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कन्या संक्रांति | Kanya Sankranti on 17 Sep 2025 (Wednesday)

भारतीय संस्कृति में त्यौहारों का खास महत्तव है और इसीलिये हर महीने कोई ना कोई त्यौहार हम लोग मनाते रहते है। त्यौहारों के बिना जीवन फीका सा लगता है। कन्या संक्राति भी एक बहुत ही विशेष उपलक्ष्य हैं।

कन्या संक्राति और भारतीय हिंदू कैलेंडर –

साल में कुल 12 संक्राति आती है । सभी बारह संक्रांति दान-पुण्य कार्यों के लिए अत्यधिक शुभ मानी जाती हैं और इस दिन लोग पूरे मन से दान भी करते हैं। यहां यह बताना बहुत जरुरी है कि संक्रांति से पहले या बाद में केवल एक निश्चित समय की अवधि के दौरान ही संक्रांति से संबंधित कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। यानि की आपको थोड़ा सा ध्यान देने की आवश्यकता है यदि आप विशेष फल चाहते हैं।

कन्या संक्राति और दान-पुण्य का अनुष्ठान –

कन्या संक्रांति पर कई प्रकार के दान- पुण्य किये जाते हैं और इनमे से सबसे खास है पितरों को किये जाने वाला अनुष्ठान। इस दिन लोग खास तौर पर अपने पितरों के लिए श्राद्ध पूजा और तपस्या अनुष्ठान पूरे विधि-विधान के साथ करते हैं। 

  • इस दिन का एक और विशेष अनुष्ठान है कि हमें यानि स्वयं को आत्मा और शरीर से सभी तरह के पापों को दूर करने के लिए पवित्र जल निकायों में स्नान करना। यदि नदी में स्नाना का संयोग ना बनें तो नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर उसे पवित्र कर लें।
  • अगर बात करें तो कन्या संक्रांति के लिए सोलह घाटों को संक्रांति के बाद शुभ माना जाता है और संक्रांति से सोलह घाट में खिड़की को सभी तरह के दान-पुण्य की गतिविधियों के लिए काफी शुभ माना जाता है। यहां यह बताना जरुरी है कि कन्या संक्रांति दिवस को विश्वकर्मा पूजा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। तो वहीं दूसरी तरफ दक्षिण भारत में संक्रांति को संक्रानम कहा जाता है।

कन्या संक्रांति से जूडी पौराणिक कथा –

संक्रांति का दिन विशेष इसीलिये होता है क्योंकि इस दिन सूर्य हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक राशि से दूसरी राशि में अपनी स्थिति बदलता है यानि कि वह एक राशि से दूसरी राशि में जाता है। कन्या संक्रांति का दिन वह दिन होता है जब सूर्य सिंह राशि (सिंह राशि) से कन्या राशि में प्रवेश करता है और इसीलिये इसे कन्या संक्राति कहा जाता है।

कन्या संक्राति अन्य कैलेंडर के अनुसार –

यह तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे पुरुतासी माह कहा जाता है वहीं दूसरी ओर केरल के कैलेंडर के अनुसार इस दिन कन्नी मसाम कहा जाता है। साल में आने वाली सभी बारह संक्रांति को दान के लिये बहुत ही शुभ माना जाता हैं। यदि आप किसी जरूरतमंद को दान करने के लिये किसी विशेष दिन का इंतजार कर रहे थे तो इससे शुभ दिन नहीं हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी तरह के दान और जरूरतमंद लोगों के लिए गतिविधि के लिए फायदेमंद होती हैं।

कन्या संक्राति और विश्वकर्मा पूजा –

कन्या संक्राति के दिन है बंगाल और उड़ीसा के औद्योगिक शहरों में विश्वकर्मा पूजा का आयोजन विशेष तौर पर किया जाता है क्योंकि यह भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिन है। उन्हें भगवान का निर्माता माना जाता है।

वह अपने भक्तों को उत्कृष्टता और उच्च गुणवत्ता के साथ काम करने की क्षमता प्रदान करता है। यह दिन मुख्य रूप से सभी प्रकार के उद्योगोंस्कूलदुकानों और कॉलेजों में मनाया जाता है।

छोटे और बड़े कारीगर आगामी वर्ष में बेहतर प्रगति के लिए विश्वकर्मा पूजा कार्यशाला में आयोजित करते है। बिहारमहाराष्ट्र और गुजरात सहित भारत के सभी हिस्सों में भगवान विश्वकर्मा मंदिर को सजाया जाता हैं व विधिपूर्वक पूजा की जाती है।

इस दिन को बहुत ही हर्षोल्लास और खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग भगवान की पूजा करने के लिए अपने कार्यालयों और कारखानों में मूर्ति लाकर स्थापित करते हैं।

विश्वकर्मा अनुष्ठान -

अन्य सभी पूजा दिवस की तरह इस विशेष दिन भी भक्त सुबह जल्दी स्नान करते हैं और पूजा की तैयारी करते हैं। भगवान विश्वकर्मा की पूजा मूर्ति को अपने व्यवसाय स्थल पर स्थापित करते है। इस दिन मशीनों की पूजा की जाती है और फूल माला अर्पित की जाती है। भक्त अपनी मशीनों के सुचारू रूप से काम करने के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं और इस दिन मशीनों से कोई काम नहीं किया जाता है। भगवान को चढ़ाने के लिए पारंपरिक भोजन तैयार किया जाता है और पूजा के बाद सभी को प्रसाद वितरित किया जाता है। इसमें खिचड़ी और खीर जैसे फलमिठाइयाँ और पकी हुई चीज़ें शामिल हैं।

हम सभी की तरफ से आप सभी को कन्या संक्रांति की शुभकामनाएँ।

 

 

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