधा के बिना श्री कृष्ण का व्यक्तित्व अधूरा माना गया है। राधाष्टमी का व्रत करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है। अगर आप राधा कृष्ण की कृपा दृष्टि पाना चाहते हैं या फिर संतान प्राप्ति चाहते हैं तो राधाष्टमी व्रत जरूर करें। मान्यताओं के अनुसार राधा अष्टमी के दिन व्रत करके विधिवत पूजा अर्चना करने से और राधा कुंड में स्नान करने से संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है।
राधाष्टमी पूजन विधि :-
राधाष्टमी के दिन पूजा करने के लिए सुबह प्रातः काल में स्नान करने के बाद केले के पत्तों का मंडप बनाएं।
अब मंडप के बीच में मिट्टी या तांबे के कलश की स्थापना करें। अब कलश के ऊपर तांबे का पात्र रखें और पात्र में दो वस्त्रों से ढकी हुई राधा कृष्ण की प्रतिमा की स्थापना करें।
अब षोडशोपचार द्वारा श्रद्धा पूर्वक राधा कृष्ण की पूजा करें। इस दिन व्रत करें और अगले दिन भक्ति और श्रद्धा पूर्वक सुहागन स्त्रियों को भोजन करवाकर राधा कृष्ण की प्रतिमा का दान करें।
इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।
राधाष्टमी व्रत कथा :-
मान्यताओं के अनुसार 5000 साल पहले मथुरा में भगवान कृष्ण के मामा कंस का शासन था। कंस ने भगवान श्री कृष्ण का वध करने के लिए अरिष्ठासुर नामक राक्षस को भेजा था।
अरिष्ठासुर राक्षस कृष्ण की गाय और बछड़े के झुंड में बछड़े का रूप धारण करके शामिल हो गया।
अरिष्ठासुर ने जब भगवान श्री कृष्ण को मारने का प्रयास किया तो कृष्ण ने बछड़े का रूप धारण किये राक्षस अरिष्ठा सुर का वध कर दिया।
बछड़े का वध करने के कारण श्री कृष्ण को गौ हत्या का पाप लगा। गौ हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए देवता ने श्रीकृष्ण को तीर्थ स्थानों के दर्शन और स्नान करने की सलाह दी ।
तब भगवान श्री कृष्ण ने राधाष्टमी के दिन अपनी बांसुरी से कृष्ण कुंड खोदा। और संसार के सभी देव तीर्थों को आमंत्रित करके खुद जल से स्नान किया और गौ हत्या के पाप से मुक्ति पाई।
राधा रानी ने कंगन से किया कुंड का निर्माण :-
एक दूसरी कथा के अनुसार राधा रानी ने अपने कंगन से दूसरे कुंड का निर्माण किया। इस कुंड का नाम भगवान कृष्ण ने राधा कुंड रखा।
राधा रानी के आग्रह पर भगवान श्री कृष्ण ने राधा कुंड और श्री कृष्ण कुंड को एक कर दिया। श्री कृष्ण ने देव तीर्थों को यह वरदान दिया कि जो भी मनुष्य निष्काम भावना से राधा कुंड में स्नान करेगा उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी।
राधाष्टमी का महत्व :-
हमारे शास्त्रों में कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन राधा कुंड में स्नान करने से नव दंपत्ति को बहुत जल्द संतान प्राप्ति होती है।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन रात्रि 12:00 बजे दोनों हाथ जोड़कर और कमर तक पानी में खड़े होकर राधा जी का ध्यान करने से मां की कृपा प्राप्त होती है।