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सरस्वती विसर्जन | Saraswati Visarjan on 12 Oct 2024 (Saturday)

सरस्वती पूजन के चौथे यानि आखरी दिन सरस्वती विसर्जन किया जाता है .  यह नवरात्री की दशमी यानि 'विजयादशमी' के दिन मनाया जाता है| इस दिन को सरस्वती उड़वासन के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन माँ सरस्वती की विदाई की जाती है और उनसे अगले साल आने की कामना की जाती है|

माँ सरस्वती एक मात्र ऐसी देवी है जो वैदिक काल से पूजी जा रहीं हैं| माँ सरस्वती की महिमा मध्यकाल व् प्राचीन काल से शास्त्रों में लिखी गयी है| महाभारत के शांति पर्व में भी माँ सरस्वती को "वेदों की जननी" कहा गया है| हिन्दू धर्म के अनुसार माँ सरस्वती संगीत, बुद्धि, कला व् विज्ञान की देवी मानी जातीं हैं| शारदा, महाविद्या नीला सरस्वती, विद्यादायिनी, शारदाम्बा, वीणापाणि, व् पुस्तक धारिणी आदि नामो से माँ जानी जातीं है| माँ सरस्वती को त्रिदेवी भी कहा जाता है जिनका निवास ब्रह्मपुरा में है| माँ सरस्वती चतुर भुजाओं वालीं हैं, जो हमेशा चमकदार श्वेत वस्त्र धारण किये रहती है| माँ सफ़ेद कमल पर विराजमान रहती हैं व् उनका वाहन हंस है| भगवान् ब्रह्मा ने माँ सरस्वती की सूझ-बूझ व् ज्ञान की सहायता से ही इस  ब्रह्माण्ड की रचना की थी| सभी श्रध्दालु व् भक्त माँ का पूजन बहुत ही उत्साह व् निष्ठा से मनाते हैं| माँ की स्तुति कर माँ से कामना करतें है की उनको सद्बुद्धि व् ज्ञान की प्राप्ति हो, वो और जीवन के हर लक्ष्य को पा सकें . 

सरस्वती विसर्जन विधि|

1. सरस्वती विसर्जन के दिन सुबह सूर्य उदय के पूर्व उठे और स्नान कर खुद को शुद्ध करलें|

2. इस दिन स्नान के पश्चात श्वेत वस्त्र धारण करें|

3. इस दिन महिलाएं खुद का सोलह श्रृंगार करती है|

4. इस दिन महिलाएं एक दूसरे के माथे पर सिंदूर लगाती है|

5. इस दिन रोज़ की तरह माँ का पूजन करें|

6. माँ को कईं प्रकार के नवैद्य व् मिष्ठानो का भोग लगाएं|

7. भोग लगाने के पश्चात माँ की मूर्ति लें और विसर्जन के लिए किसी पवित्र नदी या सरोवर पर जाएं|

8. वहा माँ का पूजन कर उनसे अपने दुःख और कष्टों को हरने की मनोकामना करें साथ ही उनसे अगले साल जल्दी आने की कामना करें|

9. विसर्जन से पहले माँ की विधिवत आरती करें |

10. आरती पूर्ण कर धीरे धीरे माँ की मूर्ति को पानी में छोड़ दें

 

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