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सरस्वती बलिदान | Saraswati Balidan on 01 Oct 2025 (Wednesday)

सरस्वती बलिदान के दिन सभी भक्त माँ के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं| माँ सरस्वती जो विद्या, बुद्धि व् ज्ञान की देवी हैं| सरस्वती बलिदान हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है| सरस्वती बलिदान पूजन 'उत्तराषाढा नक्षत्र' के दौरान मनाया जाता है|

सरस्वती पूजन सरस्वती आह्वान से शुरू हो सरस्वती विसर्जन पर पूर्ण होता है, जो विजयदशमी के दिन किया जाता है| सरस्वती बलिदान, सरस्वती पूजन के तीसरे दिन महानवमी पर मनाई| नवरात्री के आखरी तीन दिन माँ सरस्वती को ही समर्पित होते है| यह पर्व सभी भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच भरपूर उमंग व् उत्साह के साथ मनाया जाता है|

सरस्वती बलिदान की पूजन विधि|
1.
सूर्य उदय के पूर्व उठ नहाने के जल में गंगाजल मिलकर स्नान करें|
2.
इस दिन हवन करने का प्रावधान है|
3.
पहले हवन की पूर्ण सामग्री तैयार कर लें|
4.
माँ सरस्वती का रोज़ की तरह पूजन करें|
5.
सामान्य पूजन के बाद हवन की प्रक्रिया शुरू की जाती है|
6.
हवन पूरे विधि विधान से किया जाता है|
7.
हवन करने के पश्चात ऐं सरस्वती स्वः का क्षमता अनुसार जाप करें|
8.
हवन की पवित्र अग्नि में नारियल भी छोड़े|

हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहीं भी किसी जीव का बलिदान का विधान नहीं लिखा गया है और ही माँ हमें ऐसा करने की आज्ञा देती हैं| इसलिए किसी भी जीव का बलिदान दें| बलिदान देना है तो अपने अंदर के क्रोध, झूठ, कुकर्म का बलिदान दें और संकल्प लें की आगे आप एक बेहतर व्यक्ति बनेंगे|

 

 

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